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Jatadhara Review: भूत, पिशाच और आस्था का जबरदस्त बैलेंस, सोनाक्षी का खूंखार अंदाज जीत लेगा सबका दिल

Jatadhara Review: भूत, पिशाच और आस्था का जबरदस्त बैलेंस, सोनाक्षी का खूंखार अंदाज जीत लेगा सबका दिल

Jatadhara एक ऐसी फिल्म है जो सुपरनेचुरल थ्रिलर और धार्मिक आस्था के बीच का संतुलन बहुत ही सुंदर ढंग से दिखाती है। वर्तमान समय में दर्शक अलग तरह के सिनेमा की तलाश में हैं, और इस फिल्म ने इसे पूरी तरह से पूरा किया है। 

  • Review: Jatadhara
  • Film: Horror Thriller
  • Director: Abhishek Jaiswal, Venkat Kalyan
  • Starring: Sudheer Babu Posani, Sonakshi Sinha, Divya Khossla
  • Rating: 3/5

एंटरटेनमेंट न्यूज़: क्या भूत होते हैं? क्या आत्माएं भटकती हैं? यह सवाल अक्सर लोगों के मन में उठता है। कुछ लोग मानते हैं कि भूत होते हैं, जबकि कई इसे सिर्फ अंधविश्वास मानते हैं। इसी सवाल को लेकर बनी है यह फिल्म, जो आस्था और अंधविश्वास के बीच की लकीर को बड़े ही सोच-समझकर पेश करती है। फिल्म में देश के कई बड़े मंदिरों का जिक्र है, और यह सिर्फ डराने भर के लिए नहीं बल्कि लॉजिक और तर्क के पहलुओं पर भी ध्यान देती है।

यह एक सुपरनेचुरल थ्रिलर है और अपनी तरह की अलग फिल्म है। इस तरह की फिल्मों का दर्शक वर्ग आज काफी बढ़ गया है। यह तेलुगु फिल्म अब हिंदी डब में थिएटर में रिलीज़ हो चुकी है। अगर आप कुछ नया देखना चाहते हैं और भूत-प्रेत की कहानियां पसंद करते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए बिल्कुल सही है।

फिल्म की कहानी 

फिल्म की कहानी एक युवा घोस्ट हंटर के इर्द-गिर्द घूमती है। कहानी की शुरुआत होती है एक लड़के से, जो भूत के डर से मर जाता है। उसका दोस्त घोस्ट हंटर बनने का फैसला करता है और यह साबित करना चाहता है कि भूत केवल अंधविश्वास हैं। लेकिन कहानी में मोड़ तब आता है जब वह एक स्थान पर पहुंचता है, जहां एक धन पिशाचिनी का खौफ है। कहा जाता है कि वहां काफी सारा सोना दबा हुआ है और पिशाचिनी इसके बदले बलि मांगती है।

जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, घोस्ट हंटर इस रहस्य का पर्दाफाश करता है और उसके रास्ते में कई चुनौतियां आती हैं। फिल्म दो कहानियों को बखूबी जोड़ती है, जिससे दर्शक न केवल डरते हैं बल्कि सोचने पर भी मजबूर हो जाते हैं कि क्या वाकई भूत होते हैं।

फिल्म का अनुभव

Jatadhara की शुरुआत ही एक मजबूत पेस के साथ होती है। पहले हाफ में कहानी धीरे-धीरे बिल्ड होती है और कई सीन डरावने हैं। सेकेंड हाफ में रोमांच और थ्रिल बढ़ जाता है। हालांकि, सेकेंड हाफ का स्क्रीनप्ले कुछ जगह हल्का सा भटकता है और मेलोड्रामा थोड़ी अधिक है, लेकिन फिल्म जल्दी ही अपने ट्रैक पर लौट आती है।

फिल्म में आस्था, अंधविश्वास और लॉजिक का संतुलित मिश्रण दर्शकों को नए दृष्टिकोण से सोचने पर मजबूर करता है। शिव भक्तों के लिए फिल्म का शिव तांडव सीन खास तौर पर आकर्षक और भावपूर्ण है।

एक्टिंग

फिल्म में अभिनय का स्तर भी काफी प्रभावित करता है: सुधीर बाबू ने शिव तांडव सीन में कमाल का प्रदर्शन किया और इस किरदार में पूरी तरह फिट नजर आए। सोनाक्षी ने पिशाचिनी के किरदार में अपने खूंखार अंदाज से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। उनके डायलॉग कम हैं, लेकिन किरदार का प्रभाव बहुत गहरा है।

शिल्पा शिरोडकर और इंदिरा कृष्णन ने भी मजबूत अभिनय किया। दिव्या खोसला कुमार अपनी खूबसूरती और स्क्रीन प्रेजेंस से कहानी में चार चांद लगा देती हैं।

राइटिंग और डायरेक्शन

फिल्म को लिखा है वेंकट कल्याण ने और डायरेक्शन का जिम्मा अभिषेक जायसवाल और वेंकट कल्याण ने संभाला है। फिल्म की कहानी और निर्देशन का तालमेल काफी अच्छा है। हालांकि, सेकेंड हाफ में स्क्रीनप्ले को और पॉलिश किया जा सकता था। फिल्म आस्था और डर का संतुलित मिश्रण पेश करती है और दर्शकों को अपने में बांधे रखती है। भूत, पिशाच और आस्था के बीच संतुलन बनाना आसान काम नहीं है, लेकिन इस फिल्म ने इसे बेहतरीन तरीके से किया है।

Jatadhara एक अलग तरह की फिल्म है जो सुपरनेचुरल थ्रिलर और धार्मिक भावनाओं को संतुलित करती है। फिल्म अपने दर्शकों को डर, रोमांच और मनोरंजन के साथ-साथ सोचने पर मजबूर करती है। अगर आप भूत-प्रेत की कहानियों और धार्मिक आस्था पर आधारित रोमांचक सिनेमा पसंद करते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए सही चुनाव है।

 

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