एक समय था जब सोने को सिर्फ शादी-ब्याह या त्योहारों तक ही सीमित समझा जाता था। लेकिन अब वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की नई रिपोर्ट ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है। रिपोर्ट का नाम है The Portfolio Continuum, जिसमें बताया गया है कि सोना अब दुनियाभर के निवेशकों के पोर्टफोलियो में एक अहम और स्थायी जगह बना चुका है। यानी अब गोल्ड सिर्फ 'बुरे वक्त की पूंजी' नहीं रहा, बल्कि एक रणनीतिक और स्मार्ट निवेश बन चुका है।
सोना बन गया है बिज़नेस क्लास एसेट
पहले सोने को आमतौर पर बचत का जरिया या बुजुर्गों की सुरक्षा निधि समझा जाता था, लेकिन अब इसकी पहचान बदल चुकी है। इंटरनेशनल इन्वेस्टर्स अब सोने को प्रॉपर्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर या प्राइवेट इक्विटी जैसे हाई-वैल्यू एसेट्स के बराबर समझते हैं। इसका मतलब है कि गोल्ड अब 'बिजनेस क्लास' इनवेस्टमेंट के तौर पर देखा जा रहा है, जो न सिर्फ जोखिम को संतुलित करता है बल्कि पोर्टफोलियो में स्थिरता भी लाता है।
क्यों बढ़ रही है गोल्ड की लोकप्रियता
- कम जोखिम वाला विकल्प: जब शेयर बाजार अस्थिर हो या कोई बड़ा वैश्विक संकट हो (जैसे युद्ध, मंदी या महंगाई), तो गोल्ड एक स्थिर विकल्प साबित होता है।
- तेज लिक्विडिटी: प्रॉपर्टी या निजी निवेश के मुकाबले सोना जल्दी और आसानी से बेचा या खरीदा जा सकता है।
- मुद्रा का संतुलन: जब डॉलर कमजोर होता है या महंगाई बढ़ती है, तो गोल्ड उसकी भरपाई करता है।
- पर्यावरण और सामाजिक फ्रेंडली: अब गोल्ड माइनिंग में ESG (पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस) मानकों का पालन किया जा रहा है, जिससे यह एथिकल इनवेस्टमेंट भी बन गया है।
गोल्ड को कैसे देखें निवेश के नजरिए से
- इस रिपोर्ट में सोने को एक मजबूत रणनीतिक एसेट के रूप में पेश किया गया है। इसका मतलब यह है कि अब गोल्ड को केवल एक सुरक्षित उपाय या ‘सेफ हैवन’ मानने की बजाय, इसे एक ऐसा विकल्प माना जाए जो रिटर्न भी देता है और पोर्टफोलियो को बैलेंस भी करता है।
गोल्ड की तुलना में अन्य एसेट क्लासेस की स्थिति (Pointwise TD Format)
गोल्ड (Gold)
- रिटर्न: मीडियम
- जोखिम (Risk): कम
- लिक्विडिटी: हाई
- कुल स्कोर: 9/10
रियल एस्टेट (Real Estate)
- रिटर्न: हाई
- जोखिम: मीडियम
- लिक्विडिटी: कम
- कुल स्कोर: 7/10
प्राइवेट इक्विटी (Private Equity)
- रिटर्न: हाई
- जोखिम: हाई
- लिक्विडिटी: बहुत कम
- कुल स्कोर: 6/10
बॉन्ड्स (Bonds)
- रिटर्न: लो
- जोखिम: कम
- लिक्विडिटी: हाई
- कुल स्कोर: 6/10
गोल्ड के दाम और डिमांड में उछाल
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में ब्याज दरें स्थिर हैं और डॉलर में कमजोरी आई है। इसके अलावा चीन की ओर से भी गोल्ड की मांग में इजाफा हुआ है। इन सभी ग्लोबल फैक्टर्स का असर भारत पर भी पड़ा है। देश में फेस्टिव सीजन नजदीक है, जिससे गोल्ड की घरेलू डिमांड भी बढ़ रही है। शादी-ब्याह के सीजन में तो गोल्ड की खरीदारी पारंपरिक रूप से जोर पकड़ ही लेती है।
गोल्ड में निवेश के नए तरीके
अब सोने में निवेश करने के कई मॉडर्न और आसान विकल्प मौजूद हैं, जो पहले के मुकाबले ज्यादा सुविधाजनक हैं:
- फिजिकल गोल्ड: सोने के सिक्के या गहने। इसमें मेकिंग चार्ज और टैक्स ज्यादा होता है, लेकिन आम लोगों का पसंदीदा तरीका है।
- गोल्ड ईटीएफ या म्यूचुअल फंड: इसमें निवेश डिजिटल होता है और यह कम खर्च और ज्यादा लिक्विड होता है।
- सोवरेन गोल्ड बॉन्ड: इसमें सरकार की गारंटी के साथ ब्याज भी मिलता है और टैक्स में राहत भी होती है।
- डिजिटल गोल्ड: मोबाइल ऐप्स के जरिए सोने में निवेश करना अब और भी आसान हो गया है, हालांकि रेगुलेशन का ध्यान रखना जरूरी है।
सोना अब है निवेश का रणनीतिक हथियार
रिपोर्ट का कहना है कि आज का सोना सिर्फ जेवरों या बुरे वक्त की बचत नहीं है, बल्कि अब यह एक रणनीतिक निवेश है, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता में भी टिकता है। महामारी, युद्ध, मंदी, मुद्रा संकट – इन सभी हालातों में गोल्ड ने खुद को एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में साबित किया है।
2025 की तैयारी में गोल्ड की भूमिका
गोल्ड का ट्रेंड अब पूरी दुनिया में बदल रहा है। खासकर 2025 और आगे की आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए, यह साफ है कि निवेशकों का रुझान सोने की ओर बढ़ रहा है। डिजिटल गोल्ड, एसजीबी और गोल्ड ईटीएफ जैसे विकल्प इसे और भी सुलभ बना रहे हैं।
सोने की चमक में अब दिख रहा है निवेश का नया भविष्य
आज जब दुनिया महंगाई, भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक सुस्ती से जूझ रही है, तब गोल्ड एक ऐसा विकल्प बनकर उभरा है जो न सिर्फ जोखिम से बचाता है, बल्कि लंबे समय में निवेशकों को स्थिरता और भरोसा भी देता है।