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भारत के 'मिशन मून' का ऐतिहासिक दिन: चंद्रयान-1 ने पहली बार चंद्रमा की कक्षा में आज ही के दिन किया प्रवेश

भारत के 'मिशन मून' का ऐतिहासिक दिन: चंद्रयान-1 ने पहली बार चंद्रमा की कक्षा में आज ही के दिन किया प्रवेश

आज का दिन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। लगभग 17 साल पहले, 8 नवंबर 2008 को भारत ने अपने पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया था। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा का एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुआ।

Chandrayaan 1: अंतरिक्ष  सिर्फ एक मंज़िल नहीं, बल्कि जिज्ञासा, साहस और सामूहिक प्रगति का प्रतीक है। भारत की अंतरिक्ष यात्रा इसी जज़्बे का जीवंत उदाहरण है। 1963 में एक छोटे रॉकेट के लॉन्च से लेकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनने तक, भारत की यह यात्रा अत्यंत शानदार रही है। इस सफर में कई ऐतिहासिक उपलब्धियाँ शामिल हैं, जिनमें ‘चंद्रयान मिशन’ विशेष महत्व रखता है, जिसने दुनिया को यह बताया कि चांद पर पानी मौजूद है।

करीब 17 साल पहले, जब इसरो ने चंद्रयान-1 को श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया, तो केवल करोड़ों भारतीय ही गर्वित नहीं हुए, बल्कि पूरी दुनिया ने इसे नई उम्मीदों की किरण के रूप में देखा। यह उम्मीद थी ऐसे ग्रह की खोज की, जहाँ हवा और पानी मौजूद हों और मानव जाति की नई दुनिया बसाई जा सके। इसी खोज और आत्मविश्वास के साथ 22 अक्टूबर 2008 को भारत ने चंद्रमा की ओर अपनी पहली उड़ान भरी, जो भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई।

भारत की अंतरिक्ष यात्रा का सफर

भारत की अंतरिक्ष यात्रा 1963 में छोटे रॉकेट लॉन्च से शुरू हुई थी। उसके बाद धीरे-धीरे इसरो (ISRO) ने अंतरिक्ष विज्ञान में अनेक उपलब्धियां हासिल कीं। चंद्रयान-1 मिशन इस सफर का सबसे अहम पड़ाव था, जिसने दुनिया को यह दिखा दिया कि भारत भी चंद्रमा पर शोध करने में सक्षम है। चंद्रयान-1 का मिशन सिर्फ तकनीकी सफलता नहीं था, बल्कि यह भारत के वैज्ञानिक साहस, जिज्ञासा और सामूहिक प्रयास का प्रतीक बन गया। इस मिशन ने भारतीयों के लिए गर्व का क्षण प्रस्तुत किया और पूरे विश्व को भारत की नई क्षमताओं से परिचित कराया।

चंद्रयान-1 को श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर (SDSC) से 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च किया गया था। इसका प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा की सतह और वातावरण का अध्ययन करना था। इसमें वैज्ञानिक लक्ष्यों के तहत चंद्रमा के खनिज, रासायनिक संरचना और भू-वैज्ञानिक मैपिंग का विश्लेषण शामिल था। चंद्रयान-1 को पृथ्वी की कक्षा में 17.9 डिग्री झुकाव पर स्थापित किया गया और धीरे-धीरे इसके इंजन को सक्रिय करके इसे ऊंची कक्षा में पहुंचाया गया। इसके बाद यह चंद्रमा की ओर बढ़ा, और 8 नवंबर 2008 को शाम 5:05 बजे चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया।

चंद्र सतह पर मून इम्पैक्ट प्रोब का परीक्षण

चंद्रयान-1 ने 12 नवंबर के बाद अपनी परिचालन कक्षा को लगभग 100 किलोमीटर (62 मील) की ऊंचाई पर कम किया। 14 नवंबर 2008 को इस मिशन ने मून इम्पैक्ट प्रोब छोड़ा। यह प्रोब चंद्र सतह पर उतरने वाला भारत का पहला यान था। प्रोब से प्राप्त आंकड़ों ने यह स्पष्ट किया कि चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी के शुरुआती संकेत मिले हैं। इस खोज ने अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की योग्यता को और मजबूत किया और भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

मिशन के दौरान चंद्रयान-1 को कुछ तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अत्यधिक हीट के कारण इसकी कक्षा को 200 किलोमीटर तक समायोजित किया गया। बाद में इसके स्टार सेंसर (जो दिशा निर्धारण में मदद करते हैं) खराब हो गए, लेकिन वैज्ञानिकों ने जाइरोस्कोप की सहायता से मिशन को जारी रखा।

28 अगस्त 2009 को चंद्रयान-1 से संपर्क टूट गया। हालांकि यह अपने निर्धारित दो साल के मिशन अवधि से पहले ही समाप्त हुआ, लेकिन इस दौरान 95 प्रतिशत मिशन लक्ष्य सफलतापूर्वक पूरे हो चुके थे।

चंद्रमा पर पानी की खोज

चंद्रयान-1 की सबसे बड़ी उपलब्धि रही चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का पता लगाना। इस खोज ने दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय को चकित कर दिया। मिशन के माध्यम से मिली जानकारी ने यह पुष्टि की कि चंद्रमा पर हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के रूप में पानी के अणु मौजूद हैं। इस खोज ने भविष्य के चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 मिशनों के लिए मार्ग प्रशस्त किया और भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल कर दिया, जिन्होंने सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में उपग्रह स्थापित किया।

चंद्रयान-1 ने न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को विश्व स्तर पर प्रमाणित किया, बल्कि यह मिशन भारत के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कौशल और नवाचार क्षमता का परिचायक भी साबित हुआ। मिशन की सफलता ने भारत को चंद्रमा की खोज में अग्रणी देशों की श्रेणी में शामिल किया और भविष्य में और बड़े अंतरिक्ष अभियानों की राह आसान की।

 

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