पृथ्वी जुलाई-अगस्त 2025 में सामान्य से तेज घूमेगी, जिससे कुछ दिन 1.5 मिलीसेकंड तक छोटे होंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार यह बदलाव ग्लेशियर पिघलने और धरती के भीतर हलचलों के कारण हो रहा है।
Earth Rotation: वैज्ञानिकों की नई रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई और अगस्त 2025 में पृथ्वी अपनी सामान्य गति से कुछ अधिक तेज घूमेगी। इस बढ़ी हुई रफ्तार के कारण कुछ दिन सामान्य से थोड़े छोटे हो सकते हैं। टाइमएंडडेट.कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, 9 जुलाई, 22 जुलाई और 5 अगस्त को दिन लगभग 1.5 मिलीसेकंड तक छोटे होंगे। उदाहरण के तौर पर 5 अगस्त का दिन सामान्य से 1.51 मिलीसेकंड छोटा हो सकता है।
पृथ्वी की रोटेशन स्पीड में क्यों आ रहा है बदलाव
पृथ्वी की यह असामान्य गति वैज्ञानिकों के लिए एक चौंकाने वाला विषय बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पृथ्वी के गर्भ में होने वाली हलचलें, टेक्टोनिक गतिविधियां और ग्लेशियरों के पिघलने से द्रव्यमान के पुनः वितरण जैसे कारण इस बदलाव के पीछे हो सकते हैं। जब बर्फ की मोटी परतें पिघलती हैं, तो पृथ्वी के घूर्णन संतुलन पर असर पड़ता है और उसकी गति में बदलाव आता है।
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल इवेंट्स की भूमिका
ग्लोबल वार्मिंग के चलते ग्लेशियरों का पिघलना अब सामान्य होता जा रहा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि अल नीनो और ला नीना जैसी जलवायु घटनाएं भी धरती के घूमने की गति पर प्रभाव डाल सकती हैं। अल नीनो समुद्री सतह के तापमान को प्रभावित करता है, जिससे वायुमंडलीय दबाव और पृथ्वी की गति में मामूली परिवर्तन हो सकता है।
भविष्य में 'लीप सेकंड' को हटाने की जरूरत
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी (NIST) के भौतिक विज्ञानी जूडा लेविन के अनुसार, पृथ्वी की यह तेज गति काफी अनपेक्षित है। 2021 में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों को हमेशा यही उम्मीद थी कि समय के साथ पृथ्वी की गति धीमी होती जाएगी और 'लीप सेकंड' जोड़ने की जरूरत बनी रहेगी। लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं और संभावना है कि 2029 में पहली बार 'लीप सेकंड' को हटाना पड़े।
समय के कैलेंडर में बदलाव की तैयारी शुरू
धरती की इस नई चाल ने वैश्विक समय निर्धारण प्रणाली (Coordinated Universal Time - UTC) को भी प्रभावित करने की दिशा में बढ़ा दिया है। अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो भविष्य में समय कैलेंडर को पुनः परिभाषित करना पड़ सकता है। इसका असर दुनिया भर के तकनीकी सिस्टम्स पर भी पड़ेगा, खासकर GPS, इंटरनेट सर्वर और सैटेलाइट कम्युनिकेशन जैसे क्षेत्रों में, जहां समय का अंशमात्र अंतर भी महत्वपूर्ण होता है।
क्या चंद्रमा भी है इस बदलाव का हिस्सा
टाइमएंडडेट.कॉम की रिपोर्ट में एक और रोचक तथ्य सामने आया है। 2025 में जिन तीन तारीखों को दिन सबसे छोटे होंगे, उन दिनों चंद्रमा पृथ्वी के भूमध्य रेखा से सबसे दूर होगा। चंद्रमा और पृथ्वी के बीच गुरुत्वाकर्षण संबंध काफी गहरा है और यह पृथ्वी की धुरी पर घूमने की गति को प्रभावित कर सकता है। हालांकि यह संबंध अब भी वैज्ञानिकों के अध्ययन का विषय बना हुआ है।
पृथ्वी की घूर्णन गति में ऐतिहासिक परिवर्तन
इतिहास में पृथ्वी की गति कभी स्थिर नहीं रही है। कैल्कुलेशन से यह बात सामने आई है कि करोड़ों साल पहले एक साल में 490 से लेकर 372 दिन हुआ करते थे। धीरे-धीरे पृथ्वी की गति में स्थिरता आई और वर्तमान में यह लगभग 365.25 दिन में सूर्य का एक चक्कर पूरा करती है। अब एक बार फिर इस रफ्तार में सूक्ष्म बदलाव देखा जा रहा है, जिसे वैज्ञानिक नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं।
क्यों महत्वपूर्ण है मिलीसेकंड का अंतर
मिलीसेकंड भले ही सुनने में बहुत छोटा अंतर लगे, लेकिन तकनीकी दुनिया में यह बेहद अहम होता है। दुनिया भर की घड़ियों, अंतरिक्ष अभियानों, संचार उपग्रहों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों की सटीकता इस सूक्ष्म समय गणना पर ही निर्भर होती है। यदि दिन कुछ मिलीसेकंड छोटे हो जाते हैं, तो पूरे वैश्विक डेटा नेटवर्क को रीसेट करना पड़ सकता है।