मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीली कोल्ड्रिफ कफ सीरप के सेवन से कई बच्चों की मौत हो गई। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां एक पीआईएल दायर की गई थी। याचिका में इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई थी।
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीली कोल्ड्रिफ कफ सीरप (Coldref Cough Syrup) पीने से हुई बच्चों की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने अदालत से सीरप निर्माण कंपनी और संबंधित सरकारी अधिकारियों की लापरवाही की जांच करवाने की अपील की थी।
क्या था मामला?
बीते महीनों में मध्य प्रदेश और राजस्थान से कई रिपोर्ट्स सामने आईं, जिनमें जहरीली कोल्ड्रिफ कफ सीरप के सेवन के बाद बच्चों की मौत की बात कही गई थी। परिजनों का आरोप था कि दवा पीने के तुरंत बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ गई और कुछ ही घंटों में उनकी जान चली गई। इस घटना ने देशभर में हड़कंप मचा दिया। दवा की गुणवत्ता और दवा नियामक एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे।
इसी को ध्यान में रखते हुए वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी, जिसमें इस पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता की मांग को खारिज करते हुए कहा कि यह याचिका ठोस तथ्यों और दस्तावेजों के बिना दाखिल की गई है। सीजेआई ने कहा कि याचिका में जो दावे किए गए हैं, वे सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित हैं और याचिकाकर्ता के पास कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है।
अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता ने इससे पहले भी 10 से अधिक जनहित याचिकाएं दाखिल की हैं, जिनमें समान प्रकार की मांगें की गई थीं।इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश नहीं दे सकती, और याचिका को खारिज कर दिया।
केंद्र सरकार की दलील
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि याचिका में दिए गए आरोप किसी ठोस साक्ष्य पर आधारित नहीं हैं। तुषार मेहता ने कहा, यह याचिका सिर्फ अखबारों और मीडिया रिपोर्ट्स में पढ़ी गई बातों पर आधारित है। न तो याचिकाकर्ता के पास कोई आधिकारिक दस्तावेज हैं और न ही किसी प्रभावित परिवार की ओर से अधिकृत जानकारी। ऐसे में अदालत से सीबीआई जांच की मांग उचित नहीं है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि राज्य सरकारें इस मामले में पहले से ही जांच कर रही हैं और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की निगरानी में सभी परीक्षण जारी हैं।