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भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों का आउटफ्लो: अगस्त में निकाले 21,000 करोड़

भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों का आउटफ्लो: अगस्त में निकाले 21,000 करोड़

अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते ट्रेड टेंशन, रुपये में गिरावट और कंपनियों के कमजोर नतीजों के चलते विदेशी संस्थागत निवेशक (FPI) भारतीय शेयर बाजार से लगातार पैसा निकाल रहे हैं। अगस्त के पहले दो हफ्तों में ही एफपीआई ने लगभग 21,000 करोड़ रुपये की निकासी की है, जबकि साल 2025 में अब तक कुल 1.16 लाख करोड़ रुपये का आउटफ्लो दर्ज हुआ है।

FPI Outflow: विदेशी निवेशकों की बिकवाली भारतीय शेयर बाजार में जारी है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। अगस्त 2025 के पहले पखवाड़े में एफपीआई ने 20,975 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की, वहीं जुलाई में 17,741 करोड़ रुपये बाहर गए। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड टेंशन, कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे और रुपये की गिरावट प्रमुख कारण हैं। साल 2025 में अब तक कुल 1.16 लाख करोड़ रुपये का आउटफ्लो हो चुका है। हालांकि कुछ निवेश बॉन्ड और प्रतिधारण मार्ग से भी किए गए हैं, जो बाजार में संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।

एफपीआई आउटफ्लो का आंकड़ा और पिछले ट्रेंड

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, 14 अगस्त तक एफपीआई ने भारतीय शेयरों से 20,975 करोड़ रुपये निकाले। जुलाई में भी यह आंकड़ा 17,741 करोड़ रुपये था। साल 2025 में अब तक कुल शुद्ध निकासी 1.16 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है।

विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया है। अमेरिका और अन्य विकसित देशों में बढ़ती ब्याज दरों और अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने उभरते बाजारों में निवेश की अपील घटा दी है।

अमेरिका-भारत ट्रेड टेंशन का असर

विदेशी निवेशकों की बिकवाली में भारत-अमेरिका के व्यापारिक तनाव का बड़ा हाथ है। प्रस्तावित 25% अतिरिक्त टैरिफ (सेकेंडरी टैरिफ) से बाजार अस्थिर हुआ है।

एंजल वन के वरिष्ठ विश्लेषक वकार जावेद खान के अनुसार, अमेरिका और रूस के बीच तनाव कम होने और नए प्रतिबंध न लगने से 27 अगस्त के बाद सेकेंडरी टैरिफ लागू होने की संभावना कम है। इसे बाजार के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

कंपनियों के कमजोर नतीजे और ऊंचे वैल्यूएशन

जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी. के. विजयकुमार ने बताया कि कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे और ऊंचे वैल्यूएशन भी एफपीआई आउटफ्लो का कारण हैं। मार्च-जून तिमाही में निवेश बढ़ा था, लेकिन अब बिकवाली का सिलसिला शुरू हो गया है।

हालांकि, बॉन्ड और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से निवेश भी जारी है। समीक्षा अवधि में बॉन्ड में 4,469 करोड़ रुपये और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 232 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।

विशेषज्ञ मानते हैं कि एफपीआई का रुख अब अमेरिका-भारत ट्रेड टैरिफ और वैश्विक आर्थिक गतिविधियों पर निर्भर करेगा। एसएंडपी द्वारा भारत की क्रेडिट रेटिंग को BBB- से BBB में अपग्रेड करना सकारात्मक संकेत है, जो विदेशी निवेशकों की धारणा को मजबूत कर सकता है।

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