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अमेरिका-चीन पोर्ट फीस विवाद में नया मोड़, दोनों देशों ने लगाए शुल्क, जानिए पूरा मामला

अमेरिका-चीन पोर्ट फीस विवाद में नया मोड़, दोनों देशों ने लगाए शुल्क, जानिए पूरा मामला

अमेरिका-चीन ट्रेड विवाद में नया मोड़ आया है। अमेरिका ने चीनी जहाजों पर पोर्ट फीस लगाने का फैसला किया था, इसका जवाब चीन ने अमेरिकी जहाजों पर अतिरिक्त शुल्क की घोषणा कर दिया। यह कदम व्यापार और नौवहन तनाव बढ़ा सकता है।

Trade Deal: अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर में नया विवाद पैदा हो गया है। अमेरिका ने पहले घोषणा की थी कि वह चीनी जहाजों से अपने पोर्ट पर फीस लेगा। इसका जवाब चीन ने उसी भाषा में दिया है। चीन ने अमेरिका के सभी जहाजों पर अतिरिक्त पोर्ट फीस लगाने का ऐलान किया है। दोनों देशों के बीच यह कदम व्यापार और नौवहन के क्षेत्र में तनाव बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।

चीन का नया कदम

चीन के परिवहन मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अमेरिकी फर्मों और व्यक्तियों के स्वामित्व वाले या संचालन वाले जहाजों को हर बार चीनी बंदरगाहों पर आने पर पोर्ट फीस देनी होगी। यह नया नियम 14 अक्टूबर से लागू होगा। मंत्रालय के अनुसार, यह कदम अमेरिका द्वारा चीन के जहाजों से शुल्क लगाने की नीति का प्रतिकार है। चीन ने कहा कि यह शुल्क अमेरिकी जहाजों पर बराबरी का उपाय है।

अमेरिका की पोर्ट फीस नीति

अमेरिका की योजना के तहत चीन में बने जहाजों और चीनी संस्थाओं के स्वामित्व वाले जहाजों को अमेरिका के पोर्ट पर पहली बार ठहरने पर फीस देनी होगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 10,000 से अधिक कंटेनर ले जाने वाले एक जहाज के लिए यह शुल्क लगभग 10 लाख डॉलर ($1 मिलियन) तक हो सकता है। अमेरिका का यह फैसला घरेलू शिपिंग उद्योग को बढ़ावा देने और चीन की नौसैनिक और वाणिज्यिक शक्ति को नियंत्रित करने के मकसद से लिया गया है।

चीन की वैश्विक शिपिंग स्थिति

पिछले दो दशकों में चीन ने खुद को विश्व में जहाज निर्माण का प्रमुख देश बना लिया है। चीन के बड़े शिपयार्ड कमर्शियल और मिलिट्री दोनों प्रकार के प्रोजेक्ट्स संभालते हैं। इसके कारण चीन के लिए अमेरिकी पोर्ट फीस से आर्थिक नुकसान की संभावना अधिक है। अमेरिका के मुकाबले चीन ने पिछले साल लगभग 1,000 कमर्शियल जहाज बनाए, जबकि अमेरिका ने 10 से कम जहाजों का निर्माण किया।

अमेरिकी जहाजों के लिए शुल्क की दर

चीन ने घोषणा की है कि 14 अक्टूबर से अमेरिकी जहाजों के लिए पोर्ट फीस 400 युआन प्रति टन (लगभग 56 डॉलर) होगी। इस शुल्क में समय के साथ वृद्धि होगी। 17 अप्रैल 2026 से यह 640 युआन (लगभग 90 डॉलर), 17 अप्रैल 2027 से 880 युआन (लगभग 112 डॉलर) और 17 अप्रैल 2028 से 1,120 युआन (लगभग 157 डॉलर) प्रति टन हो जाएगी।

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