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अमेरिका का नया टैरिफ आदेश जारी, भारत को मिली एक हफ्ते की राहत, 7 अगस्त से लगेगा 25% शुल्क

अमेरिका का नया टैरिफ आदेश जारी, भारत को मिली एक हफ्ते की राहत, 7 अगस्त से लगेगा 25% शुल्क

अमेरिका ने एक बार फिर दुनिया भर के देशों के लिए अपने आयात शुल्क यानी टैरिफ की सूची जारी की है। इस बार सूची में कुल 69 देशों के नाम हैं, जिन पर अलग-अलग दरों से शुल्क लगाया जाएगा। इसमें भारत का भी नाम शामिल है, जिस पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाना था। हालांकि भारत को थोड़ी राहत मिली है, क्योंकि यह टैरिफ अब 1 अगस्त के बजाय 7 अगस्त 2025 से लागू होगा। यानी भारत को फिलहाल एक हफ्ते की मोहलत मिल गई है।

ट्रंप ने आदेश पर किए दस्तखत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार देर रात इस टैरिफ आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह आदेश 7 अगस्त से प्रभाव में आ जाएगा। व्हाइट हाउस के अनुसार, यह निर्णय अमेरिका की "पारस्परिक व्यापार" नीति का हिस्सा है, जिसमें वह चाहता है कि जिन देशों के साथ वह व्यापार करता है, वे भी अमेरिका के लिए समान और लाभकारी शर्तों को स्वीकार करें।

कई देशों पर लगे भारी शुल्क

अमेरिका की नई सूची में कुछ देशों पर बेहद भारी शुल्क लगाए गए हैं। सबसे ज्यादा 41 प्रतिशत टैरिफ सीरिया पर लगाया गया है। इसके बाद स्विट्जरलैंड पर 39 प्रतिशत, लाओस और म्यांमार पर 40 प्रतिशत, इराक और सर्बिया पर 35 प्रतिशत, और लीबिया तथा अल्जीरिया पर 30 प्रतिशत टैरिफ तय किया गया है। यह दरें इस बात पर आधारित हैं कि इन देशों के साथ अमेरिका के व्यापार संबंध कितने संतुलित हैं।

भारत पर क्यों लगा 25 प्रतिशत शुल्क

भारत पर अमेरिका ने 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है। अमेरिका का मानना है कि भारत के साथ उसका व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है, और दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात का संतुलन नहीं है। इसी वजह से भारत को उस सूची में रखा गया है जिसमें उच्च टैरिफ दरें लागू की जा रही हैं। भारत के साथ वियतनाम और ताइवान जैसे देशों पर भी 20 से 25 प्रतिशत के बीच टैरिफ लागू किया जाएगा।

समझौते की आखिरी कोशिशें

सूत्रों के अनुसार, अमेरिका ने कई देशों को शुक्रवार तक की डेडलाइन दी थी ताकि वे अमेरिका के साथ अंतिम समय में समझौता कर सकें और भारी टैरिफ से बच सकें। कुछ देशों ने समझौते कर लिए हैं, जबकि कुछ को अभी और बातचीत करनी है। भारत भी अमेरिका के साथ कूटनीतिक स्तर पर बात कर रहा है ताकि टैरिफ की दरों में कुछ राहत मिल सके।

डिफॉल्ट टैरिफ की भी घोषणा

इस नई टैरिफ नीति के तहत जो देश अमेरिका की सूची में शामिल नहीं हैं, उन पर 10 प्रतिशत की डिफॉल्ट टैरिफ दर लागू की जाएगी। यानी जिन देशों से अमेरिका का खास व्यापारिक रिश्ता नहीं है या जिनके साथ कोई अलग समझौता नहीं हुआ है, उन पर यह सामान्य दर लागू होगी। इससे यह साफ है कि अमेरिका अब अपने हर व्यापारिक रिश्ते को लाभ के तराजू पर तौलना चाहता है।

7 अगस्त तक क्यों टला आदेश

अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक, 7 अगस्त तक टैरिफ लागू न करने का फैसला इस वजह से लिया गया है ताकि नई टैरिफ व्यवस्था को व्यवस्थित तरीके से लागू किया जा सके। इसके लिए अमेरिकी व्यापार विभाग और कस्टम्स विभाग को समय चाहिए ताकि वे नई दरों के अनुसार आयात नियमों को अपडेट कर सकें।

वैश्विक व्यापार पर असर की आशंका

अमेरिका का यह कदम सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर भी असर डाल सकता है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और जब वह किसी देश के साथ व्यापार नीति बदलता है तो उसका असर अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर भी दिखाई देता है। अमेरिका ने पहले भी चीन, यूरोपीय संघ और कनाडा जैसे देशों के साथ व्यापार विवादों के चलते भारी टैरिफ लगाए हैं।

टैरिफ की वजह से कंपनियों की बढ़ेगी चिंता

भारत की कई कंपनियां अमेरिका को बड़े पैमाने पर सामान भेजती हैं, खासकर टेक्सटाइल, फार्मा, स्टील, ऑटो पार्ट्स और आईटी क्षेत्र की। अगर 25 प्रतिशत का टैरिफ लागू हो गया तो इन कंपनियों की लागत बढ़ेगी और उनका मुनाफा घट सकता है। इससे भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात भी प्रभावित हो सकता है। यही वजह है कि कारोबारी संगठन और निर्यातक संघ इस आदेश पर करीब से नजर बनाए हुए हैं।

क्या है अमेरिका की सोच

डोनाल्ड ट्रंप पहले भी "अमेरिका फर्स्ट" की नीति को लेकर चर्चा में रहे हैं। उनका मानना है कि अमेरिका को अपने व्यापारिक साझेदारों से ज्यादा फायदा मिलना चाहिए और अगर ऐसा नहीं हो रहा तो उन्हें इसका मूल्य देना चाहिए। यही वजह है कि टैरिफ एक ऐसा हथियार बन गया है जिससे अमेरिका बाकी देशों पर दबाव बना रहा है।

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