बाजार की मौजूदा चाल को देखते हुए यह स्पष्ट हो रहा है कि लार्जकैप कंपनियां लगातार अपने मुनाफे और प्रदर्शन में मजबूती बनाए हुए हैं।
नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार में साल 2025 की चौथी तिमाही कंपनियों की कमाई के लिहाज से बेहद दिलचस्प रही है। जहां एक ओर मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियां चुनौतियों से जूझती नजर आईं, वहीं लार्जकैप कंपनियों ने शानदार प्रदर्शन कर सभी का ध्यान खींचा है। आंकड़ों की मानें तो लार्जकैप कंपनियों ने आय और मुनाफे में न सिर्फ स्थिरता दिखाई, बल्कि वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद मजबूती भी दर्ज की है।
लार्जकैप कंपनियों की कमाई में जबरदस्त उछाल
इक्विरस सिक्योरिटीज द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 को समाप्त चौथी तिमाही में लार्जकैप कंपनियों की आय में सालाना आधार पर करीब 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस दौरान 270 कंपनियों के वित्तीय नतीजों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया, जिसमें पाया गया कि लार्जकैप कंपनियों का प्रदर्शन विश्लेषकों की उम्मीद से बेहतर रहा है।
रिपोर्ट बताती है कि जिन कंपनियों पर नजर रखी गई, उनमें ईबीआईटीडीए और नेट इनकम दोनों में क्रमशः 6 और 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सबसे बड़ी बात यह रही कि विश्लेषकों के अनुमानों के मुकाबले ये आंकड़े 4 से 5 प्रतिशत ज्यादा निकले। इसका साफ संकेत है कि इन कंपनियों ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आय और लाभ दोनों मोर्चों पर मजबूती दिखाई।
मिडकैप और स्मॉलकैप का कमजोर प्रदर्शन
वहीं दूसरी ओर मिडकैप कंपनियों की बात करें तो वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में उनकी आय में सिर्फ 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। जबकि स्मॉलकैप कंपनियों की आय में सालाना आधार पर करीब 16 प्रतिशत की गिरावट आई है। ये आंकड़े बताते हैं कि छोटे और मध्यम आकार की कंपनियां बाजार के उतार-चढ़ाव और मांग में कमी जैसी चुनौतियों से उबर नहीं सकीं।
विशेषज्ञों का मानना है कि मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के पास संसाधनों की सीमित उपलब्धता, लागत में बढ़ोतरी और प्रतिस्पर्धा जैसी समस्याओं के चलते उनका प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा। इसके विपरीत लार्जकैप कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत होती है और उनके पास विपरीत स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर रणनीति और संसाधन होते हैं।
कौन से सेक्टर रहे लार्जकैप ग्रोथ के पीछे
रिपोर्ट के मुताबिक, रिटेल, फार्मा, कैपिटल गुड्स और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे सेक्टरों ने इस तिमाही में अच्छा प्रदर्शन किया। इन क्षेत्रों में मांग में स्थिरता बनी रही और कंपनियों ने नए उत्पादों के जरिए बाजार हिस्सेदारी में भी बढ़ोतरी की। वहीं एफएमसीजी, आईटी, ऑटो और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अपेक्षित वृद्धि नहीं दिखी, जिससे इन क्षेत्रों की लार्जकैप कंपनियों पर दबाव बना रहा।
अगर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को समग्र विश्लेषण से बाहर कर दिया जाए, तो बाकी क्षेत्रों की कंपनियों की ईबीआईटीडीए में 5 प्रतिशत और आय में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं, अगर बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस कंपनियों को भी बाहर कर दें, तो अन्य क्षेत्रों की कंपनियों ने 7 प्रतिशत की ईबीआईटीडीए ग्रोथ और 6 प्रतिशत की आय वृद्धि दिखाई है।
अगली तिमाही के लिए संकेत सकारात्मक
चालू वित्त वर्ष यानी वित्त वर्ष 2026 के लिए कंपनियों की कमाई में और मजबूती आने की संभावना जताई गई है। इक्विरस की रिपोर्ट में शामिल करीब 28 प्रतिशत कंपनियों की प्रति शेयर आय (ईपीएस) का अनुमान बढ़ा दिया गया है। इन कंपनियों में प्रमुख रूप से कैपिटल मार्केट, केमिकल्स, डिफेंस, मेटल और टेक्सटाइल सेक्टर की कंपनियां शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन क्षेत्रों में सरकार की नीतियों, निर्यात मांग और घरेलू खपत में इजाफे से अगले कुछ महीनों में बेहतर प्रदर्शन देखने को मिलेगा। खासकर डिफेंस और केमिकल सेक्टर को मिलने वाले सरकारी प्रोत्साहन और निवेश से इन कंपनियों की आय में और तेजी आ सकती है।
बाजार के लिए क्या संकेत हैं ये नतीजे
चौथी तिमाही के ये नतीजे इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि बाजार की स्थिरता अब कुछ चुनिंदा मजबूत कंपनियों और सेक्टरों पर आधारित होती जा रही है। लार्जकैप कंपनियों का प्रदर्शन यह बताता है कि निवेशकों को मजबूत फंडामेंटल्स वाली कंपनियों की ओर रुख करना चाहिए, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बनी हुई है।
साथ ही, यह भी जरूरी है कि मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियां अपनी लागत रणनीतियों को मजबूत करें और परिचालन दक्षता को बढ़ाएं, ताकि वे भी प्रतिस्पर्धा में बने रह सकें।