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मार्केट के उतार-चढ़ाव के बीच म्यूचुअल फंड में निवेशकों का भरोसा डगमगाया, लगातार दो महीने में घटा निवेश

मार्केट के उतार-चढ़ाव के बीच म्यूचुअल फंड में निवेशकों का भरोसा डगमगाया, लगातार दो महीने में घटा निवेश

निवेशकों ने लगातार दो महीनों से म्यूचुअल फंड में निवेश घटाया है। सितंबर में इक्विटी फंड में 9% की गिरावट आई, जबकि अगस्त में 22% निवेश कम हुआ था। इसके विपरीत, गोल्ड ईटीएफ और मिड-स्मॉलकैप फंड्स में निवेश बढ़ा। सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में गिरावट देखी गई।

Mutual fund: निवेशक लगातार दो महीने से म्यूचुअल फंड में निवेश घटा रहे हैं। अगस्त में 22% और सितंबर में 9% की कमी दर्ज की गई, जिससे इक्विटी फंड में माह-दर-माह निवेश 30,421 करोड़ रुपये रह गया। हालांकि, गोल्ड ईटीएफ में निवेश बढ़कर 8,363 करोड़ रुपये हो गया और मिडकैप व स्मॉलकैप फंड्स ने अच्छा प्रदर्शन दिखाया। वहीं, सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में निवेश 69% गिर गया।

इक्विटी फंड में निवेश में गिरावट

एएमएफआई के डेटा के अनुसार, सितंबर में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश में 9 फीसदी की गिरावट आई। अगस्त में यह गिरावट 22 फीसदी रही थी। लार्ज कैप फंड में निवेश में 18 फीसदी, मिड कैप में 4.5 फीसदी और स्मॉल कैप फंड में 12.6 फीसदी की कमी देखी गई। फ्लेक्सी कैप फंड में भी निवेश घटकर 7,029 करोड़ रुपये रह गया, जो अगस्त में 7,679 करोड़ रुपये था।

विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों की यह सतर्कता बाजार की अस्थिरता और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों से प्रभावित हो रही है। इक्विटी फंड की इस गिरावट से पता चलता है कि निवेशक इस समय जोखिम भरे निवेशों से दूरी बना रहे हैं।

गोल्ड ईटीएफ में निवेश बढ़ा

हालांकि, सोने की कीमतों में तेजी के चलते गोल्ड ईटीएफ में भारी निवेश देखने को मिला। अगस्त में यह निवेश 2,189 करोड़ रुपये था, जो सितंबर में बढ़कर 8,363 करोड़ रुपये हो गया। यह आंकड़ा दर्शाता है कि निवेशक सुरक्षित निवेश की ओर रुझान बढ़ा रहे हैं।

साथ ही सितंबर में नौ नए म्यूचुअल फंड लॉन्च किए गए, जिनसे कुल 1,959 करोड़ रुपये का निवेश आया। इन नए फंडों में एक सेक्टोरल/थीमैटिक फंड, एक हाइब्रिड फंड और बाकी इंडेक्स फंड शामिल थे।

म्यूचुअल फंड कैटेगरी में निवेश का रुझान

बीते महीने म्यूचुअल फंड के विभिन्न कैटेगरी में निवेश में भिन्नता देखी गई। 11 में से ज्यादातर कैटेगरी में निवेश बढ़ा, जबकि ELSS और डिविडेंड यील्ड फंड्स में पैसा निकला। मिडकैप फंड्स में सबसे ज्यादा निवेश आया और यह 5,085 करोड़ रुपये रहा। इसके बाद स्मॉलकैप फंड्स में 4,362 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में सबसे कम 1,220 करोड़ रुपये का निवेश आया।

ELSS फंड्स से 307 करोड़ रुपये और डिविडेंड यील्ड फंड्स से 167 करोड़ रुपये निकाले गए। महीना-दर-महीना देखें तो मल्टीकैप, लार्ज एंड मिडकैप, वैल्यू और फोकस्ड फंड्स में निवेश बढ़ा। मल्टीकैप फंड्स में 11% और लार्ज एंड मिडकैप फंड्स में 14% की बढ़ोतरी हुई। वैल्यू फंड्स में 85% और फोकस्ड फंड्स में 22% की बढ़ोतरी देखने को मिली।

सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में गिरावट

वहीं सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में निवेश 69% गिर गया। यह दर्शाता है कि निवेशक इस समय जोखिम वाले और सटीक सेक्टर आधारित निवेश से दूरी बना रहे हैं। निवेशकों का रुझान सुरक्षित और स्थिर रिटर्न वाले फंड की तरफ बढ़ा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि म्यूचुअल फंड में निवेश की यह प्रवृत्ति बाजार की वर्तमान अनिश्चितता और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों का प्रतिबिंब है। इक्विटी फंड में लगातार गिरावट, जबकि गोल्ड ईटीएफ में भारी निवेश यह संकेत देता है कि निवेशक सुरक्षा और स्थिरता को प्राथमिकता दे रहे हैं।

निवेशकों की सतर्कता

निवेशक वर्तमान समय में जोखिम भरे निवेशों से बचने के साथ-साथ सोने जैसे सुरक्षित विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं। मिडकैप और स्मॉलकैप फंड्स में निवेश में बढ़ोतरी का मतलब है कि निवेशक लंबी अवधि के लाभ को देखते हुए चुनिंदा सेक्टर्स में निवेश कर रहे हैं।

म्यूचुअल फंड में यह बदलाव निवेशकों की सतर्कता और बाजार की अनिश्चितता को दर्शाता है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि निवेशक किस प्रकार अपने निवेश को स्थिर और सुरक्षित बनाए रखने के लिए नए विकल्प चुनते हैं।

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