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दिल्ली में अब बैंकिंग और गैस सेवाओं को मिला 'जनसेवा' का दर्जा, आम लोगों को मिलेगी राहत

दिल्ली में अब बैंकिंग और गैस सेवाओं को मिला 'जनसेवा' का दर्जा, आम लोगों को मिलेगी राहत

दिल्ली में बैंकिंग, एनबीएफसी और गैस सेवाओं को अब पब्लिक यूटिलिटी माना जाएगा। उपराज्यपाल के इस फैसले से उपभोक्ताओं को लोक अदालतों में सस्ता और तेज न्याय मिलेगा।

Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बैंकिंग, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और गैस सप्लाई सेवाओं को 'Public Utility Services' की श्रेणी में शामिल कर दिया है। इस फैसले से उपभोक्ताओं को स्थायी लोक अदालतों के जरिए तेजी से और सस्ती न्यायिक राहत मिल सकेगी।

क्या है 'Public Utility' सेवाओं का मतलब?

Public Utility Services वे सेवाएं होती हैं जो आम जनता की रोजमर्रा की ज़रूरतों से जुड़ी होती हैं। इन्हें किसी विवाद की स्थिति में विशेष कानूनी दर्जा मिलता है, ताकि उपभोक्ताओं को न्याय के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े। दिल्ली में पहले बिजली, पानी, परिवहन और बीमा जैसी सेवाएं इस श्रेणी में थीं। अब बैंकिंग, NBFC और गैस सेवाओं को भी इस सूची में शामिल कर लिया गया है।

उप-राज्यपाल का फैसला

दिल्ली सरकार के विधि विभाग ने यह प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजा था। प्रस्ताव में कहा गया था कि इन क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं और परंपरागत अदालतों में लंबित मामलों की संख्या भी काफी अधिक है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए बैंकिंग, NBFC और गैस सप्लाई को 'Public Utility' घोषित कर दिया।

स्थायी लोक अदालतें क्या हैं?

स्थायी लोक अदालतें (Permanent Lok Adalats) वैकल्पिक विवाद समाधान मंच हैं, जहां बिना लंबी अदालती प्रक्रिया के समाधान निकाला जा सकता है। ये अदालतें सेवा से जुड़ी शिकायतों को सुनती हैं और सस्ता, तेज और प्रभावी न्याय देती हैं। इनका फैसला अंतिम और बाध्यकारी होता है।

बैंकिंग और NBFC विवाद

बैंकिंग और NBFC सेक्टर में उपभोक्ताओं को अक्सर कर्ज, रिकवरी, निवेश, सेवा की खराब गुणवत्ता या गलत बिलिंग जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अब ये विवाद लोक अदालतों में सुने जाएंगे। इससे खासतौर पर उन लोगों को राहत मिलेगी जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं और लंबे केस लड़ने की स्थिति में नहीं होते।

गैस सप्लाई सेवाएं भी अब लोक अदालत के दायरे में

गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों से जुड़े विवादों में ग्राहकों को अब सीधे लोक अदालत की सहायता मिलेगी। सिलेंडर की डिलीवरी में गड़बड़ी, चार्जिंग की समस्या या सेवा में लापरवाही जैसी शिकायतें अब बिना लंबी अदालती प्रक्रिया के हल की जा सकेंगी।

पहले से चल रही लोक अदालतें और आने वाले बदलाव

दिल्ली में पहले से तीन स्थायी लोक अदालतें काम कर रही हैं, जो बिजली कंपनियों से जुड़े विवादों को सुलझा रही हैं। अब दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLSA) अन्य सेवाओं जैसे- परिवहन, डाक, दूरसंचार, जल आपूर्ति, स्वास्थ्य और बीमा से जुड़े मामलों के लिए भी लोक अदालतें स्थापित करने की तैयारी में है।

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