चीन ने अमेरिका की टैरिफ अपील को नकारते हुए कहा कि दबाव और धमकी से समस्याओं का हल नहीं निकलता। रूस और अन्य देशों के साथ चीन का आर्थिक सहयोग पूरी तरह वैध है। जवाबी कदम उठाने की चेतावनी भी दी।
Trump Tariff: चीन ने अमेरिका द्वारा G7 और नाटो देशों से अपने ऊपर और रूस से तेल खरीद रहे अन्य देशों पर टैरिफ लगाने की अपील को नकारते हुए इसे एकपक्षीय और दबाव डालने वाला कदम बताया। चीन ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका अपनी अपील पर अमल करता है तो वह जवाबी कदम उठाएगा।
अमेरिका के टैरिफ प्रस्ताव को चीन ने बताया गलत
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया कि रूस और अन्य देशों के साथ चीन का सामान्य आर्थिक और ऊर्जा सहयोग पूरी तरह वैध और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की अपील एकतरफा और आर्थिक दबाव डालने वाली कार्रवाई है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों को कमजोर करती है।
वैश्विक आपूर्ति शृंखला और उद्योगों को खतरा
लिन जियान ने कहा कि इस तरह के दबाव और धौंस से वैश्विक उद्योगों और आपूर्ति शृंखलाओं की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। उनका कहना था कि ऐसे कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अस्थिरता पैदा करते हैं और समस्याओं का समाधान नहीं करते।
चीन ने बार-बार यह कहा कि दबाव और धमकियों से समस्याओं का हल नहीं निकल सकता। यूक्रेन संकट को लेकर चीन का रुख स्पष्ट और स्थिर है और समाधान केवल संवाद और समझौते से ही संभव है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अपील
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए नाटो देशों को चीन पर 50 से 100 प्रतिशत तक टैक्स लगाना चाहिए और रूस से तेल की खरीद बंद करनी चाहिए। ट्रंप की इस अपील को चीन ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के उल्लंघन और दबाव डालने की कोशिश के रूप में देखा।
G7 और NATO की भूमिका
G7 विश्व की सात प्रमुख विकसित और औद्योगिक शक्तियों का समूह है, जिसमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं। NATO या उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन एक सैन्य गठबंधन है, जिसमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली समेत 30 सदस्य देश हैं। चीन ने कहा कि इन समूहों का अपने हिसाब से दबाव बनाना अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है।
चीन का वैश्विक व्यापार सहयोग
चीन ने स्पष्ट किया कि उसका रूस और अन्य देशों के साथ तेल और ऊर्जा सहयोग पूरी तरह वैध है। यह सहयोग अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार है और इसमें कोई गलती नहीं है। चीन ने अमेरिका और उसके सहयोगियों से अनुरोध किया कि वे दबाव और धमकियों से पीछे हटें और शांतिपूर्ण संवाद का विकल्प अपनाएं।