देश के मशहूर उद्योगपति अनिल अंबानी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला सीधे बैंकिंग सिस्टम से जुड़ा है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी एसबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशन और इसके प्रमोटर डायरेक्टर अनिल अंबानी को ‘फ्रॉड’ घोषित कर दिया है। बैंक ने 24 जून 2025 को इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक को जानकारी दी है।
लेकिन सवाल उठता है कि आखिर इस कड़े कदम के पीछे वजह क्या है और अब आगे क्या हो सकता है।
13 जून को किया गया था फ्रॉड क्लासिफिकेशन
एसबीआई ने बताया है कि 13 जून 2025 को आरबीआई के फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट से जुड़े दिशा-निर्देशों और बैंक की आंतरिक नीति के आधार पर रिलायंस कम्युनिकेशन और अनिल अंबानी को फ्रॉड के रूप में चिह्नित किया गया था।
इस क्लासिफिकेशन की जानकारी 24 जून को आरबीआई को दी गई और अब सीबीआई में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
संसद में सामने आई जानकारी
इस पूरे मामले की जानकारी संसद तक पहुंच गई है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में लिखित जवाब के जरिए बताया कि अनिल अंबानी और उनकी कंपनी को फ्रॉड की कैटेगरी में इसलिए डाला गया क्योंकि बकाया कर्ज और बैंक गारंटी की वसूली में गंभीर अनियमितताएं सामने आई थीं।
उन्होंने बताया कि आरबीआई की गाइडलाइंस और एसबीआई की फ्रॉड क्लासिफिकेशन पॉलिसी के अनुसार यह कार्रवाई की गई है।
बकाया है भारी-भरकम कर्ज
एसबीआई के अनुसार, रिलायंस कम्युनिकेशन पर बैंक का कुल 2227.64 करोड़ रुपये का फंड-बेस्ड लोन बकाया है, जो कि 26 अगस्त 2016 से इंटरेस्ट सहित है। इसके अलावा 786.52 करोड़ रुपये की नॉन-फंड बेस्ड बैंक गारंटी भी कंपनी के जिम्मे है।
कुल मिलाकर बैंक का दावा है कि उसे कंपनी से लगभग तीन हजार करोड़ रुपये की देनदारी है, जिसकी अदायगी नहीं हुई है।
दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है कंपनी
रिलायंस कम्युनिकेशन इस समय इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड 2016 के तहत कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) से गुजर रही है। इस प्रक्रिया में क्रेडिटर्स की कमिटी ने रिजॉल्यूशन प्लान को पहले ही मंजूरी दे दी है और अब यह मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT), मुंबई के सामने है।
6 मार्च 2020 को यह प्लान NCLT में जमा किया गया था और अभी उसके फैसले का इंतजार किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिर एक्शन
27 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले में साफ कहा गया था कि फ्रॉड क्लासिफिकेशन से पहले बैंक को कर्ज लेने वाले पक्ष को सुनवाई का मौका देना होगा।
इसी फैसले के बाद बैंक ने 2 सितंबर 2023 को अनिल अंबानी का नाम फ्रॉड लिस्ट से हटा दिया था। लेकिन 15 जुलाई 2024 को आए आरबीआई के सर्कुलर के बाद दोबारा जरूरी प्रक्रिया अपनाई गई और फिर से अकाउंट को फ्रॉड घोषित कर दिया गया।
स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी
1 जुलाई 2025 को रिलायंस कम्युनिकेशन के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी दी कि कंपनी को बैंक द्वारा फ्रॉड कैटेगरी में डाला गया है।
इस घोषणा के बाद बाजार में कंपनी के शेयरों पर भी असर देखा गया।
अब क्या हो सकता है आगे
सीबीआई में शिकायत दर्ज होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यदि जांच एजेंसी इस मामले को गंभीर मानती है तो अनिल अंबानी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज हो सकती है।
बैंकिंग और कॉर्पोरेट सेक्टर की नजर अब इस बात पर टिकी है कि NCLT इस मामले में क्या फैसला सुनाता है और क्या सीबीआई इस मामले में चार्जशीट दायर करती है या नहीं।
पूरा मामला न केवल बैंकिंग सेक्टर के लिए बड़ा संकेत है बल्कि यह भी दिखाता है कि पुराने मामलों को लेकर बैंक अब ज्यादा सतर्क हो चुके हैं और बड़े नामों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हट रहे हैं।