बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। दोनों चरणों का नामांकन समाप्त हो चुका है और अब प्रत्याशी और नेता मैदान में उतर चुके हैं। इस बार सीट बंटवारे को लेकर चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
JDU Muslim Candidates: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है और सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार का सबसे चौंकाने वाला निर्णय जेडीयू (JDU) का मुस्लिम उम्मीदवारों को लेकर आया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2020 के मुकाबले इस बार केवल चार मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। जबकि पिछली बार 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को पार्टी ने मैदान में उतारा था।
जेडीयू के इस फैसले ने राजनीतिक विश्लेषकों और आम जनता में चर्चा छेड़ दी है। आइए जानते हैं कौन हैं ये चार मुस्लिम चेहरे और इनके राजनीतिक सफर के खास पहलू:
1. शगुफ्ता अजीम – अररिया
चार मुस्लिम उम्मीदवारों में सबसे चर्चित नाम शगुफ्ता अजीम है। शगुफ्ता अररिया विधानसभा से मैदान में हैं और यह उनका दूसरा मौका है। पिछली बार 2020 में शगुफ्ता अजीम जेडीयू की टिकट पर चुनाव लड़ी थीं और लगभग 48 हजार वोट से हार गई थीं, लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें भरोसा दिखाते हुए फिर मौका दिया। शगुफ्ता अजीम अपनी लोकप्रीयता और क्षेत्रीय समर्थन के कारण जेडीयू के लिए अहम चेहरे मानी जाती हैं।
2. साबिर अली – अमौर
दूसरे मुस्लिम उम्मीदवार हैं साबिर अली, जिन्हें अमौर विधानसभा से जेडीयू ने मैदान में उतारा है। पहले पार्टी ने अमौर सीट से सबा जफर को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन बाद में उनका सिंबल वापस ले लिया गया और साबिर अली को मौका दिया गया। साबिर अली पूर्व राज्यसभा सांसद रह चुके हैं और पार्टी में लंबे समय से जुड़े रहे हैं।
हालांकि, वे पहले पार्टी छोड़ चुके थे और बगावत की स्थिति भी बनी थी, लेकिन चुनाव से पहले फिर से जेडीयू में शामिल होकर नीतीश कुमार का भरोसा जीत लिया।
3. मंजर आलम – जोकीहाट
तीसरे मुस्लिम उम्मीदवार हैं मंजर आलम, जोकीहाट विधानसभा से जेडीयू के उम्मीदवार हैं। मंजर आलम ने 2010 में जेडीयू से चुनाव जीतकर नीतीश मंत्रिमंडल में भी जगह बनाई थी। हालांकि, 2015 और 2020 में उन्हें टिकट नहीं मिला, लेकिन अब 2025 में नीतीश कुमार ने उन्हें फिर मौका दिया। मंजर आलम को पार्टी में विश्वासी और भरोसेमंद सिपाही के रूप में जाना जाता है।
4. जमा खान – चैनपुर
चौथे मुस्लिम उम्मीदवार हैं जमा खान, जो चैनपुर विधानसभा से मैदान में हैं। जेडीयू में शामिल होने से पहले जमा खान ने 2020 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने जेडीयू जॉइन किया और अल्पसंख्यक मंत्री बनकर राज्य सरकार में अपनी भूमिका निभाई।2025 में उन्हें फिर मौका दिया गया है और नीतीश कुमार ने चैनपुर से उम्मीदवार के रूप में भरोसा जताया।
राजनीतिक विश्लेषक इस बदलाव को रणनीतिक कदम बता रहे हैं। उनका कहना है कि जेडीयू ने मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या कम करके सीटों पर मजबूत उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। पिछली बार 11 मुस्लिम उम्मीदवारों में से अधिकांश चुनाव जीत नहीं पाए थे, इसलिए इस बार केवल चार अनुभवी और भरोसेमंद नेताओं को टिकट देकर नीतीश कुमार ने चुनावी गणित को मजबूत किया है।