प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस पावर लिमिटेड के CFO अशोक कुमार पाल को फर्जी बैंक गारंटी और इनवॉइसिंग मामले में गिरफ्तार किया है। उनके खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने करोड़ों रुपये की फर्जी बैंक गारंटी और फर्जी ट्रांसपोर्ट बिलों के जरिए कंपनी की वित्तीय साख का दुरुपयोग किया। मामला कंपनी और निवेशकों के हितों को प्रभावित करने वाला है।
Reliance group: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली में रिलायंस पावर लिमिटेड के CFO अशोक कुमार पाल को फर्जी बैंक गारंटी और इनवॉइसिंग मामले में गिरफ्तार किया है। अधिकारियों के अनुसार, अशोक पाल ने SECI BESS टेंडर से जुड़ी फाइलों और दस्तावेजों का दुरुपयोग कर 68 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी बैंक गारंटी जमा कराई और करोड़ों रुपये के फर्जी ट्रांसपोर्ट बिलों के जरिए धन का गबन किया। गिरफ्तार होने के बाद उन्हें रिमांड के लिए जज के सामने पेश किया जाएगा। यह मामला कंपनी और निवेशकों के वित्तीय हितों को सीधे प्रभावित करता है।
गिरफ्तारी और मामले का खुलासा
ED ने आरोप लगाया है कि अशोक पाल ने रिलायंस पावर से जुड़े फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने SECI (Solar Energy Corporation of India) के बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) टेंडर से जुड़ी फाइलों और दस्तावेज़ों को अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हुए गलत तरीके से मंजूरी दी। इसके जरिए उन्होंने कंपनी की वित्तीय स्थिति का दुरुपयोग किया और फर्जी बैंक गारंटी जमा कराई।
सूत्रों के अनुसार, उन्होंने Biswal Tradelink Pvt. Ltd. (BTPL) को बैंक गारंटी देने के लिए चुना। यह कंपनी एक छोटी फर्म है जिसका रेजिडेंशियल पता है और जिसके पास किसी भी असली बैंक गारंटी जारी करने का रिकॉर्ड नहीं है। इस मामले में BTPL के डायरेक्टर पार्थ सारथी बिस्वाल फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
फर्जी बैंक गारंटी और धन गबन
अशोक पाल पर आरोप है कि उन्होंने 68 करोड़ रुपये से ज्यादा की फर्जी बैंक गारंटी जमा कराई। इसके अलावा, उन्होंने करोड़ों रुपये के फर्जी ट्रांसपोर्ट बिलों के जरिए धन निकालने का भी काम किया। बताया जाता है कि फाइलों को व्हाट्सएप और टेलीग्राम के जरिए मंजूरी दी गई, ताकि भुगतान कंपनी के आधिकारिक SAP या वेंडर सिस्टम से बाहर किया जा सके।
घोटाले की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि फर्जी बैंक गारंटी FirstRand Bank, Manila, Philippines के नाम से पेश की गई। हालांकि इस बैंक की फिलीपींस में कोई शाखा मौजूद नहीं है।
नकली बैंक डोमेन का इस्तेमाल
अशोक पाल ने फर्जी बैंक गिरोह की मदद ली, जिसने नकली ईमेल डोमेन बनाए। इन डोमेनों का इस्तेमाल करके लोगों को यह भ्रम कराया गया कि यह असली बैंक हैं। नकली डोमेनों में s-bi.co.in, lndianbank.in, lndusindbank.in, pnblndia.in, psdbank.co.in, siliguripnb.co.in, Iobbank.co.in और unionbankoflndia.co.in शामिल हैं। इस पूरे घोटाले में उनके दिमाग और योजना का योगदान अहम था।
अनिल अंबानी ग्रुप और वित्तीय चुनौतियां
इस घटना ने रिलायंस पावर और अनिल अंबानी ग्रुप की पहले से ही मुश्किल में चल रही वित्तीय स्थिति पर और दबाव डाल दिया है। ED के अनुसार, RHFL और RCFL की ओर से 12,524 करोड़ रुपये के लोन दिए गए थे, जिनमें से 6,931 करोड़ रुपये को नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (NPA) घोषित किया गया। अशोक पाल की गिरफ्तारी इस मामले में एक और बड़ा झटका साबित हो सकती है।
कंपनी और निवेशकों पर असर
रिलायंस पावर लिमिटेड एक लिस्टेड कंपनी है, जिसमें जनता की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से अधिक है। अशोक पाल पर लगे आरोपों से आम जनता और निवेशकों के हितों को सीधा नुकसान पहुंच सकता है। फर्जी बैंक गारंटी, फंड डाइवर्जन और फर्जीवाड़े के चलते कंपनी की वित्तीय साख पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है।
ED की कार्रवाई
ED ने इस मामले में फंडिंग, योजना और सबूत छिपाने में अशोक पाल की भूमिका को गंभीर बताया। अधिकारियों का कहना है कि जांच अभी जारी है और घोटाले की पूरी तस्वीर सामने आने में समय लगेगा। ED का मानना है कि अशोक पाल की गिरफ्तारी से मामले की जांच और तेज़ होगी और अन्य संबंधित पक्षों तक भी कार्रवाई पहुंच सकेगी।