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IT Sector मंदी में भी चमक सकते हैं ये 3 शेयर, ब्रोकरेज ने दी रेटिंग

IT Sector मंदी में भी चमक सकते हैं ये 3 शेयर, ब्रोकरेज ने दी रेटिंग

Accenture के कमजोर नतीजों से IT सेक्टर में दबाव बढ़ा है। डिस्क्रेशनरी खर्च घटा है, लेकिन ब्रोकरेज Antiq का मानना है कि HCL Tech, Coforge और Mphasis में अब भी ग्रोथ की संभावना है।

IT Stock: दुनिया की प्रमुख आईटी कंपनी Accenture के अप्रैल-जून तिमाही नतीजों ने यह संकेत दिया है कि वर्तमान में वैश्विक कंपनियां अपने खर्च के प्रति सतर्कता बरत रही हैं। खासकर वैकल्पिक और नॉन-मैंडेटरी खर्च, जिसे इंडस्ट्री में 'डिस्क्रेशनरी खर्च' कहा जाता है, उसमें गिरावट देखने को मिल रही है।

डिस्क्रेशनरी खर्च 

डिस्क्रेशनरी खर्च वे निवेश होते हैं जिन्हें कंपनियां जरूरी कामकाज के अतिरिक्त, भविष्य की जरूरतों या टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन के लिए करती हैं। जैसे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, ऑटोमेशन, कंसल्टिंग प्रोजेक्ट्स आदि। Accenture की रिपोर्ट से पता चलता है कि इस खर्च में कटौती की प्रवृत्ति अभी भी जारी है।

Accenture की ग्रोथ बनी रहेगी, लेकिन सीमित दायरे में

Accenture को चालू तिमाही में लगभग 5.5% की राजस्व वृद्धि की उम्मीद है। यह कंपनी के पहले से बताए गए दायरे (3% से 7%) में ही है। पिछली तिमाही की तुलना में लगभग 3% की बढ़ोतरी भी अनुमानित है। हालांकि, नए प्रोजेक्ट्स और सौदों की संख्या में गिरावट की संभावना है।

कौन से सेक्टर दे रहे हैं सहारा

Accenture को BFSI (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, इंश्योरेंस) सेक्टर से मजबूत कमाई की उम्मीद है। इसके साथ-साथ हेल्थकेयर, पब्लिक सर्विसेज, एनर्जी और कम्युनिकेशन जैसे क्षेत्रों से भी आमदनी में मदद मिल रही है। ये वो सेक्टर हैं जो डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी सेवाओं में लगातार निवेश करते हैं।

नए सौदों की रफ्तार धीमी

Accenture को इस तिमाही में कुल बुकिंग्स में 4.9% की गिरावट की संभावना है। खासकर कंसल्टिंग बुकिंग्स में 10.5% तक की कमी देखी जा सकती है। इसके विपरीत, मैनेज्ड सर्विसेस से जुड़ी डील्स में 2.4% की मामूली बढ़त अनुमानित है। यह दर्शाता है कि कंपनियां नई पहल या रणनीतिक सलाह की जगह, मौजूदा टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म को बनाए रखने पर ज्यादा जोर दे रही हैं।

आर्थिक अनिश्चितता बनी हुई

Accenture ने पिछली तिमाही में ही आगाह किया था कि वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता जारी है। इसका असर क्लाइंट कंपनियों के निवेश निर्णयों पर पड़ रहा है। जब तक यह स्पष्टता नहीं आती कि आने वाले समय में बाजार कैसा रहेगा, तब तक वैकल्पिक खर्च में तेजी की संभावना नहीं दिखती।

FY25 में ग्रोथ होगी लेकिन सीमित

कंपनी ने FY25 के लिए 5% से 7% की राजस्व वृद्धि का अनुमान बरकरार रखा है, लेकिन इस ग्रोथ में अधिग्रहणों की बड़ी भूमिका है। अगर अधिग्रहणों को अलग कर दें तो ऑर्गेनिक ग्रोथ केवल 2% से 4% के बीच रहने की संभावना है।

Accenture का अधिग्रहण आधारित मॉडल

Accenture लगातार छोटे-बड़े अधिग्रहण कर अपने व्यापार को बढ़ा रही है। इसके मुकाबले भारत की बड़ी IT कंपनियों के पास यह विकल्प फिलहाल सीमित है, क्योंकि उन्होंने अपने कैश रिजर्व का बड़ा हिस्सा डिविडेंड और बायबैक में खर्च किया है। ऐसे में inorganic ग्रोथ के लिए उनके पास संसाधन कम हैं।

भारतीय कंपनियों पर पड़ेगा असर

चूंकि भारतीय आईटी कंपनियों का बड़ा बिजनेस विदेशों के प्रोजेक्ट्स पर निर्भर है, इसलिए Accenture जैसी कंपनियों के नतीजे इन पर भी असर डालते हैं। FY26 की शुरुआत को लेकर भारतीय कंपनियों का रुख सतर्क है और उन्होंने किसी तेज ग्रोथ की उम्मीद नहीं जताई है।

पहली छमाही रहेगी कमजोर

ब्रोकरेज रिपोर्ट मानती है कि साल 2025 की पहली छमाही आईटी सेक्टर के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगी। वैश्विक अनिश्चितता और कम डिस्क्रेशनरी खर्च के चलते मांग दबाव में रहेगी। हालांकि, अगर दूसरी छमाही में वैश्विक स्थिति स्थिर होती है, तो कंपनियों के खर्च में दोबारा तेजी आ सकती है।

Nifty IT Index कमजोर प्रदर्शन कर रहा

Nifty IT Index ने इस साल अब तक Nifty की तुलना में 15% तक कम रिटर्न दिया है। इसका मुख्य कारण यही है कि निवेशकों को IT कंपनियों से बहुत अधिक ग्रोथ की उम्मीद नहीं है। जब तक क्लाइंट्स के निवेश में विश्वास नहीं लौटता, तब तक सेक्टर में बड़ा उछाल मुश्किल है।

ब्रोकरेज की पसंदीदा कंपनियां: HCL Tech, Coforge और Mphasis

हालांकि, एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग की रिपोर्ट बताती है कि तीन कंपनियों पर अब भी भरोसा किया जा सकता है:

HCL Technologies: मजबूत क्लाइंट बेस, सुसंगत डील पाइपलाइन और ऑपरेशनल एफिशिएंसी के चलते HCL Tech ब्रोकरेज की टॉप पसंद बनी हुई है।

Coforge: मध्यम आकार की इस कंपनी की कस्टमाइज़्ड डिजिटल सॉल्यूशंस में विशेषज्ञता और निचले स्तर से तेजी से उबरने की क्षमता को सराहा गया है।

Mphasis: BFSI सेक्टर में मजबूत पकड़ और निचली लागत पर ऑपरेशन के कारण कंपनी को लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न देने वाली कंपनियों में गिना जा रहा है।

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