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अयोध्या की रामलीला ने पाश्चात्य (World) स्तर पर दी प्रस्तुति — “विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक महाकुंभ”

अयोध्या की रामलीला ने पाश्चात्य (World) स्तर पर दी प्रस्तुति — “विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक महाकुंभ”

अयोध्या, उत्तर प्रदेश — भारत की पवित्र नगरी अयोध्या हाल ही में एक ऐसी सांस्कृतिक महाभूमिका की गवाह बनी, जिसने 50 देशों में जाकर करोड़ों लोगों को जोड़ दिया। खबर है कि इस रामलीला कार्यक्रम को करीब 62 करोड़ (620 मिलियन) दर्शकों ने देखा — एक ऐसा आंकड़ा जो भारत के लोकसंस्कृति को विश्वजनतक खिड़की में ले आया।

आयोजन में भाग लेने वाले कलाकारों की संख्या और प्रकार उल्लेखनीय हैं — 250 से अधिक फिल्म और रंगकर्मी मंच पर आए, और उनका हर रूप, हर भाव रंगों और भावनाओं से सराबोर था।

डिजिटल टेक्नॉलॉजी की शक्ति का भरपूर प्रयोग किया गया — लाइव स्ट्रीमिंग, ऐप्स, सोशल प्लेटफार्मों ने इस महायज्ञ को घरघर तक पहुंचाया।

अनुमान है कि प्रसारण और तकनीकी खर्च में 10+ करोड़ रुपये की “डिजिटल पूंजी” लगी — ये सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक क्रांति का संवाद था। इस घटना का महत्व — सिर्फ भव्यता नहीं, संबोधन भी संस्कृति का वैश्विक प्रसार

जब रामलीला नाट्य रूप से इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफार्मों के जरिये 50 देशों तक पहुंच जाए, तो यह सिर्फ श्रद्धालुओं तक सीमित नहीं, बल्कि सांस्कृतिक राजदूत बन जाती है। यह वो पुल है जो भारत को उसकी आत्मा के साथ दुनिया से जोड़ता है।

लोक-अद्योगिकी एवं अवसर

इस तरह के आयोजन न सिर्फ दर्शकों को जोड़ते हैं, बल्कि स्थानीय कला, शिल्प, आयोजकों, छोटे व्यावसायों को एक मंच देते हैं — टिकटिंग से लेकर मर्चेंडाइज तक, इवेंट इकॉनमी को गति मिलती है।

डिजिटल साक्षरता + नवप्रयास

ये कार्यक्रम दर्शाता है कि कैसे धार्मिक-लोक आयोजन अब डिजिटल भाषा में खुद को ताज़ा कर रहे हैं — लाइव स्ट्रीम, एपीआई, यूज़र इंटरफेस, भाषा अनुवाद — ये सब जोड़ते हैं स्थानीय से ग्लोबल तक की यात्रा।

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