कोलकाता के लॉ कॉलेज में छात्रा से गैंगरेप केस में चौथी गिरफ्तारी हुई है। पुलिस ने कॉलेज के सिक्योरिटी गार्ड को अरेस्ट किया। NCW ने मेडिकल जांच में देरी और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं।
Kolkata Gangrape Case: कोलकाता के कस्बा इलाके में स्थित एक लॉ कॉलेज में 25 जून की शाम को लॉ की छात्रा के साथ हुए गैंगरेप मामले में चौथे आरोपी की गिरफ्तारी हो गई है। कोलकाता पुलिस ने मंगलवार को कॉलेज के सिक्योरिटी गार्ड को भी गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले तीन छात्रों की गिरफ्तारी हो चुकी थी। अब तक की जांच में यह साफ हुआ है कि आरोपी गार्ड ने न सिर्फ वारदात को होते देखा, बल्कि उसमें अहम भूमिका निभाई।
कैसे अंजाम दी गई वारदात
पीड़िता ने पुलिस को बताया कि कॉलेज परिसर में छात्र संगठन की बैठक के बाद वह बाहर निकल रही थी। इसी दौरान चारों आरोपियों ने उसे जबरन खींचकर गार्डरूम में ले गए। वहां एक आरोपी ने उसके साथ बलात्कार किया जबकि दो अन्य ने उसका साथ दिया। चौथे आरोपी गार्ड ने पूरे घटनाक्रम को देखा और रोकने की बजाय चुपचाप सहयोग किया। पीड़िता ने कहा कि उसने बार-बार आरोपियों से मिन्नतें कीं, उनके पैर पकड़े लेकिन किसी ने दया नहीं दिखाई।
पहले हो चुकी हैं तीन गिरफ्तारियां
घटना के तुरंत बाद पीड़िता ने हिम्मत दिखाते हुए FIR दर्ज करवाई थी। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए तीन छात्रों को गिरफ्तार किया और कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने सभी तीनों आरोपियों को चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। पुलिस अब सिक्योरिटी गार्ड से पूछताछ कर रही है ताकि यह समझा जा सके कि घटना की योजना पहले से बनाई गई थी या यह अचानक हुई।
NCW ने उठाए पुलिस पर सवाल
इस संवेदनशील मामले पर राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की सदस्य अर्चना मजूमदार ने कोलकाता पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि वे लगातार पुलिस के संपर्क में रहने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन उन्हें कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मेडिकल जांच में जानबूझकर देरी की जा रही है।
मेडिकल जांच को लेकर भी विवाद
NCW सदस्य ने बताया कि पीड़िता को पहले कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, लेकिन वहां मेडिकल जांच नहीं हुई। फिर कहा गया कि NRS मेडिकल कॉलेज ले जाया जाएगा, लेकिन वहां भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। अर्चना मजूमदार का कहना है कि प्रशासन की इस ढुलमुल कार्यप्रणाली से पीड़िता के साथ न्याय में देरी हो रही है।
पहले भी सामने आ चुका है ऐसा मामला
NCW ने आशंका जताई है कि यह मामला कहीं पहले जैसे RG Kar मेडिकल कॉलेज केस जैसा न बन जाए, जहां जांच और मेडिकल प्रक्रिया में जानबूझकर देरी कर मामले को दबाने की कोशिश की गई थी। आयोग ने साफ किया है कि वह पीड़िता के पक्ष में हर संभव कदम उठाएगा।