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भारत ने चीन से आयातित 6 उत्पादों पर लगाया एंटी-डंपिंग शुल्क, घरेलू उद्योग को राहत

भारत ने चीन से आयातित 6 उत्पादों पर लगाया एंटी-डंपिंग शुल्क, घरेलू उद्योग को राहत

वाणिज्य मंत्रालय के अधीन कार्यरत व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) की सिफारिशों के आधार पर ये शुल्क लगाए गए हैं। भारत और चीन दोनों ही विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे बहुपक्षीय संस्थानों के सदस्य हैं, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों और मानदंडों का पालन सुनिश्चित करते हैं।

भारत सरकार ने चीन से आयात किए जा रहे छह उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने का बड़ा फैसला लिया है। यह कदम घरेलू उद्योगों को सस्ते और अनियंत्रित आयात से हो रहे नुकसान से बचाने के लिए उठाया गया है। ये शुल्क पांच वर्षों के लिए लागू किए गए हैं और इनका उद्देश्य वैश्विक व्यापार में संतुलन बनाना और घरेलू विनिर्माण को संरक्षण देना है।

किन-किन उत्पादों पर लगाया गया है शुल्क

भारत सरकार ने इस बार जिन छह उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया है, वे निम्नलिखित हैं

  1. PEDA (Phenyl Ethylamine Derivatives of Acetamide)  यह एक शाकनाशी है जिसका इस्तेमाल कृषि रसायनों में होता है।
  2. Acetonitrile  यह फार्मास्युटिकल और बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण सॉल्वेंट के रूप में उपयोग किया जाता है।
  3. Vitamin A Palmitate  फार्मा और हेल्थ सप्लिमेंट्स में इस्तेमाल होने वाला यह उत्पाद स्वास्थ्य उद्योग का जरूरी हिस्सा है।
  4. Insoluble Sulphur  टायर और रबर उद्योग में इसका व्यापक उपयोग होता है।
  5. Decor Paper  फर्नीचर और इंटीरियर डिजाइनिंग में काम आने वाला विशेष पेपर।
  6. Potassium Tertiary Butoxide  यह विशेष रसायनों और फार्मास्युटिकल्स के निर्माण में उत्प्रेरक के रूप में काम आता है।

शुल्क की राशि कितनी है

इन सभी उत्पादों पर लगने वाले शुल्क की राशि अलग-अलग तय की गई है। वाणिज्य मंत्रालय की शाखा व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) की सिफारिशों के आधार पर शुल्क इस प्रकार से तय किया गया है

  • PEDA: 1,305.6 से 2,017.9 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक
  • Acetonitrile (चीन, रूस, ताइवान से): 481 अमेरिकी डॉलर प्रति टन
  • Vitamin A Palmitate (चीन, यूरोपीय संघ, स्विट्ज़रलैंड से): 20.87 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम
  • Insoluble Sulphur (चीन और जापान से): 358 अमेरिकी डॉलर प्रति टन
  • Potassium Tertiary Butoxide (चीन और अमेरिका से): 1,710 अमेरिकी डॉलर प्रति टन
  • Decor Paper (चीन से): 542 अमेरिकी डॉलर प्रति टन

सरकार ने क्यों लिया यह फैसला

डंपिंग तब होती है जब कोई देश अपने उत्पादों को किसी दूसरे देश में वहां के बाजार मूल्य से कम कीमत पर बेचता है। इससे उस देश के घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुंचता है क्योंकि वे इतने कम मूल्य पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। भारत ने पाया कि ये छह उत्पाद भारत में बहुत सस्ते दर पर आ रहे थे, जिससे घरेलू उत्पादन इकाइयों को नुकसान हो रहा था।

एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने का उद्देश्य न तो व्यापार को रोकना है, न ही संरक्षणवाद को बढ़ावा देना। इसका मूल उद्देश्य है निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना। जब विदेशी कंपनियां अनुचित मूल्य निर्धारण करती हैं, तो यह कदम आवश्यक हो जाता है।

WTO की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियम

भारत और चीन दोनों विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सदस्य हैं। WTO के नियमों के अनुसार, जब कोई देश यह साबित कर देता है कि आयात हो रहा उत्पाद उसके घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंचा रहा है, तो वह एंटी-डंपिंग शुल्क लगा सकता है। DGTR की जांच के बाद भारत ने यह निष्कर्ष निकाला कि उपरोक्त उत्पादों पर शुल्क लगाना आवश्यक है।

घरेलू उद्योग को कैसे मिलेगा लाभ

इन शुल्कों से भारत में उन कंपनियों को सीधा लाभ मिलेगा जो फार्मा, रसायन, कृषि रसायन, रबर और फर्नीचर क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अब वे चीन से सस्ते उत्पादों के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकेंगी। इससे घरेलू उत्पादन को बल मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत मिशन को भी गति मिलेगी।

चीन से व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत और चीन के बीच व्यापार असंतुलन लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2024-25 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 99.2 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। भारत का चीन को निर्यात 14.25 अरब डॉलर रहा जबकि चीन से आयात 113.45 अरब डॉलर हो गया। पिछले वर्ष की तुलना में यह अंतर और बढ़ा है।

इससे स्पष्ट है कि भारत अपनी आवश्यकताओं के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर है। यह स्थिति दीर्घकालीन रणनीति के तहत बदलनी जरूरी है। सरकार ने हाल के वर्षों में चीन से कई उत्पादों के आयात पर निगरानी बढ़ाई है और आयात को घटाने के लिए विभिन्न नीतिगत प्रयास किए हैं।

क्या हो सकता है आगे का असर

  • विदेशी कंपनियों पर दबाव: चीन की कंपनियों को अब भारत में प्रवेश के लिए अधिक कीमतों पर उत्पाद भेजने होंगे।
  • घरेलू उत्पादन को बढ़ावा: भारतीय निर्माता इन उत्पादों को देश में ही बनाएंगे जिससे रोजगार और तकनीकी निवेश में वृद्धि होगी।
  • चीन के साथ व्यापार संबंधों में तनाव: यह कदम चीन को व्यापारिक रूप से असहज कर सकता है, हालांकि WTO के नियमों के तहत यह पूरी तरह वैध है।
  • उपभोक्ताओं पर हल्का बोझ: कुछ मामलों में इन उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं लेकिन दीर्घकाल में आत्मनिर्भरता से स्थायित्व मिलेगा।

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