एकता के तमाम दावों के बावजूद राज्य में एनडीए के दो सहयोगी दल लोजपा (रामविलास) और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) आपस में तकरार का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।
पटना: बिहार की राजनीति में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के घटक दलों के बीच आपसी तकरार कोई नई बात नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं, यह विवाद और तेज होता दिख रहा है। इस बार बहस की चपेट में आए हैं हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी तथा लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान।
‘अनुभव की कमी’ पर मांझी का हमला
हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के संस्थापक जीतनराम मांझी ने हाल ही में चिराग पासवान को लेकर बयान दिया कि उनमें ‘अनुभव की कमी’ है और उन्हें बिहार की राजनीति की बारीकियों को समझने में वक्त लगेगा। मांझी ने कहा कि बिहार जैसे राजनीतिक रूप से जटिल राज्य में केवल लोकप्रियता से काम नहीं चलेगा, बल्कि अनुभव भी जरूरी है।
लोजपा (रा) सांसद का तीखा पलटवार
मांझी के इस बयान पर पलटवार करते हुए चिराग पासवान के बहनोई और समस्तीपुर से सांसद अरुण भारती ने बुधवार को जोरदार हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में बिना मांझी का नाम लिए कहा, बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले इस्तीफा देने का अनुभव वाकई चिराग पासवान के पास नहीं है।
अरुण भारती ने यहां पर मांझी के 2015 के उस प्रसंग को याद दिलाया जब वे मुख्यमंत्री रहते हुए बहुमत साबित करने का दावा करने के बावजूद विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे बैठे थे। भारती ने तंज कसा कि शायद मांझी उसी ‘अनुभव’ की बात कर रहे हैं, जो चिराग के पास नहीं है।
एनडीए में खिंचाव, गठबंधन पर सवाल
बिहार में एनडीए के भीतर लोजपा (रा) और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के बीच यह बयानबाजी कोई पहली बार नहीं हुई है। लोजपा (रा) लंबे समय से खुद को एनडीए में ‘समान अधिकार’ मिलने की बात कहती रही है, जबकि हम पार्टी भी अपने क्षेत्रीय प्रभाव को लेकर मुखर रहती है। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले इन दोनों दलों के बीच खिंचाव भाजपा के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।
चिराग की चुप्पी, लेकिन संकेत साफ
हालांकि चिराग पासवान ने खुद इस विवाद पर फिलहाल कोई सीधा बयान नहीं दिया है, लेकिन 29 जून को राजगीर में हुए पार्टी कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, मैं बिहार से नहीं, बिहार के लिए चुनाव लड़ूंगा। उनके इस बयान को लोजपा (रा) के कार्यकर्ताओं ने आगामी विधानसभा चुनाव में सक्रिय भूमिका की घोषणा के रूप में देखा। पार्टी सांसद अरुण भारती ने भी फेसबुक पर एक वीडियो साझा करते हुए संकेत दिया कि चिराग शाहाबाद क्षेत्र की किसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
अरुण भारती ने अपने पोस्ट में लिखा कि पार्टी का आंतरिक सर्वे बता रहा है कि राज्य में आम जनता चिराग पासवान के नेतृत्व को स्वीकार करने को तैयार है। उन्होंने कहा, हर स्तर पर यह मांग उठ रही है कि अब चिराग पासवान को बिहार की राजनीति में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
एनडीए की एकता पर सवाल
एक तरफ भाजपा 2025 विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन को एकजुट दिखाना चाहती है, तो दूसरी ओर घटक दलों की यह तकरार एनडीए की एकता पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। मांझी और चिराग की इस जुबानी जंग ने गठबंधन की रणनीतिक चुनौतियों को उजागर कर दिया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में सामाजिक समीकरण बेहद पेचीदा हैं, और अगर एनडीए को 2025 में फिर से सत्ता में लौटना है तो लोजपा (रा) और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा जैसी पार्टियों के बीच संवाद को मज़बूत करना होगा। वरना विरोधियों को इसका फायदा मिल सकता है।