सिप्ला लिमिटेड ने FY2026 की दूसरी तिमाही में 3.7% की वृद्धि के साथ ₹1,353 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया, जबकि रेवेन्यू 7.6% बढ़कर ₹7,589 करोड़ रहा। EBITDA मामूली रूप से ₹1,895 करोड़ तक पहुंचा और मार्जिन 25% पर स्थिर रहा। बेहतर नतीजों के बावजूद खर्च बढ़ने से शेयर 2.6% गिरकर ₹1,539.35 पर बंद हुए।
Cipla Q2 Results FY 2025-26: फार्मा सेक्टर की दिग्गज कंपनी सिप्ला लिमिटेड ने 30 अक्टूबर 2025 को FY2026 की दूसरी तिमाही के नतीजे जारी किए, जिसमें कंपनी का शुद्ध मुनाफा (PAT) 3.7% बढ़कर ₹1,353 करोड़ पहुंचा। इस अवधि में कुल रेवेन्यू 7.6% बढ़कर ₹7,589 करोड़ रहा, जबकि EBITDA 0.5% बढ़कर ₹1,895 करोड़ पर रहा। हालांकि बढ़ते खर्चों और सीमित प्रॉफिट ग्रोथ के चलते बाजार में नकारात्मक प्रतिक्रिया दिखी और सिप्ला के शेयर 2.6% टूटकर ₹1,539.35 पर कारोबार करते दिखे।
कंपनी का मुनाफा मामूली बढ़ा
सिप्ला का शुद्ध लाभ (PAT) सितंबर तिमाही में 3.7 प्रतिशत बढ़कर 1,353.37 करोड़ रुपये पहुंच गया। पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी ने 1,305.01 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था। यानी कंपनी ने लाभ में हल्का सुधार तो किया है, लेकिन यह बाजार की उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा।
रेवेन्यू में 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी
कंपनी का कुल रेवेन्यू इस तिमाही में 7,589.44 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान अवधि के 7,051.02 करोड़ रुपये से 7.6 प्रतिशत अधिक है। रेवेन्यू में बढ़ोतरी का मुख्य कारण घरेलू बाजार में दवाओं की मजबूत बिक्री और अंतरराष्ट्रीय कारोबार से आई स्थिर आय रही।
शेयर बाजार में गिरावट

तिमाही नतीजों के ऐलान के बाद सिप्ला के शेयरों में कमजोरी देखी गई। दोपहर 2 बजे के आसपास कंपनी का शेयर 2.62 प्रतिशत गिरकर 1,539.35 रुपये पर कारोबार कर रहा था। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि निवेशक कंपनी के सीमित मुनाफे को लेकर सतर्क दिखे।
फार्मा और नए वेंचर्स से मिला सहारा
कंपनी ने बताया कि फार्मास्युटिकल सेगमेंट से उसका रेवेन्यू 7,291.43 करोड़ रुपये रहा। यह पिछले वर्ष की समान तिमाही के 6,775.56 करोड़ रुपये की तुलना में अधिक है। वहीं, नए वेंचर्स से सिप्ला को 350.68 करोड़ रुपये की आय हुई, जो पिछले वर्ष के 319.6 करोड़ रुपये से ज्यादा है। यह दर्शाता है कि कंपनी ने अपने नए कारोबारों से भी बेहतर प्रदर्शन किया है।
EBITDA और मार्जिन स्थिर रहे
सिप्ला का EBITDA (Earnings Before Interest, Tax, Depreciation and Amortization) इस तिमाही में 1,895 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल 1,886 करोड़ रुपये था। यानी EBITDA में 0.5 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी हुई। कंपनी का EBITDA मार्जिन 25 प्रतिशत पर स्थिर रहा। इससे पता चलता है कि कंपनी ने लागत नियंत्रण और लाभ में संतुलन बनाए रखा।
सितंबर तिमाही में सिप्ला का कुल खर्च 6,004.86 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष की समान तिमाही में यह 5,452.57 करोड़ रुपये था। लागत में बढ़ोतरी के बावजूद कंपनी ने मुनाफा बनाए रखा, जो इसके संचालन की दक्षता को दर्शाता है।
लंबी अवधि में अच्छा प्रदर्शन
भले ही हाल के सत्रों में सिप्ला के शेयरों में गिरावट आई हो, लेकिन लंबी अवधि में कंपनी ने बेहतर रिटर्न दिए हैं। पिछले एक वर्ष में शेयर में करीब 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। दो वर्षों में यह 32 प्रतिशत, तीन वर्षों में 37 प्रतिशत, और पिछले पांच वर्षों में करीब 109 प्रतिशत तक बढ़ा है।












