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Bihar Election 2025: हरनौत में जदयू के भीतर बगावत, नीतीश कुमार के 'होम ग्राउंड' पर आया सियासी भूचाल

Bihar Election 2025: हरनौत में जदयू के भीतर बगावत, नीतीश कुमार के 'होम ग्राउंड' पर आया सियासी भूचाल

बिहार की राजनीति में हरनौत विधानसभा क्षेत्र से एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। जदयू के अंदर पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। 

पटना: नीतीश कुमार के पैतृक प्रखंड हरनौत में जदयू के भीतर बगावत के सुर तेज हो गए हैं। पार्टी के कुछ नेता अब खुले तौर पर नीतीश कुमार की नीतियों और निर्णयों के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। विशेषकर हरनौत प्रखंड से लगातार पांच बार जेडीयू विधायक रहे हरिनारायण सिंह को लेकर विरोध चरम पर है। जदयू नेता संजयकांत सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार हमेशा परिवारवाद के खिलाफ बात करते हैं, लेकिन हरनौत विधानसभा में वही बात उल्टी लागू होती दिख रही है। पिछले चुनाव में हरिनारायण सिंह ने खुद चुनाव न लड़ने और बेटे को मैदान में उतारने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने स्वयं उम्मीदवार बनना पसंद किया।

हरिनारायण सिंह और उनके पुत्र को लेकर असंतोष

हरनौत प्रखंड, जो कि नीतीश कुमार के पैतृक क्षेत्र में आता है, वहां जदयू के अंदर असंतोष की लहर चल रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले चुनाव में हरिनारायण सिंह ने खुद चुनाव न लड़ने और अपने पुत्र को मैदान में उतारने की बात कही थी, लेकिन फिर उन्होंने स्वयं उम्मीदवार बनकर पार्टी की रणनीति को चुनौती दी। अब पार्टी के भीतर यह सवाल उठ रहा है कि क्या उन्हें या उनके पुत्र अनिल कुमार को फिर से टिकट मिलनी चाहिए।

जदयू कार्यकर्ताओं ने साफ कहा है कि यदि पार्टी किसी तरह हरिनारायण या उनके पुत्र को टिकट देती है तो स्थानीय स्तर पर पार्टी की पकड़ कमजोर हो सकती है। वे मांग कर रहे हैं कि इस बार हरनौत से नीतीश कुमार के पुत्र निशांत कुमार या पार्टी के वरिष्ठ नेता संजयकांत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया जाए।

नीतीश कुमार के पैतृक क्षेत्र में राजनीति में भूचाल

नीतीश कुमार हमेशा परिवारवाद और पैतृक दबाव के खिलाफ बयान देते आए हैं। लेकिन हरनौत में जदयू के अंदर उठ रही यह बगावत संकेत देती है कि पार्टी की निर्णय प्रक्रिया पर स्थानीय दबाव बढ़ता जा रहा है। अगर पार्टी कार्यकर्ताओं की चेतावनी को नजरअंदाज करती है, तो आगामी चुनाव में मतदाता और पार्टी कार्यकर्ता दोनों ही रणनीति को प्रभावित कर सकते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह असंतोष नीतीश कुमार के पैतृक क्षेत्र में पार्टी की विश्वसनीयता और चुनावी संभावनाओं पर असर डाल सकता है। यदि स्थानीय स्तर पर पार्टी में दरार बढ़ती है, तो विरोधी दलों को भी इसका फायदा मिलने की संभावना है।

जदयू के लिए चुनावी चुनौती

हरनौत विधानसभा क्षेत्र जदयू के लिए हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। पिछले कई चुनावों में पार्टी ने यहां सफलता हासिल की है। लेकिन इस बार उठी बगावत ने पार्टी के अंदर एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि टिकट वितरण में पारदर्शिता नहीं बरती गई तो स्थानीय स्तर पर चुनावी माहौल तनावपूर्ण हो सकता है।

संजयकांत सिंह ने कहा, नीतीश कुमार हमेशा परिवारवाद के खिलाफ बोलते हैं, लेकिन हरनौत में वही बात उल्टी लागू होती दिख रही है। यदि पार्टी ने इस बार भी पुराने फैसलों को दोहराया, तो इसकी कीमत उसे भुगतनी पड़ सकती है।

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