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Home Buyers: रेपो रेट में कटौती से सस्ता हुआ घर खरीदना, जानें कौन सा शहर सबसे सस्ता

Home Buyers: रेपो रेट में कटौती से सस्ता हुआ घर खरीदना, जानें कौन सा शहर सबसे सस्ता

नई दिल्ली: अगर आप इस समय घर खरीदने का सपना देख रहे हैं और सोच रहे हैं कि कौन सा शहर आपकी जेब पर कम बोझ डालेगा, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। नाइट फ्रैंक इंडिया की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के आठ बड़े शहरों में से गुजरात का अहमदाबाद शहर सबसे किफायती हाउसिंग मार्केट के रूप में उभरा है। यहां घर खरीदने वालों को अपनी मासिक आय का सबसे कम हिस्सा ईएमआई में देना पड़ता है।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में की गई कटौती का असर अब देश के हाउसिंग सेक्टर पर साफ तौर पर नजर आ रहा है। इससे लोगों के होम लोन सस्ते हुए हैं और उनके ऊपर ब्याज का भार भी कम हुआ है। नतीजतन, ईएमआई में भी राहत मिली है और घर खरीदने की क्षमता में इजाफा हुआ है।

रेपो रेट में कटौती से बढ़ी लोगों की खरीद क्षमता

इस साल की शुरुआत में आरबीआई ने रेपो रेट में 1.00 प्रतिशत की कटौती की थी, जिससे होम लोन की ब्याज दरों में गिरावट आई। इससे कर्ज लेना सस्ता हो गया और ईएमआई में कमी आई। यही वजह है कि देश के सात प्रमुख शहरों में घर खरीदने की सामर्थ्य पहले से बेहतर हो गई है।

रेपो रेट में कटौती से न सिर्फ नए लोन सस्ते हुए हैं, बल्कि जिन लोगों ने पहले से होम लोन लिया हुआ है, उनकी ईएमआई में भी राहत मिली है। ऐसे में वे अन्य वित्तीय जरूरतों के लिए भी बेहतर बजट प्लानिंग कर पा रहे हैं।

क्या होता है ईएमआई/इनकम रेशो

रिपोर्ट में जिस ईएमआई/इनकम रेशो की बात की गई है, वह यह दर्शाता है कि किसी परिवार को अपने मासिक वेतन में से कितनी राशि घर की ईएमआई के रूप में चुकानी पड़ती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी शहर में यह रेशो 30 प्रतिशत है, तो इसका अर्थ है कि वहां रहने वाला परिवार अपनी मासिक कमाई का 30 प्रतिशत घर की किश्तों में खर्च करता है।

आमतौर पर यदि यह अनुपात 50 प्रतिशत से ऊपर चला जाए, तो उसे वित्तीय रूप से भारी माना जाता है और जोखिम भरा भी हो सकता है। इस लिहाज से अहमदाबाद में 18 प्रतिशत का ईएमआई/इनकम रेशो बेहद सुरक्षित और किफायती माना जा सकता है।

अहमदाबाद सबसे सस्ता, मुंबई सबसे महंगा

रिपोर्ट में अहमदाबाद को सबसे सस्ता शहर करार दिया गया है। यहां पर किसी परिवार को अपने मासिक वेतन का केवल 18 प्रतिशत घर की ईएमआई में देना होता है। इसका मतलब यह है कि इस शहर में घर खरीदना अन्य महानगरों की तुलना में कहीं अधिक आसान और सुलभ है।

वहीं अगर बात देश के सबसे महंगे हाउसिंग मार्केट की करें, तो मुंबई इस सूची में सबसे ऊपर है। यहां का ईएमआई/इनकम रेशो 48 प्रतिशत है, यानी यहां रहने वाले परिवारों को अपनी आधी से ज्यादा मासिक कमाई घर की किश्तों में खर्च करनी पड़ती है।

अन्य शहरों की स्थिति

इस रिपोर्ट में देश के आठ प्रमुख शहरों को शामिल किया गया है। इनमें से सात शहरों में घर खरीदने की क्षमता में सुधार देखा गया है। इन शहरों का हाल कुछ इस प्रकार है

  • पुणे: यहां का ईएमआई/इनकम रेशो 22 प्रतिशत है। यानी यह शहर भी किफायती शहरों की सूची में शामिल है और मध्यम वर्ग के लिए उपयुक्त विकल्प बन सकता है।
  • कोलकाता: यहां यह अनुपात 23 प्रतिशत पर है, जो दर्शाता है कि कोलकाता में भी घर खरीदना तुलनात्मक रूप से आसान है।
  • दिल्ली-एनसीआर: देश की राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में यह अनुपात 28 प्रतिशत है, जो एक संतुलित स्थिति मानी जा सकती है।
  • हैदराबाद: यहां यह अनुपात 30 प्रतिशत है। यानी यहां घर खरीदने में थोड़ी ज्यादा ईएमआई देनी पड़ सकती है, लेकिन यह अभी भी वहनीय माना जाता है।
  • चेन्नई और बेंगलुरु जैसे शहरों में यह अनुपात करीब 32 से 35 प्रतिशत के बीच है, जो न तो ज्यादा भारी है और न ही ज्यादा सस्ता।

मकान खरीदना हुआ थोड़ा आसान

रेपो रेट में कटौती और सस्ती ब्याज दरों के चलते अब मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए घर खरीदने का सपना कुछ हद तक आसान हुआ है। खासकर अहमदाबाद जैसे शहरों में जहां अचल संपत्ति की कीमतें अपेक्षाकृत कम हैं, वहां घर खरीदना अब ज्यादा व्यवहारिक विकल्प बन गया है।

बदलते आर्थिक परिदृश्य, आसान लोन प्रक्रियाएं और रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा दी जा रही सुविधाएं मिलकर हाउसिंग मार्केट को और अधिक सक्रिय बना रही हैं। साथ ही, सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाएं भी इसमें मदद कर रही हैं।

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