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चुनाव आयोग का बड़ा कदम: मतदाता सूची से मृतक और घुसपैठियों के नाम हटाने पर जनता से ली राय

चुनाव आयोग का बड़ा कदम: मतदाता सूची से मृतक और घुसपैठियों के नाम हटाने पर जनता से ली राय

चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची की शुद्धता के लिए SIR प्रक्रिया शुरू की। आयोग ने नागरिकों से पांच अहम सवाल पूछे हैं, ताकि मृतक, डुप्लिकेट और घुसपैठियों के नाम हटाकर सूची को पारदर्शी बनाया जा सके।

Bihar SIR: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को शुद्ध और पारदर्शी बनाने के लिए चुनाव आयोग ने देशभर के नागरिकों से सीधा संवाद शुरू किया है। विशेष गहन पुनरीक्षण यानी Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया के तहत आयोग ने पांच अहम सवाल पूछे हैं, जिनका मकसद मतदाता सूची को अद्यतन करना और उसमें मौजूद सभी गड़बड़ियों को दूर करना है। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया तभी सफल हो सकती है जब नागरिक खुद इसमें भाग लें और मतदाता सूची से अयोग्य नाम हटाने व योग्य नाम जोड़ने में सहयोग करें।

SIR प्रक्रिया का महत्व

SIR प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को पूरी तरह से सही और अद्यतन करना है ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हों। चुनाव आयोग का कहना है कि इसमें मृत व्यक्तियों के नाम हटाना, डुप्लिकेट नामों को एक जगह करना, स्थायी रूप से बाहर चले गए लोगों और विदेशियों के नाम हटाना शामिल है। बिहार में यह प्रक्रिया 24 जून 2025 को शुरू हुई थी और अब यह अपने अंतिम चरण में है। आयोग ने यह भी बताया है कि 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित मतदाता सूची के प्रारूप में कुल 7.24 करोड़ मतदाता शामिल हैं, जबकि लगभग 65 लाख नाम हटाए गए हैं। इनमें 22 लाख मृतक मतदाताओं के नाम, 7 लाख डुप्लिकेट नाम और 36 लाख ऐसे लोगों के नाम शामिल हैं जो बिहार से स्थायी रूप से बाहर चले गए हैं या जिनका पता नहीं लगाया जा सका।

चुनाव आयोग के पांच बड़े सवाल

चुनाव आयोग ने नागरिकों से पांच महत्वपूर्ण सवाल पूछे हैं। क्या मतदाता सूची की गहन जांच होनी चाहिए? क्या मृत व्यक्तियों के नाम हटाने चाहिए? जिन लोगों के नाम एक से ज्यादा जगह पर दर्ज हैं, क्या उन्हें एक ही जगह पर सीमित किया जाना चाहिए? जो लोग स्थायी रूप से दूसरी जगह चले गए हैं, उनके नाम हटाने चाहिए या नहीं? और सबसे अहम, क्या मतदाता सूची से विदेशियों के नाम हटाए जाने चाहिए?

आयोग ने कहा है कि अगर नागरिक इन सवालों का जवाब ‘हां’ में देते हैं तो उन्हें इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए आगे आना चाहिए, क्योंकि मतदाता सूची की शुद्धता लोकतंत्र की मजबूती के लिए सबसे जरूरी कदम है।

नागरिकों - राजनीतिक दलों की भागीदारी

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि अब तक आम नागरिकों और मतदाताओं की ओर से लाखों की संख्या में संशोधन के आवेदन आए हैं। लोग मृतक व्यक्तियों के नाम हटाने, डुप्लिकेट नामों को सुधारने और नए मतदाताओं को जोड़ने के लिए सक्रिय रूप से आवेदन कर रहे हैं। लेकिन राजनीतिक दल इस मामले में काफी पीछे रह गए हैं। 12 राजनीतिक दलों के पास 1.61 लाख बूथ लेवल एजेंट (BLA) हैं, लेकिन अब तक उन्होंने केवल 10 आपत्तियां ही दर्ज कराई हैं। आयोग का कहना है कि यह लोकतंत्र के लिए चिंता की बात है क्योंकि राजनीतिक दलों को भी इस प्रक्रिया में जिम्मेदारी से हिस्सा लेना चाहिए था।

निष्पक्षता पर जताया भरोसा

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को यह आश्वासन भी दिया है कि किसी भी योग्य मतदाता का नाम बिना पूर्व सूचना और सुनवाई के सूची से नहीं हटाया जाएगा। पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष है, जिसमें बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) और डेढ़ लाख से ज्यादा बूथ लेवल एजेंटों की टीम सक्रिय रूप से काम कर रही है। आयोग ने यह भी साफ किया है कि यह कदम किसी राजनीतिक या व्यक्तिगत उद्देश्य से नहीं, बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए उठाया गया है ताकि चुनावों पर किसी तरह का सवाल न उठ सके।

नागरिकों के लिए अंतिम मौका

आयोग ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें और मतदाता सूची को सही करने में सहयोग करें। बिहार में SIR के तहत नाम हटाने और जोड़ने के लिए आवेदन की अंतिम तिथि में अब केवल पांच दिन बचे हैं। ऐसे में अगर आपके परिवार में किसी का नाम जुड़ना है, हटाना है या किसी तरह की गड़बड़ी सुधारनी है तो यह सही समय है। याद रखें, एक सही मतदाता सूची ही निष्पक्ष चुनावों की गारंटी देती है और हर नागरिक का योगदान इसमें अहम है।

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