जम्मू-कश्मीर विधानसभा में दूसरे दिन भी हंगामा जारी रहा। सत्ता और विपक्ष के बीच टेनेंसी, पंचायती राज, लेबर वेलफेयर और कोऑपरेटिव बिलों को लेकर तीखी बहस और नोकझोंक हुई, जिससे सदन में अस्थिर माहौल बना रहा।
Jammu-Kashmir Assembly: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गुरुवार को दूसरे दिन भी हंगामा देखने को मिला। विपक्षी और सत्ता पक्ष के बीच लगातार बहस और तीखी नोकझोंक जारी रही। सदन में आज कई महत्वपूर्ण बिल पास कराने की कोशिश की जा रही है, जिनमें टेनेंसी, पंचायती राज, लेबर वेलफेयर और कोऑपरेटिव से जुड़े कानून शामिल हैं। राज्य सरकार का लक्ष्य इन बिलों के माध्यम से प्रशासनिक सुधार और स्थानीय स्तर पर सुविधाओं को बेहतर बनाना है।
सरकार ने पेश किए चार अहम बिल
सरकार ने विधानसभा में चार प्रमुख बिल पेश किए हैं। जम्मू और कश्मीर टेनेंसी बिल, 2025 का मकसद एक रेंट अथॉरिटी बनाना है, जो किराए पर दी जाने वाली जगहों के प्रबंधन और मकान मालिकों तथा किराएदारों के अधिकारों की सुरक्षा करेगा। यह बिल एक तेज़ और प्रभावी एडज्यूडिकेशन सिस्टम के जरिए विवादों का समाधान करने में मदद करेगा।
जम्मू और कश्मीर पंचायती राज (अमेंडमेंट) बिल, 2025 पुराने पंचायती राज फ्रेमवर्क को मजबूत बनाने और स्थानीय प्रशासनिक ढांचे में सुधार करने का प्रस्ताव करता है। इसका उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर शासन की दक्षता बढ़ाना और जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना है।
जम्मू और कश्मीर शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट्स बिल, 2025 कमर्शियल एस्टैब्लिशमेंट्स में लेबर कानूनों और कामकाजी परिस्थितियों को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया है। इसके तहत कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा और व्यवसायिक नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।

जम्मू और कश्मीर कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ (अमेंडमेंट) बिल, 2025 पूरे UT में कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ के कामकाज को प्रभावी बनाने और उनके संचालन में पारदर्शिता लाने के लिए पेश किया गया है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त की आयु सीमा बढ़ाई
इससे पहले बुधवार को सरकार ने राज्य निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) के पद के लिए अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष करने का विधेयक विधानसभा में पेश किया था। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री जाविद अहमद डार ने इस विधेयक का मसौदा पेश करते हुए बताया कि राज्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा और वे 70 वर्ष की आयु तक पद पर रह सकते हैं। साथ ही विधेयक में यह भी कहा गया है कि राज्य निर्वाचन आयुक्त पद से इस्तीफा दे सकते हैं या उन्हें धारा 36बी में उल्लेखित प्रक्रिया के अनुसार हटाया जा सकता है।
सदन में बुधवार को हंगामा
सदन में बुधवार को हंगामा उस समय शुरू हुआ जब भाजपा की विधायक शगुन परिहार ने शून्यकाल के दौरान किश्तवाड़ के कुछ इलाकों की उपेक्षा को लेकर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र इसलिए नजरअंदाज किए जा रहे हैं क्योंकि वहां ‘राष्ट्रवादी हिंदू’ रहते हैं। सत्ता पक्ष ने इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई और इसे सांप्रदायिक करार दिया। मंत्री जाविद डार ने कहा कि ऐसे बयान सदन में नहीं दिए जा सकते और इन्हें हटाया जाना चाहिए।
विधायकों ने दी प्रतिक्रिया
नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक नजीर अहमद खान गुरेजी ने कहा कि हजारों मुसलमानों ने देश के लिए कुर्बानी दी है और उनके सम्मान का अपमान नहीं होना चाहिए। उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने सदन में कहा कि जम्मू-कश्मीर में मुसलमान, सिख और ईसाई भी हिंदुओं की तरह राष्ट्रवादी हैं। इस पर सदन में भारी शोरगुल हुआ और हंगामे के बीच विधायकों ने अपनी-अपनी बात रखी।
 
                                                                        
                                                                             
                                                












