नोमुरा की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका इस वित्त वर्ष 26 में भारत पर 25% रेसिप्रोकल टैरिफ बनाए रखेगा, लेकिन नवंबर 2025 के बाद 25% सेकेंडरी टैरिफ हट सकता है। GST सुधारों के बाद भारत की मांग और खपत को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, RBI अक्टूबर-दिसंबर में 25 आधार अंकों की कटौती कर रेपो दर 5% तक ला सकता है।
Trump Tariff: नोमुरा ब्रोकरेज फर्म की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका भारत से निर्यात पर लगाए गए 25% रेसिप्रोकल टैरिफ को वित्त वर्ष 26 तक बनाए रखेगा, जबकि नवंबर 2025 के बाद सेकेंडरी टैरिफ हट सकता है। जीएसटी रिफॉर्म के बाद घरेलू अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं को राहत मिली है। रिपोर्ट में यह भी अनुमान है कि RBI अक्टूबर और दिसंबर में नीतिगत दरों में 25 आधार अंकों की कटौती कर रेपो दर 5% तक ला सकता है, जिससे विकास को बढ़ावा मिलेगा।
नोमुरा की रिपोर्ट
नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक, रेसिप्रोकल टैरिफ वित्त वर्ष 2026 तक 25 प्रतिशत पर बने रहेंगे। हालांकि, नवंबर के बाद 25 प्रतिशत का अतिरिक्त जुर्माना हटा दिया जाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रूस से संबंधित सेकेंडरी टैरिफ तीन महीने तक लागू रहेगा। कुछ समझौते होने पर इसे भी हटाया जा सकता है।
नोमुरा ने यह स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के बीच कृषि और अन्य कुछ मांगों पर सहमति नहीं बन पाने के कारण 25 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यह दर एशियाई प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अधिक है, जिनकी टैरिफ दरें 19-20 प्रतिशत के आसपास हैं।
अमेरिका ने क्यों लगाया टैरिफ
अमेरिका ने 27 अगस्त से भारत से निर्यात होने वाले प्रोडक्ट्स पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इसमें 25 प्रतिशत सेकेंडरी टैरिफ शामिल है, जो रूस से तेल की खरीद को लेकर पेनल्टी के तौर पर लगाया गया है। इस टैरिफ से टेक्सटाइल्स, कृषि उत्पाद और ऑटो सेक्टर सहित कई उद्योग प्रभावित होने की संभावना है। अमेरिका को इन सेक्टर्स से सबसे ज्यादा सामान का निर्यात होता है, इसलिए भारत को भी इसका असर दिख सकता है।
GST सुधारों का असर
हाल ही में लागू हुए GST सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है। 12 और 28 प्रतिशत के स्लैब खत्म कर केवल 5 और 18 प्रतिशत के स्लैब बनाए गए हैं। इसके अलावा, लग्जरी गुड्स पर 40 प्रतिशत का विशेष स्लैब लागू किया गया है। इस सुधार से आम आदमी की जेब पर सकारात्मक असर पड़ा है। बाजार में मांग और खपत बढ़ने की उम्मीद है।
नोमुरा ने कहा कि मध्यम अवधि में GST सुधार सकारात्मक हैं। इससे कारोबारी माहौल बेहतर होगा और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
ब्याज दरों में संभावित कटौती
नोमुरा ने यह भी कहा कि भारत में महंगाई RBI के प्राइस बैंड में नियंत्रित है और विकास दर के जोखिम बढ़ रहे हैं। ऐसे में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अक्टूबर और दिसंबर में नीतिगत दरों में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है। यदि यह कदम उठाया गया तो 2025 के अंत तक रेपो दर 5 प्रतिशत हो जाएगी। यह कदम बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र को सुदृढ़ करेगा।
निर्यातक और उद्योगों पर असर
अगर अमेरिकी टैरिफ में कटौती होती है तो भारत के टेक्सटाइल, ऑटो, कृषि और अन्य प्रमुख निर्यातक सेक्टरों को फायदा मिलेगा। इससे उत्पादों की कीमतें प्रतिस्पर्धी होंगी और विदेशी बाजार में भारतीय सामान की मांग बढ़ सकती है। निवेशकों और व्यापारियों के लिए यह खबर सकारात्मक संकेत लेकर आई है।