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‘प्रधानमंत्री’ शब्द से परहेज या राजनीतिक? सीएम रेखा गुप्ता ने पिछली सरकार पर उठाए गंभीर सवाल

‘प्रधानमंत्री’ शब्द से परहेज या राजनीतिक? सीएम रेखा गुप्ता ने पिछली सरकार पर उठाए गंभीर सवाल

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विधानसभा में कहा कि पिछली सरकार ने योजनाओं में 'प्रधानमंत्री' शब्द होने के कारण केंद्र द्वारा भेजे गए हजारों करोड़ रुपये का उपयोग नहीं किया। 

नई दिल्ली: विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सीएजी (CAG) रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए पूर्ववर्ती सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने योजनाओं में 'प्रधानमंत्री' शब्द होने के कारण केंद्र सरकार द्वारा आवंटित हजारों करोड़ रुपये के फंड का उपयोग नहीं किया, जिससे जनता के टैक्स का पैसा बर्बाद हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि एक सुनियोजित राजनीतिक रणनीति थी, जिसके पीछे केवल ‘प्रधानमंत्री’ शब्द से परहेज और केंद्र सरकार के साथ टकराव की राजनीति थी।

‘फ्री योजनाओं’ का सच क्या है?

सीएम गुप्ता ने पूर्व सरकार द्वारा चलाई गई मुफ्त योजनाओं को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पहले की सरकार ने यह दिखाने की कोशिश की कि वे जनता को अपनी जेब से सुविधाएं दे रही हैं, जबकि हकीकत यह है कि हर एक रुपये की बुनियाद जनता के टैक्स से बनी है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि 'लोगों को यह उम्मीद होती है कि उनके टैक्स से सड़कें, स्कूल, अस्पताल और स्वच्छ पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन इन पैसों का बड़ा हिस्सा वोट बैंक की राजनीति के लिए मुफ्त सुविधाओं में झोंक दिया गया।'

CAG रिपोर्ट में सामने आईं चौंकाने वाली बातें

रेखा गुप्ता ने सीएजी रिपोर्ट के हवाले से बताया कि 31 मार्च 2024 तक कुल 842 करोड़ रुपये ऐसे थे, जो खर्च ही नहीं किए गए। यह रकम उन योजनाओं से जुड़ी थी, जो केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित थीं और जिनमें 'प्रधानमंत्री' शब्द शामिल था। मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि क्या केवल इसीलिए उन योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया क्योंकि उनका नाम केंद्र से जुड़ा था?

कहां खर्च हुए फंड और कहां नहीं

सीएम गुप्ता ने रिपोर्ट के आंकड़ों को सामने रखते हुए बताया कि—

  • दिल्ली को केंद्र सरकार से 4800 करोड़ रुपये की ग्रांट प्राप्त हुई थी।
  • इसमें से 463 करोड़ रुपये पानी आपूर्ति पर,
  • 482 करोड़ रुपये फ्री बस सेवा पर,
  • और 3250 करोड़ रुपये फ्री बिजली योजना पर खर्च कर दिए गए।

लेकिन इसके उलट, स्वास्थ्य सेवाओं और आयुष्मान भारत जैसे महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए दिए गए 2400 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए गए। रेखा गुप्ता ने कहा, 'केंद्र ने आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत आधुनिक अस्पतालों और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के लिए धन दिया था, लेकिन उसे सिर्फ इसलिए नहीं खर्च किया गया क्योंकि उसमें प्रधानमंत्री शब्द जुड़ा था?'

PAC के पास भेजने की मांग

मुख्यमंत्री ने सीएजी रिपोर्ट में उजागर हुई वित्तीय अनियमितताओं पर गंभीर चिंता जताई और सुझाव दिया कि यह रिपोर्ट लोक लेखा समिति (PAC) के पास भेजी जानी चाहिए। PAC की जांच से यह तय किया जा सकेगा कि जनता के पैसे का सही इस्तेमाल हुआ या नहीं।

जनता के साथ विश्वासघात: मुख्यमंत्री

रेखा गुप्ता ने अपने भाषण में यह भी कहा कि टैक्स देने वाला नागरिक यह उम्मीद करता है कि उसका पैसा विकास में लगे। उन्होंने कहा कि, 'जनता के साथ यह धोखा है कि उनकी गाढ़ी कमाई को न तो पारदर्शिता से खर्च किया गया, और न ही सही दिशा में लगाया गया। एक शब्द की वजह से अगर हजारों करोड़ रुपये यूं ही पड़े रहें, तो यह आर्थिक कुशासन की पराकाष्ठा है।'

राजनीति या जनसेवा? उठता है बड़ा सवाल

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास योजनाएं किसी राजनीतिक दल की नहीं होतीं, बल्कि देश और समाज की होती हैं। उन्होंने अपील की कि नाम की राजनीति छोड़कर सभी दलों को जनता की सेवा के लिए एकजुट होना चाहिए।

'यदि कोई योजना ‘प्रधानमंत्री’ नाम से चल रही है और उसका लाभ जनता को मिल रहा है, तो उस योजना से परहेज करना जन विरोधी मानसिकता का परिचायक है,' उन्होंने जोड़ा।

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