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लंग्स इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण, जानें कब हो सकता है खतरा!

लंग्स इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण, जानें कब हो सकता है खतरा!

लंग्स इंफेक्शन फेफड़ों में बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण होने वाला संक्रमण है, जो सांस लेने में कठिनाई, खांसी, बुखार और थकान जैसे लक्षण दिखा सकता है। कमजोर इम्यूनिटी, धूम्रपान और प्रदूषित वातावरण इसे बढ़ाते हैं। बचाव के लिए मास्क, हाथ धोना, वैक्सीनेशन और पौष्टिक आहार जरूरी हैं।

Lungs Infection: लंग्स इंफेक्शन फेफड़ों में बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण होने वाला संक्रमण है, जो सांस लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल के डॉ. एल.एच. घोटेकर के अनुसार, शुरुआती लक्षणों में खांसी, बलगम, हल्का बुखार, थकान और सांस फूलना शामिल हैं, जबकि गंभीर मामलों में तेज बुखार, चेहरे का फिका पड़ना और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, बच्चे, बुजुर्ग, धूम्रपान करने वाले और प्रदूषित वातावरण में रहने वाले अधिक प्रभावित होते हैं। बचाव के लिए मास्क, हाथ धोना, टीकाकरण और संतुलित आहार की सलाह दी जाती है।

लंग्स इंफेक्शन के कारण

डॉ. एल.एच. घोटेकर के अनुसार, फेफड़ों में संक्रमण के कई कारण हो सकते हैं। सबसे आम कारण बैक्टीरिया और वायरस का हमला है। अक्सर सर्दी, फ्लू या अन्य सांस की बीमारियों के दौरान यह संक्रमण फेफड़ों तक पहुंच जाता है। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, जैसे बुजुर्ग, छोटे बच्चे, डायबिटीज या अन्य क्रॉनिक बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति, इस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

धूम्रपान करने वाले और प्रदूषित वातावरण में रहने वाले लोग भी जल्दी प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा, हाल ही में हुई सर्दी या फ्लू के कारण भी फेफड़ों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक खांसी या गले की समस्या, असंतुलित खानपान और फेफड़ों का साफ न रहना भी जोखिम बढ़ाता है।

लक्षण: हल्के से गंभीर तक

लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल के डॉ. एल.एच. घोटेकर के अनुसार, लंग्स इंफेक्शन के लक्षण हल्के या गंभीर दोनों तरह के हो सकते हैं। शुरुआती लक्षणों में लगातार खांसी, बलगम या कफ, हल्का बुखार, थकान और सांस फूलना शामिल हैं। कुछ मामलों में सीने में दर्द, तेज बुखार, हड्डियों या मांसपेशियों में दर्द, छींक या गले में जलन भी देखने को मिलती है।

गंभीर संक्रमण में सांस लेने में कठिनाई, तेजी से सांस आना, चेहरा नीला या फिका पड़ना और लगातार तेज बुखार जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो संक्रमण फेफड़ों के कामकाज को प्रभावित कर सकता है और जीवन के लिए खतरा बन सकता है।

कौन लोग अधिक संवेदनशील हैं

विशेषज्ञों के अनुसार, बुजुर्ग, छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग अधिक जोखिम में हैं। इसके अलावा, डायबिटीज, हार्ट डिजीज या अस्थमा जैसी क्रॉनिक बीमारियों से ग्रसित लोगों में संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है। लगातार प्रदूषित वातावरण में रहने वाले लोग और धूम्रपान करने वाले भी जल्दी प्रभावित हो सकते हैं।

बचाव के तरीके

लंग्स इंफेक्शन से बचाव के लिए कुछ आसान उपाय अपनाए जा सकते हैं। मास्क पहनकर प्रदूषित या भीड़भाड़ वाली जगहों में जाने से बचना चाहिए। हाथों को नियमित रूप से धोते रहना और खांसी या छींकते समय रूमाल या कोहनी का इस्तेमाल करना संक्रमण फैलने से रोकता है।

धूम्रपान और सिगरेट से दूर रहना, संतुलित और पौष्टिक आहार लेना, ताकि इम्यूनिटी मजबूत रहे, बेहद जरूरी है। समय पर टीकाकरण कराना, जैसे फ्लू और प्न्यूमोकोकल वैक्सीन, भी फेफड़ों को संक्रमण से बचाता है। घर और आसपास की हवा साफ रखना और वेंटिलेशन पर ध्यान देना भी संक्रमण रोकने में मदद करता है।

संक्रमण की गंभीरता और चेतावनी

फेफड़ों में इंफेक्शन केवल सांस लेने की समस्या तक सीमित नहीं रहता। अगर इसे समय पर पहचाना और इलाज नहीं किया गया, तो यह शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है। गंभीर मामलों में निमोनिया, ऑक्सीजन की कमी और जीवन-threatening स्थिति बन सकती है।

डॉ. घोटेकर का कहना है कि लक्षण दिखते ही उचित जांच और इलाज शुरू करना बहुत जरूरी है। हल्के लक्षणों को नजरअंदाज करना भविष्य में बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है।

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