डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ चेतावनी के बावजूद भारतीय शेयर बाजार गुरुवार को मजबूती के साथ बंद हुआ। निफ्टी और सेंसेक्स ने आखिरी घंटे में तेजी दिखाई, जिसमें IT, फार्मा और PSU बैंकिंग सेक्टर की अहम भूमिका रही। F&O एक्सपायरी और शॉर्ट कवरिंग भी रिकवरी के प्रमुख कारण रहे।
नई दिल्ली: गुरुवार को शेयर बाजार में दिनभर कमजोरी के बाद आखिरी घंटे में जबरदस्त रिकवरी देखने को मिली। डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी के बावजूद निफ्टी करीब 250 अंकों की उछाल के साथ 24,596 और सेंसेक्स 79 अंकों की तेजी के साथ 80,623 पर बंद हुआ। IT, फार्मा और PSU बैंकों में खरीदारी से बाजार को मजबूती मिली। विश्लेषकों के अनुसार F&O एक्सपायरी, शॉर्ट कवरिंग और निचले स्तरों पर दिग्गज शेयरों में खरीदारी से यह तेजी संभव हुई।
निचले स्तर से वापसी: पूरे दिन दबाव, अंत में उछाल
गुरुवार का सत्र शेयर बाजार के लिए बेहद रोमांचक रहा। बाजार की शुरुआत कमजोर रही थी और दिनभर बिकवाली का माहौल भी हावी रहा। लेकिन जैसे ही कारोबार का आखिरी घंटा शुरू हुआ, बाजार ने पलटी मारते हुए तेजी की राह पकड़ ली।
निफ्टी 22 अंक की बढ़त के साथ 24,596 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स 79 अंकों की तेजी के साथ 80,623 पर बंद हुआ। खास बात यह रही कि यह तेजी निचले स्तरों से आई जबरदस्त खरीदारी के चलते आई।
किन सेक्टर्स ने दिखाई मजबूती
बाजार में जो रिकवरी देखने को मिली, उसमें आईटी और फार्मा सेक्टर की भूमिका सबसे अहम रही। इन दोनों सेक्टर्स में आखिरी घंटे में अच्छी खरीदारी देखी गई।
इसके अलावा बैंकिंग सेक्टर, खासकर PSU बैंक, ने भी बाजार को सहारा दिया। स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक जैसे शेयरों में मजबूती ने निफ्टी बैंक को हरे निशान में पहुंचा दिया।
क्या थे रिकवरी के कारण
बाजार में अचानक आई इस तेजी के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। सबसे पहला कारण है F&O एक्सपायरी का दिन, जिसके चलते आखिरी घंटों में शॉर्ट कवरिंग देखी गई। दूसरा कारण रहा कि निचले स्तरों पर दिग्गज शेयरों में आई खरीदारी, जिसने इंडेक्स को तेजी से ऊपर खींच लिया। इसके अलावा विश्लेषकों का मानना है कि बाजार पहले ही ओवरसोल्ड जोन में पहुंच चुका था, ऐसे में किसी भी सकारात्मक संकेत ने तेजी का माहौल बना दिया।
ट्रंप की टैरिफ धमकी का असर सीमित
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात ने वैश्विक बाजारों को हिलाया, लेकिन भारतीय बाजार ने इसे सीमित असर वाला कदम माना।
व्हाइट ओक के फाउंडर प्रशांत खेमका का कहना है कि ट्रंप का यह रवैया नीति की बजाय रणनीति का हिस्सा है। वह अक्सर अंतिम समझौते से पहले ऐसा रुख अपनाते हैं ताकि अपने पक्ष को मजबूत किया जा सके।
उनके अनुसार भारत से अमेरिका को निर्यात इतना अधिक नहीं है कि टैरिफ का व्यापक असर हो। हालांकि टेक्सटाइल जैसे कुछ सेक्टर्स पर दबाव बन सकता है, लेकिन संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव बहुत गहरा नहीं होगा।
ट्रेड डील की उम्मीद ने बढ़ाया भरोसा
बाजार को उम्मीद है कि भारत और अमेरिका के बीच 27 अगस्त की समयसीमा से पहले कोई समझौता हो सकता है। कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी नीलेश शाह का मानना है कि दोनों देशों को एक-दूसरे की जरूरत है। भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर ज्यादा निर्भर है और अमेरिकी टैरिफ का असर कुछ चुनिंदा सेक्टर्स तक ही सीमित रहेगा।
उनके मुताबिक, यह मुद्दा जल्द सुलझ जाएगा और मौजूदा अनिश्चितता अस्थायी सिद्ध हो सकती है।
बाजार में सतर्कता का माहौल भी बरकरार
जहां एक ओर बाजार ने आखिरी घंटे में राहत दी, वहीं सीएनबीसी आवाज के मैनेजिंग एडिटर अनुज सिंघल का मानना है कि निवेशकों को अभी भी सतर्क रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बाजार फिलहाल ट्रेंड के भरोसे नहीं है और दिशा तेजी से बदल रही है। जब तक वैश्विक और घरेलू अनिश्चितताएं स्पष्ट नहीं होतीं, तब तक बाजार में संवेदनशीलता बनी रहेगी।