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भारतीय शेयर बाजार में ई-कॉमर्स कंपनियों ने बदली बाज़ी, कौन बनेगा अगला गेम चेंजर?

भारतीय शेयर बाजार में ई-कॉमर्स कंपनियों ने बदली बाज़ी, कौन बनेगा अगला गेम चेंजर?

ई-कॉमर्स सेक्टर में खासतौर पर क्विक-कॉमर्स सेगमेंट में स्विगी, ब्लिंकइट और जेप्टो जैसी भारतीय कंपनियों ने तेजी से अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। ये कंपनियां कम समय में ग्राहकों तक डिलीवरी पहुंचाने के मॉडल पर काम कर रही हैं, जिससे इनकी मांग लगातार बढ़ रही है।

भारत के ई-कॉमर्स सेक्टर में इन दिनों जोरदार हलचल देखने को मिल रही है। जहां चीन की डिलीवरी कंपनियां घाटे से परेशान हैं, वहीं भारत में स्विगी, ब्लिंकिट और ज़ेप्टो जैसे प्लेटफॉर्म तेज़ी से मुनाफे की ओर बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में इन कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त तेजी आई है, जिससे निवेशकों का ध्यान इस सेक्टर की ओर खिंच गया है।

एक महीने में दोगुनी रफ्तार से बढ़े शेयर

ई-कॉमर्स सेक्टर में खासकर क्विक-कॉमर्स से जुड़ी कंपनियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। स्विगी के शेयरों में करीब 20 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है, जबकि ज़ोमैटो की मालिकाना कंपनी ईटरनल लिमिटेड के शेयर 11 फीसदी तक चढ़ गए हैं। ये उछाल उस वक्त आया है जब चीन की कंपनियों को भारी घाटा हो रहा है और उन्हें लागत घटाने के लिए कई कदम उठाने पड़ रहे हैं।

भारतीय कंपनियों की खास तैयारी

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की कंपनियों ने पिछले कुछ सालों में अपने डिलीवरी नेटवर्क को इतना मज़बूत बना लिया है कि अब नए खिलाड़ियों के लिए इस बाजार में पैर जमाना मुश्किल होता जा रहा है। स्विगी, ब्लिंकिट और ज़ेप्टो ने देशभर में छोटे-छोटे गोदाम, जिसे डार्क स्टोर्स कहा जाता है, खोले हैं। इससे ये कंपनियां 10 से 15 मिनट में जरूरी सामान ग्राहकों तक पहुंचा रही हैं।

फिसडम रिसर्च के प्रमुख नीरव कारकेरा का कहना है, "स्विगी जैसी कंपनियों ने डिलीवरी लागत पर गहरी पकड़ बना ली है। वे बहुत ही अनुशासन के साथ खर्च कर रही हैं, जिससे घाटा धीरे-धीरे कम हो रहा है।"

2030 तक 100 अरब डॉलर का बाजार

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का क्विक-कॉमर्स बाजार 2030 तक 100 अरब डॉलर यानी करीब 8.3 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है। इस समय स्विगी की इंस्टामार्ट, ब्लिंकिट और ज़ेप्टो इस बाजार में करीब 88 फीसदी हिस्सेदारी पर कब्जा जमाए हुए हैं। इन तीनों ने शुरुआती दिनों में भारी निवेश किया, जिससे मुनाफा कमाना थोड़ा मुश्किल रहा। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है।

छूट घटाने और चार्ज बढ़ाने से मुनाफे की ओर

JM Financial की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल इन कंपनियों ने छूट कम करने और छोटे ऑर्डर पर डिलीवरी चार्ज बढ़ाने जैसे कदम उठाए हैं, जिससे अब इनकी कमाई में सुधार होने लगा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्लिंकिट और इंस्टामार्ट का घाटा अब चरम पर पहुंच चुका है और अब इनमें मुनाफे की संभावना बनने लगी है।

कंपनियों ने बड़े ऑर्डर को प्रोत्साहित करने के लिए कई रणनीतियां अपनाई हैं। छोटे ऑर्डर पर अब मुफ्त डिलीवरी नहीं दी जा रही, जिससे ग्राहक अधिक समान एक साथ मंगवा रहे हैं। इससे डिलीवरी लागत में कमी और ऑर्डर वैल्यू में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

ज़ेप्टो की धमाकेदार एंट्री

जहां पुराने खिलाड़ी मुनाफे की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं ज़ेप्टो जैसे नए खिलाड़ी तेजी से बाजार में पकड़ बना रहे हैं। ज़ेप्टो ने खासकर मेट्रो शहरों में इंस्टामार्ट से कुछ मार्केट शेयर छीन लिया है। कंपनी ने हाल ही में निवेश जुटाने की प्रक्रिया शुरू की है और जल्दी ही अपना आईपीओ लाने की तैयारी में भी है।

विश्लेषकों का कहना है कि ज़ेप्टो की आक्रामक रणनीति से स्विगी और ब्लिंकिट को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन बढ़ते बाजार को देखते हुए सभी के लिए ग्रोथ की संभावना बनी हुई है।

स्विगी पर एनालिस्ट्स का भरोसा बढ़ा

हालांकि अभी तक स्विगी मुनाफे में नहीं पहुंची है, लेकिन 2024 के अंत में हुए लिस्टिंग के बाद कंपनी को निवेशकों से जबरदस्त समर्थन मिला है। सबसे ज्यादा ‘Buy’ रेटिंग्स अब तक स्विगी को ही मिली हैं, जिससे संकेत मिलता है कि मार्केट को इस कंपनी की ग्रोथ स्टोरी पर भरोसा है।

CLSA के एनालिस्ट आदित्य सोमन कहते हैं, "बड़ी कंपनियां छूट कम करने और चार्ज बढ़ाने के बावजूद भी अपने ग्राहक आधार को बनाए हुए हैं। उनका नेटवर्क इतना मजबूत है कि नई कंपनियों को कड़ी मेहनत करनी होगी।"

नई दिशाओं में बढ़ता कारोबार

ई-कॉमर्स कंपनियां अब सिर्फ किराना या खाने तक सीमित नहीं रहना चाहतीं। इनका अगला कदम फैशन, हेल्थकेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेगमेंट में भी क्विक डिलीवरी को शुरू करने का है। अगर यह रणनीति सफल रही, तो आने वाले सालों में भारत की क्विक-कॉमर्स इंडस्ट्री नई ऊंचाइयों पर पहुंच सकती है।

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