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मारिया मचाडो बनी नोबेल विजेता, 14 महीनों से गुप्त रहने के बावजूद लोकतंत्र की बनीं आवाज

मारिया मचाडो बनी नोबेल विजेता, 14 महीनों से गुप्त रहने के बावजूद लोकतंत्र की बनीं आवाज

वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला। उन्होंने लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए दो दशकों तक संघर्ष किया। ट्रंप की उम्मीदें इस बार निराश रहीं।

Nobel Peace Prize Winner 2025: साल 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार का एलान हो चुका है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पछाड़कर वेनेजुएला की मानवाधिकार कार्यकर्ता और विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को सम्मानित किया गया है। मचाडो वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों और तानाशाही के खिलाफ 20 साल से लगातार संघर्ष कर रही हैं। हालांकि इस सम्मान के बावजूद उन्हें लंबे समय से देश में अंडरग्राउंड रहना पड़ा और धूप देखने तक को तरसना पड़ा।

मारिया कोरिना मचाडो की संघर्ष यात्रा

मारिया कोरिना मचाडो पहली बार 2012 में अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आई थीं। उस समय वेनेजुएला के तत्कालीन राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज संसद में लगभग 9 घंटे 45 मिनट का भाषण दे रहे थे। मचाडो ने उन्हें टोकते हुए लोगों की जब्त की गई संपत्ति लौटाने की बात कही और विरोध जताया। तब से वह वेनेजुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए लगातार आवाज उठाती रही हैं।

मचाडो ने देश में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव लाने के लिए दो दशक तक संघर्ष किया। नोबेल समिति ने कहा कि जब दुनिया में तानाशाही बढ़ रही है और लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, ऐसे समय में मचाडो जैसी महिलाओं की हिम्मत उम्मीद की लौ बनकर उभरती है।

नोबेल पुरस्कार

नोबेल समिति ने विशेष रूप से कहा कि यह पुरस्कार मचाडो को उनके अथक संघर्ष के लिए दिया गया है। उन्होंने लोकतंत्र की लौ को अंधेरे में जलाए रखा और वेनेजुएला के लोगों के लिए एक प्रतीक बनकर उभरीं। समिति ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस समय वेनेजुएला और अन्य देशों में लोकतंत्र खतरे में है, ऐसे में मचाडो जैसे साहसी नेताओं को पहचानना जरूरी है।

परिवार का त्याग

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मचाडो ने प्रचार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने खुद राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन लिया था, लेकिन सरकार के दबाव और कोर्ट के फैसले ने उनका रास्ता रोक दिया। इसके बाद उन्हें सार्वजनिक रूप से आखिरी बार जनवरी 2025 में कराकास में विरोध प्रदर्शन के दौरान देखा गया। इसके तुरंत बाद मादुरो सरकार ने उन्हें गिरफ्तार किया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण उन्हें रिहा कर दिया गया।

इस घटना के बाद से मचाडो को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया। वह इस समय गुप्त स्थान पर हैं और सुरक्षा कारणों से अपनी जगह छुपा रही हैं। उनके बड़े बच्चों में से एक उनके साथ है, जबकि दो अन्य बच्चे और पति विदेश में रहते हैं। मचाडो ने कहा है कि उन्होंने लंबे समय से धूप की गर्मी महसूस नहीं की।

मादुरो सरकार का विरोध 

मादुरो सरकार मचाडो को अपनी सबसे बड़ी चुनौती मानती है। विपक्ष का दावा है कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में मचाडो समर्थित उम्मीदवार एडमुंडो गोंजालेज ने चुनाव जीत लिया था, लेकिन मादुरो ने चुनाव में धांधली कर जीत हासिल की। मचाडो 2023 में विपक्षी प्राइमरी जीतकर राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनी थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। इसके बावजूद उन्होंने विरोध प्रदर्शन और लोकतांत्रिक आंदोलनों का नेतृत्व जारी रखा।

मारिया मचाडो की शिक्षा

मारिया कोरिना मचाडो का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को कराकास में हुआ। वह चार बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनके पिता हेनरिके माचाडो जुलोगा स्टील व्यवसायी थे और मां कोरिना पेरिस्का मनोवैज्ञानिक थीं। मचाडो का परिवार ऐतिहासिक रूप से वेनेजुएला के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है।

उन्होंने कैथोलिक स्कूल से पढ़ाई की और फिर कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली। 1990 के दशक में उन्होंने पोलर फाउंडेशन्स के साथ काम किया, जो गरीबी उन्मूलन पर केंद्रित है।

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