दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा इन दिनों क्रिकेट जगत में चर्चा का विषय बने हुए हैं। भारत के लिए 103 टेस्ट और 5 वनडे खेलने के बाद पुजारा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इस स्टार खिलाड़ी ने हाल ही में सोशल मीडिया के जरिए अपने संन्यास की घोषणा की।
स्पोर्ट्स न्यूज़: चेतेश्वर पुजारा, भारतीय क्रिकेट के एक सम्मानित नाम, ने अपने 103 टेस्ट और 5 वनडे मैचों के शानदार करियर के बाद क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया है। यह खबर क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक भावुक पल है, क्योंकि पुजारा ने भारतीय क्रिकेट को कई यादगार पारी दी हैं और उन्हें “द वॉल” के नाम से जाना जाता है।
पिछले दो साल से टीम इंडिया से बाहर चल रहे पुजारा ने हाल ही में सोशल मीडिया के माध्यम से अपने संन्यास की घोषणा की। वे आखिरी बार वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2023 के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलते हुए नजर आए थे, उसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया।
पुजारा ने क्यों लिया संन्यास?
37 वर्षीय पुजारा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को राजकोट में अपने घर से इंटरव्यू देते हुए अपने संन्यास का कारण बताया। उन्होंने कहा:
'मैंने अपने परिवार, दोस्तों और कुछ क्रिकेटरों से सलाह ली। लेकिन मेरे लिए सबसे अहम बात यह थी कि मैं युवा खिलाड़ियों को मौका दूं। किसी भी खिलाड़ी को एक दिन खेल से आगे बढ़ना ही होता है। मैंने सोचा कि यह युवा खिलाड़ियों के लिए अपनी जगह बनाने और खुद को साबित करने का सही समय है।'
पुजारा ने यह भी बताया कि संन्यास लेने के बाद उन्होंने मीडिया और अन्य खेल संबंधित गतिविधियों में समय बिताया। उन्होंने कहा: मैं अभी भी खेल से जुड़ा हुआ हूं। भले ही मैं अब क्रिकेट खेल नहीं रहा, लेकिन खेल के साथ मेरा संबंध बना हुआ है। यह मेरे लिए अच्छी बात है। इससे पता चलता है कि पुजारा ने न केवल अपने करियर का सम्मान किया बल्कि टीम इंडिया के भविष्य को भी ध्यान में रखा।
करियर की चुनौतियां: सबसे कठिन गेंदबाज
इंटरव्यू के दौरान पुजारा से यह भी पूछा गया कि उनके करियर में उन्हें किस गेंदबाज को खेलना सबसे कठिन लगा। पुजारा ने चार नाम लिए:
- डेल स्टेन (Dale Steyn)
- मॉर्ने मॉर्कल (Morne Morkel)
- जेम्स एंडरसन (James Anderson)
- पैट कमिंस (Pat Cummins)
पुजारा ने कहा कि इन गेंदबाजों के खिलाफ खेलना उनकी क्रिकेट यात्रा का सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण हिस्सा था।
पुजारा का योगदान
चेतेश्वर पुजारा को भारतीय क्रिकेट में “द वॉल” के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने अपनी धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी, तकनीकी कौशल और मैच बचाने की क्षमता के लिए नाम कमाया।
- 103 टेस्ट मैच: कई मैचों में भारत की जीत की नींव रखी।
- 5 वनडे मैच: सीमित ओवर क्रिकेट में भी अपनी तकनीक दिखाई।
पुजारा ने खासतौर पर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में कठिन परिस्थितियों में टीम इंडिया के लिए कई मेमोरबल पारी खेली। उनकी धैर्यशील बल्लेबाजी ने भारतीय बल्लेबाजों के लिए उदाहरण कायम किया। पुजारा अब खेल के अन्य पहलुओं में सक्रिय हैं। वे क्रिकेट विश्लेषक, मीडिया इवेंट्स और खेल प्रचार गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। उनका मानना है कि खेल केवल मैदान तक सीमित नहीं होता; इसके कई आयाम हैं, जिनमें वे योगदान दे सकते हैं।