सरकार ने सोलर पैनल और पर्यावरण अनुकूल उत्पादों पर GST 12% से घटाकर 5% कर दिया है, जो 22 सितंबर 2025 से लागू होगा। इससे सोलर सिस्टम, हाइड्रोजन गाड़ियां और पवन ऊर्जा उपकरण सस्ते होंगे, जिससे आम लोगों के लिए साफ ऊर्जा सुलभ होगी और बिजली बिल में राहत मिलेगी।
GST on Solar Panels: सरकार ने 22 सितंबर 2025 से सोलर पैनल और अन्य पर्यावरण अनुकूल उत्पादों पर GST 5% लागू करने की घोषणा की है, जिससे पहले 12% टैक्स वाले सिस्टम अब सस्ते होंगे। इस कदम से सोलर सिस्टम, सोलर कुकर, वॉटर हीटर, पवन चक्कियां और हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहन लोगों के लिए अधिक सुलभ होंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे हर घर तक साफ ऊर्जा पहुंचाने और बिजली बिल में राहत देने में मदद मिलेगी। हालांकि कच्चे माल पर अब भी ज्यादा टैक्स है, लेकिन रिफंड प्रणाली को तेज कर इसे कम करने की कोशिश की जाएगी।
सोलर पैनल से लेकर हाइड्रोजन गाड़ियों तक सबकी कीमतें कम
सरकार ने सिर्फ सोलर पैनल ही नहीं, बल्कि कई अन्य पर्यावरण फ्रेंडली उत्पादों पर टैक्स घटाया है। इनमें सोलर कुकर, सोलर लालटेन, सोलर वॉटर हीटर, फोटोवोल्टाइक सेल और सोलर पावर जेनरेटर शामिल हैं। इसके अलावा पवन चक्कियां, वेस्ट से एनर्जी बनाने वाले प्लांट, समुद्री लहरों से बिजली बनाने वाले उपकरण और हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाली गाड़ियां भी अब सिर्फ 5 प्रतिशत जीएसटी में उपलब्ध होंगी। पहले इन सब उत्पादों पर 12 प्रतिशत टैक्स लगता था।
इस टैक्स कटौती का सीधा फायदा उपभोक्ताओं को होगा। अब लोग सोलर सिस्टम और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद आसानी से खरीद सकेंगे।
सोलर सिस्टम पर कितनी बचत
मान लीजिए कोई व्यक्ति 80,000 रुपये का सोलर सिस्टम लगवा रहा है। पहले 12 प्रतिशत टैक्स के कारण उसे 9,600 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ते थे। यानी कुल खर्च 89,600 रुपये होता था। अब जब टैक्स 5 प्रतिशत हो गया है, तो सिर्फ 4,000 रुपये टैक्स लगेगा और कुल खर्च 84,000 रुपये होगा। इस तरह आम लोगों की सीधी बचत 5,600 रुपये तक हो सकती है। लेकिन यह तभी संभव है जब कंपनियां टैक्स कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएं।
कच्चे माल पर टैक्स अब भी ज्यादा
हालांकि ग्राहकों को राहत मिली है, लेकिन कंपनियों के लिए कच्चे माल पर अब भी टैक्स ज्यादा है। सोलर सिस्टम बनाने के लिए जो मटीरियल आता है, उस पर पहले की तरह ज्यादा टैक्स लगता है। तैयार माल पर कम टैक्स और कच्चे माल पर ज्यादा टैक्स की इस व्यवस्था को इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर कहते हैं। इससे कंपनियों का पैसा सरकार के पास अटका रह जाता है। सरकार ने माना है कि यह एक समस्या हो सकती है, लेकिन रिफंड सिस्टम पहले से मौजूद है और अब इसे और तेज किया जाएगा, ताकि कंपनियों को उनका पैसा जल्दी मिल सके।
GST सिस्टम अब आसान
सरकार ने GST का ढांचा भी सरल कर दिया है। पहले चार स्लैब थे – 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। अब सिर्फ दो मुख्य स्लैब रहेंगे – 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत। इससे रोजमर्रा की चीजों जैसे बटर, घी, साबुन, शैम्पू, टीवी और फ्रिज की कीमतों में कमी आएगी। महंगे और लग्जरी सामान के लिए 40 प्रतिशत टैक्स अलग से लागू रहेगा।
इस बदलाव से मिडिल क्लास और आम घरों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। लोग अब रोजमर्रा की जरूरतों और ऊर्जा उपकरणों को आसानी से खरीद पाएंगे।
साफ ऊर्जा को बढ़ावा
सरकार का यह कदम सिर्फ टैक्स कटौती तक सीमित नहीं है। इसका मकसद हर घर तक सोलर ऊर्जा पहुंचाना और बिजली के बिल में राहत देना भी है। अगर कंपनियां टैक्स कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचाती हैं, तो सोलर सिस्टम अब सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं रहेंगे। ग्रामीण इलाकों में भी लोग इसका लाभ उठा सकेंगे।
सोलर पैनल और अन्य पर्यावरण फ्रेंडली उत्पादों की सस्ती कीमतें साफ ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देंगी। लोग लर, पवन और सोलर जैसी स्वच्छ ऊर्जा के साधनों की ओर ज्यादा आकर्षित होंगे। इस कदम से देश में साफ ऊर्जा का लक्ष्य भी आगे बढ़ेगा।
हर घर तक सोलर ऊर्जा का सपना
सरकार की कोशिश है कि हर घर में सोलर सिस्टम लग सके। इससे न केवल बिजली का बिल कम होगा, बल्कि प्रदूषण भी घटेगा। टैक्स कटौती के साथ लोगों के लिए यह साफ ऊर्जा सस्ती, सुलभ और आकर्षक विकल्प बनेगी। आने वाले समय में इसके व्यापक असर से साफ ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि होने की उम्मीद है।