साल 2025 में चांदी ने सोने को पछाड़ते हुए निवेशकों को सबसे ज्यादा मुनाफा दिया है। इस साल अब तक चांदी 53% चढ़कर ₹1,44,179 प्रति किलो के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, जबकि सोना 49% ही बढ़ा। डॉलर की कमजोरी, औद्योगिक मांग और ETF में निवेश ने चांदी की तेजी को बल दिया है।
Silver: 2025 में निवेश की दुनिया में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जहां सोना हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है, वहीं इस साल चांदी ने उसे पीछे छोड़ दिया है। MCX पर चांदी का भाव ₹1,44,179 प्रति किलो तक पहुंच गया, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। इस साल की शुरुआत से चांदी ने 53% की बढ़त दर्ज की है, जबकि सोने में 49% की वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों में चांदी की बढ़ती मांग, डॉलर की कमजोरी और ETF निवेश ने इस तेजी को मजबूती दी है।
चांदी की कीमतों में क्यों आई तेजी
चांदी की मांग में तेजी आने के पीछे कई कारण हैं। पहले इसे सिर्फ आभूषण और सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब यह औद्योगिक धातु के रूप में भी बेहद अहम हो चुकी है। खासकर हरित ऊर्जा क्षेत्र में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। सोलर पैनल बनाने और इलेक्ट्रिक वाहनों के पुर्जों में चांदी का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में हो रहा है। यही वजह है कि उद्योगों की बढ़ती जरूरतों ने चांदी की कीमतों को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।
दूसरा बड़ा कारण डॉलर का कमजोर होना है। जब डॉलर कमजोर पड़ता है तो कमोडिटी की कीमतें बढ़ जाती हैं। इस बार भी यही हुआ और चांदी के दाम को सीधा फायदा मिला। इसके अलावा निवेशकों का चांदी के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स यानी ईटीएफ में लगातार निवेश करना और बाजार में सप्लाई घटने से भी भाव में तेजी आई है।
सोने से आगे निकली चांदी
सोना हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है, लेकिन 2025 में चांदी ने साबित कर दिया है कि यह दोहरी भूमिका निभाने वाली धातु है। एक तरफ यह महंगाई से बचाव का काम करती है, दूसरी तरफ उद्योगों में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। यही कारण है कि निवेशकों का भरोसा इस साल बड़ी तेजी से चांदी की ओर बढ़ा है।
रिलायंस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक जिगर त्रिवेदी का कहना है कि निवेशकों के लिए चांदी आकर्षक विकल्प इसलिए बन गई है क्योंकि यह उद्योगों की रिकवरी का भी फायदा देती है। यानी इसमें निवेश करने वालों को महंगाई से सुरक्षा और विकासशील क्षेत्रों की ग्रोथ, दोनों का लाभ मिलता है।
14 साल बाद चांदी ने छुआ ऊंचा स्तर
मेटा इक्विटीज के उपाध्यक्ष राहुल कलानत्री बताते हैं कि चांदी ने 14 साल बाद इतना ऊंचा स्तर छुआ है। उनके मुताबिक वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती के बीच भी चांदी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए चांदी की रफ्तार आगे भी जारी रह सकती है।
आने वाले महीनों में क्या होगा
विशेषज्ञों की राय है कि चांदी की कीमतें आने वाले महीनों में और ऊपर जा सकती हैं। जिगर त्रिवेदी का अनुमान है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती की संभावना और औद्योगिक मांग में बढ़ोतरी से चांदी का भाव 1,70,000 रुपये से 1,75,000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकता है।
वहीं, राहुल कलानत्री का कहना है कि फिलहाल चांदी के लिए नजदीकी समर्थन स्तर 1,41,050 रुपये से 1,41,450 रुपये प्रति किलो के बीच है। जबकि इसका प्रतिरोध स्तर 1,42,950 रुपये से 1,43,800 रुपये प्रति किलो के दायरे में है। इसका मतलब यह है कि यदि चांदी इन स्तरों को पार करती है तो कीमतें और ऊंची जा सकती हैं।
वैश्विक नीतियों का असर
चांदी की कीमतों पर वैश्विक आर्थिक नीतियों और मुद्रास्फीति के रुझानों का गहरा असर पड़ता है। अमेरिका और यूरोप जैसे बड़े बाजारों में आर्थिक गतिविधियों की स्थिति सीधे तौर पर चांदी की मांग और सप्लाई को प्रभावित करती है। 2025 में कई देशों में हरित ऊर्जा पर जोर दिए जाने से इसकी खपत और भी बढ़ी है।
निवेशकों के लिए भरोसेमंद विकल्प
मौजूदा दौर में चांदी को एक भरोसेमंद निवेश माना जा रहा है। महंगाई और अनिश्चित आर्थिक माहौल के बीच यह निवेशकों को स्थिरता देने वाली धातु बन गई है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग इस साल सोने की बजाय चांदी में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।