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डिप्रेशन की शुरुआती चेतावनी: इसे नजरअंदाज करना हो सकता है खतरनाक

डिप्रेशन की शुरुआती चेतावनी: इसे नजरअंदाज करना हो सकता है खतरनाक

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेषज्ञों ने डिप्रेशन के शुरुआती लक्षणों की जानकारी दी। लगातार उदासी, काम में रुचि कम होना, नींद और भूख का बदलना, खुद को दोषी महसूस करना जैसे संकेत नजरअंदाज नहीं करने चाहिए। गंभीर स्थिति में व्यक्ति आत्महत्या के विचार करने लगता है, इसलिए समय पर मनोवैज्ञानिक मदद जरूरी है।

World Mental Health Day: दुनियाभर में करोड़ों लोग डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे हैं, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर असर डालती है। गाजियाबाद के MMG हॉस्पिटल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. ए.के. विश्वकर्मा के अनुसार, शुरुआती लक्षणों में लगातार उदासी, काम में रुचि न होना, नींद और भूख का बदलना और खुद को दोषी महसूस करना शामिल हैं। गंभीर मामलों में आत्महत्या के विचार उभर सकते हैं, इसलिए समय पर उपचार बेहद जरूरी है।

डिप्रेशन क्या है और इसके कारण

डिप्रेशन एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति लगातार उदासी, निराशा और आत्मविश्वास की कमी महसूस करता है। यह व्यक्ति के रोजमर्रा के कामकाज, रिश्तों और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। गाजियाबाद जिला MMG हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग के डॉ. ए.के. विश्वकर्मा बताते हैं कि डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं। इनमें लंबे समय तक तनाव, पारिवारिक या व्यक्तिगत संबंधों में अस्थिरता, आर्थिक या करियर से जुड़ी असफलताएं, अकेलापन, हॉर्मोनल बदलाव, नींद की कमी और किसी गंभीर बीमारी का सामना शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ लोगों में जेनेटिक कारणों से भी डिप्रेशन की संभावना अधिक होती है।

विशेष रूप से संवेदनशील स्वभाव वाले व्यक्ति, जो जीवन की घटनाओं को गहराई से महसूस करते हैं और बार-बार चिंता में रहते हैं, उनमें डिप्रेशन का खतरा अधिक होता है। महिलाओं में हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव और युवा वर्ग में सोशल मीडिया के दबाव भी डिप्रेशन का कारण बन रहे हैं। मानसिक और भावनात्मक सहारा न मिलना इस स्थिति को और गंभीर कर सकता है।

डिप्रेशन के शुरुआती लक्षण

डॉ. विश्वकर्मा के अनुसार, डिप्रेशन धीरे-धीरे शुरू होता है और शुरुआती लक्षणों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। शुरुआती लक्षणों में लगातार उदासी महसूस करना, किसी काम में रुचि का खत्म होना, भूख या नींद में बदलाव, खुद को बेकार या दोषी महसूस करना शामिल हैं। व्यक्ति को यह लग सकता है कि जीवन में कुछ अच्छा नहीं बचा और उसे किसी चीज़ में खुशी नहीं मिलती।

जैसे-जैसे डिप्रेशन गंभीर होता है, व्यक्ति लोगों से दूरी बनाने लगता है, बातचीत कम कर देता है और एकांत पसंद करने लगता है। गंभीर डिप्रेशन में व्यक्ति के विचार आत्महत्या या आत्म-हानि की दिशा में भी जा सकते हैं। यह वह स्थिति होती है जब तुरंत मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ या काउंसलर की मदद लेना जरूरी हो जाता है।

खतरनाक संकेत कब दिखते हैं

डिप्रेशन का स्तर उस समय खतरनाक माना जाता है जब व्यक्ति के रोजमर्रा के काम प्रभावित हों और उसके विचार नकारात्मक या आत्मघाती हो जाएं। लगातार उदासी, नींद न आना, अत्यधिक थकान, खुद को दोषी महसूस करना और किसी भी प्रकार की गतिविधियों में रुचि का खत्म होना ऐसे संकेत हैं जिन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए। समय पर पहचान और उपचार से डिप्रेशन को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

डिप्रेशन से जुड़ी चेतावनी

डिप्रेशन केवल मानसिक स्थिति नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की शारीरिक सेहत पर भी असर डाल सकता है। लंबे समय तक untreated डिप्रेशन हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और अन्य शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देना और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ की मदद लेना महत्वपूर्ण है।

मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान

मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए अपने भावनाओं को दबाना नहीं चाहिए। परिवार, दोस्तों या किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बात करने से मानसिक दबाव कम होता है। पर्याप्त नींद, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम या योग मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखते हैं। सोशल मीडिया के अत्यधिक इस्तेमाल से बचना भी फायदेमंद होता है।

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