एशियाई युवा खेलों में भारत की युवा कबड्डी टीम ने ऐसा प्रदर्शन किया जिसने पूरे देश को गर्व से भर दिया। बहरीन में खेले गए मुकाबले में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 81-26 के भारी अंतर से हराया।
स्पोर्ट्स न्यूज़: एशियाई युवा खेलों में भारत की युवा कबड्डी टीम ने पाकिस्तान को 81-26 के शानदार अंतर से हराकर पूरे देश का गौरव बढ़ाया। मैच से पहले टॉस के दौरान भारतीय कप्तान ईशांत राठी ने पाकिस्तानी कप्तान से हाथ मिलाने से मना कर दिया, जो अब तक सोशल मीडिया और खेल विश्लेषकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
भारत का दबदबा
मैच की शुरुआत से ही भारत ने विपक्षी टीम पर अपना दबदबा कायम किया। भारतीय खिलाड़ियों की गति, रणनीति और टीमवर्क के आगे पाकिस्तान टिक नहीं सका। भारतीय खिलाड़ियों ने अपने हमले और डिफेंस दोनों में बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिससे पाकिस्तान लगातार पीछे होता गया। इस परिणाम ने भारतीय कबड्डी टीम की ताकत और तैयारी को फिर से साबित कर दिया।
पाकिस्तान के खिलाफ मिली करारी हार से पहले भारत ने बांग्लादेश को 83-19 और श्रीलंका को 89-16 से हरा रखा था। इस तरह टीम इंडिया अब तक टूर्नामेंट में अपराजित रही है और फाइनल में अपनी जगह पक्की करने की ओर बढ़ रही है।
इस वर्ष के एशियाई युवा खेलों में पहली बार कबड्डी को शामिल किया गया है। टूर्नामेंट में सात देशों की टीमें राउंड-रॉबिन प्रारूप में एक-दूसरे से भिड़ रही हैं। इस फॉर्मेट में शीर्ष पर रहने वाली टीमें 23 अक्टूबर को फाइनल मुकाबले में आमने-सामने होंगी। मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि भारत की टीम फाइनल में अपनी जगह लगभग सुनिश्चित कर चुकी है।
भारत की टीम की लगातार जीत और प्रभावशाली प्रदर्शन ने यह साफ कर दिया है कि युवा खिलाड़ी खेल की रणनीति और मानसिक मजबूती में कितने तैयार हैं। उनके हमले की तेज़ी और डिफेंस की मजबूती ने पाकिस्तान को हर पहलू में पीछे कर दिया।
‘नो हैंडशेक’ पर विवाद
टॉस के दौरान भारतीय कप्तान ईशांत राठी द्वारा पाकिस्तानी कप्तान से हाथ न मिलाने का कदम चर्चा में रहा। भारत और पाकिस्तान के बीच खेल में यह रवैया अब एक ट्रेंड बनता जा रहा है। कुछ महीनों पहले एशिया कप क्रिकेट में सूर्यकुमार यादव की टीम ने मैच के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ न मिलाया था। महिला टीम ने भी इसी वर्ष विश्व कप में ऐसा ही किया।
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिया गया था, जिसमें 26 भारतीय शहीद हुए थे। खेल जगत में इसे एक मूक विरोध के रूप में देखा जा रहा है। इसके बावजूद भारतीय खिलाड़ियों को देशव्यापी समर्थन मिला और सोशल मीडिया पर उनके साहस और खेल भावना की सराहना की जा रही है।