अशोक गहलोत ने पहलगाम आतंकी हमले पर गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग की है, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हुई थी। उन्होंने सरकार पर जवाबदेही से बचने, लोकतंत्र दबाने और उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर चुप्पी को लेकर भी सवाल उठाए।
Ashok Gehlot: पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार और खासकर गृह मंत्री अमित शाह पर तीखा हमला बोला है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर गहलोत ने सवाल उठाते हुए कहा कि, 'देश में जब 26 लोगों की जान चली गई, तब जिम्मेदारी किसकी थी? क्या उन मौतों की कोई जवाबदेही तय हुई?' उन्होंने सीधे तौर पर गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग कर दी है।
केंद्र सरकार पर तीखा हमला
बीकानेर में एक सभा को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि, 'पहलगाम जैसे उच्च सुरक्षा वाले इलाके में आतंकवादी हमला होता है, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे जाते हैं, और आज तक यह नहीं बताया गया कि इस चूक के लिए कौन जिम्मेदार है' उन्होंने यह भी कहा कि 'क्या अमित शाह केवल चुनाव जीतने के लिए ही गृह मंत्री हैं, या उन्हें देश की सुरक्षा की भी चिंता है?' गहलोत के इस बयान के बाद सियासी हलकों में एक बार फिर गर्माहट आ गई है। उन्होंने यह भी तंज कसा कि 'जब कांग्रेस सत्ता में होती है और कुछ होता है तो तुरंत इस्तीफे की मांग की जाती है, लेकिन जब बीजेपी सत्ता में है तो जवाबदेही कहीं दिखती ही नहीं।'
राहुल-प्रियंका के सवालों का जवाब क्यों नहीं?
गहलोत ने कहा कि 'राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लगातार ऐसे मुद्दों को उठाते हैं, जहां सरकार की लापरवाही सामने आती है, लेकिन केंद्र सरकार न तो जवाब देती है और न ही किसी के खिलाफ कार्रवाई करती है।' उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है और विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है।
धनखड़ के इस्तीफे को लेकर भी सरकार पर प्रहार
गहलोत ने हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, 'देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का इस्तीफा कोई छोटी बात नहीं होती, लेकिन न तो प्रधानमंत्री ने कुछ कहा, और न ही खुद धनखड़ साहब ने कोई स्पष्ट कारण बताया। क्या यह पारदर्शिता है?' उन्होंने यह भी कहा कि 'जब कोई सांसद इस्तीफा देता है, तब तक भी मीडिया में बवाल मच जाता है, लेकिन उपराष्ट्रपति का इस्तीफा बिना किसी चर्चा के स्वीकार कर लिया गया। इससे देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर सवाल उठते हैं।'
प्रधानमंत्री की चुप्पी पर उठाए सवाल
अशोक गहलोत ने पीएम मोदी पर सीधे हमला करते हुए कहा कि, 'प्रधानमंत्री खुद कई बार गलत निर्णय ले चुके हैं — चाहे वो नोटबंदी हो, लॉकडाउन की अनियोजित घोषणा हो या कृषि कानून। लेकिन क्या कभी उन्होंने अपनी गलती मानी? नहीं।' उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ प्रचार में व्यस्त है, असल मुद्दों से जनता को भटका रही है।
'26 मौतें सिर्फ एक आंकड़ा नहीं हैं'
गहलोत ने अपने संबोधन में पीड़ित परिवारों के दर्द को भी उठाया और कहा कि 'पहलगाम में मारे गए लोग कोई आंकड़े नहीं थे, वे किसी के बेटे, पिता और भाई थे। उनके परिजनों के लिए क्या न्याय हुआ? क्या केवल एक ट्वीट या मुआवजा ही काफी है?' उन्होंने कहा कि जब सरकारें संवेदनहीन हो जाती हैं, तो देश की आत्मा भी कराहने लगती है।
विपक्ष की भूमिका और लोकतंत्र
अशोक गहलोत ने यह भी कहा कि विपक्ष का काम सरकार से सवाल पूछना है और सरकार का कर्तव्य है कि वह जवाब दे। लेकिन आज जो स्थिति है, उसमें सरकार सवालों से बचती है, और जो सवाल पूछे जाते हैं, उन्हें देशद्रोही कहकर चुप कराया जाता है।
'गृह मंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए'
अपने वक्तव्य के अंत में गहलोत ने कहा कि '26 लोगों की मौत के बाद गृह मंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। यह परंपरा है, जिसे बीजेपी ने खुद विपक्ष में रहते हुए बार-बार दोहराया था।' उन्होंने मांग की कि पहलगाम हमले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।