Columbus

दिल्ली में पुराने कमर्शियल वाहनों पर बैन, सिर्फ BS-4 और BS-6 को मिलेगी एंट्री

दिल्ली में पुराने कमर्शियल वाहनों पर बैन, सिर्फ BS-4 और BS-6 को मिलेगी एंट्री

दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार ने पुराने कमर्शियल वाहनों पर बैन लगा दिया है। अब सिर्फ BS-4 और BS-6 गाड़ियां ही चल सकेंगी। इस फैसले से ट्रांसपोर्ट सेक्टर और छोटे व्यापारियों में नाराजगी बढ़ गई है।

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने सख्त कदम उठाया है। 1 नवंबर से केवल बीएस-4 और बीएस-6 मानक वाले कमर्शियल वाहनों को ही दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी, जबकि बीएस-3, बीएस-2 और बीएस-1 वाहनों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। सरकार का यह फैसला पर्यावरण सुधार के लिए तो अहम माना जा रहा है, लेकिन ट्रांसपोर्ट सेक्टर ने इसे “आर्थिक बोझ” करार देते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

पुराने वाहनों पर दिल्ली सरकार की सख्ती

दिल्ली सरकार ने बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक नवंबर से कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। अब राजधानी की सीमाओं में सिर्फ बीएस-4 और बीएस-6 कमर्शियल वाहन ही प्रवेश कर सकेंगे। इससे पुराने डीज़ल और पेट्रोल वाहनों को सड़कों से हटाया जाएगा, जिन्हें प्रदूषण का बड़ा कारण माना जाता है।

सरकार का कहना है कि यह कदम ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत लिया गया है, ताकि सर्दियों में बढ़ने वाले प्रदूषण स्तर को नियंत्रित किया जा सके। पर्यावरण विभाग के अनुसार, पुराने वाहनों से निकलने वाला धुआं राजधानी की हवा को 30 प्रतिशत तक खराब करता है।

सरकार के फैसले से ट्रांसपोर्टर नाराज़

ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने सरकार के इस निर्णय को अव्यावहारिक बताया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के अंदर स्थानीय सप्लाई — जैसे फल, सब्जी और रोजमर्रा की चीजों की डिलीवरी — आज भी पुराने छोटे वाहनों से होती है। ऐसे में बीएस-3 या बीएस-2 वाहनों पर रोक से छोटे व्यापारी और ट्रांसपोर्टर बुरी तरह प्रभावित होंगे।

कपूर ने चेतावनी दी कि जब ये वाहन सड़कों से हटेंगे, तो बाज़ारों में सप्लाई चेन टूटेगी और इसका सीधा असर आम उपभोक्ता पर पड़ेगा। फल, सब्जी और अनाज जैसी ज़रूरी वस्तुएं महंगी होंगी, जिससे महंगाई और बढ़ सकती है।

ट्रांसपोर्ट यूनियन का दावा

राजेंद्र कपूर का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण की असली वजह केवल पुराने वाहन नहीं हैं। उन्होंने कहा कि त्योहारों के कारण इस समय सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत कमर्शियल वाहन ही चल रहे हैं, इसके बावजूद दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार बढ़ रहा है। इससे साफ है कि समस्या की जड़ कहीं और है।

उनके अनुसार, निर्माण स्थलों की धूल, कूड़ा जलाना और औद्योगिक उत्सर्जन प्रदूषण के असली कारण हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब इन स्रोतों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं है, तो सिर्फ ट्रांसपोर्टरों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?

सरकार से संतुलित नीति की मांग

ट्रांसपोर्ट यूनियन ने दिल्ली सरकार से अपील की है कि वह ऐसा समाधान निकाले जिसमें पर्यावरण संरक्षण और रोजगार दोनों का संतुलन बना रहे। उनका कहना है कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर भी स्वच्छ हवा चाहता है, लेकिन एक झटके में पुराने वाहनों को प्रतिबंधित करना हज़ारों परिवारों की आजीविका छीन सकता है।

सरकार ने फिलहाल साफ संकेत दिए हैं कि कठोर प्रदूषण नियंत्रण उपायों से समझौता नहीं किया जाएगा। हालांकि, छोटे व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों की दिक्कतों को देखते हुए राहत के कुछ विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि यह फैसला दिल्ली की हवा को कितना साफ करता है और जनता पर इसका आर्थिक असर कितना गहरा पड़ता है।

Leave a comment