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दिल्ली दंगा 2020: गुलफिशा फातिमा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की जमानत याचिका

दिल्ली दंगा 2020: गुलफिशा फातिमा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की जमानत याचिका

छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा ने दिल्ली दंगा 2020 मामले में जमानत खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्हें UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था और आरोप है कि उन्होंने दंगों की साजिश रची।

नई दिल्ली: दिल्ली दंगों की साजिश मामले में गिरफ्तार छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह कदम उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज करने के बाद उठाया है। गुलफिशा फातिमा पर गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम, UAPA के तहत आरोप हैं। पुलिस ने उन पर फरवरी 2020 के दंगों की साजिश रचने का आरोप लगाया है।

हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

2 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने साझा आदेश पारित करते हुए फातिमा और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोप गंभीर हैं और मामले में कानून के अनुसार जमानत की अनुमति देना उचित नहीं है।

इस आदेश के बाद फातिमा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती दी है। इस याचिका में उन्होंने कहा कि उन्हें कानूनी रूप से समय पर न्याय मिलने का अधिकार है और हिरासत में लंबा समय बिताना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। शरजील इमाम ने भी इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

फातिमा समेत 18 आरोपियों पर गंभीर आरोप

दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में फातिमा सहित कई अन्य आरोपियों पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने फरवरी 2020 के अंतिम सप्ताह में दिल्ली में हुए दंगों के लिए साजिश रची थी। इन आरोपियों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने CAA विरोधी आंदोलन को उकसाने और हिंसा को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई।

चार्जशीट में यह उल्लेख है कि आरोपियों ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक सभाओं के माध्यम से लोगों को भड़काने का प्रयास किया। पुलिस का कहना है कि ये गतिविधियां शांति और कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा थीं। इस मामले में कुल 18 आरोपियों के नाम शामिल हैं, जिनमें ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, शिफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, शादाब अहमद, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, सफ़ूरा जरगर, शरजील इमाम, देवांगना कलीता, फैजान खान और नताशा नरवाल शामिल हैं।

पूर्व में जमानत मिलने वाले आरोपि

जून 2020 में, सफूरा जरगर को गर्भावस्था के कारण मानवीय आधार पर जमानत दी गई थी। इसके बाद जून 2021 में हाईकोर्ट ने मेरिट के आधार पर तीन अन्य आरोपियों आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगना कलीता और नताशा नरवाल को जमानत प्रदान की।

हालांकि, फातिमा और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं को इस बार खारिज कर दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि मामला गंभीर है और जमानत देने से पुलिस जांच प्रभावित हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के फैसले से अब इस मामले की दिशा तय होगी।

फातिमा की सुप्रीम कोर्ट याचिका से कानूनी समीक्षा की उम्मीद

गुलफिशा फातिमा की सुप्रीम कोर्ट में याचिका से यह स्पष्ट होता है कि उच्च न्यायालय में जमानत देने के फैसले की समीक्षा का अवसर मिलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका की सुनवाई प्रक्रिया में सभी कानूनी तर्कों को सुना जाएगा और न्यायिक दृष्टिकोण से निष्पक्ष निर्णय लिया जाएगा।

फातिमा के वकील का कहना है कि उनके मुवक्किल ने पिछले चार साल से हिरासत में हैं और उनका लंबा समय जेल में बिताना मानवाधिकारों के सिद्धांतों के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न केवल फातिमा के लिए, बल्कि अन्य आरोपियों के मामले में भी व्यापक कानूनी प्रभाव पड़ेगा।

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