मेघालय की राजनीति में मंगलवार को बड़ा उलटफेर हुआ। मंत्रिमंडल विस्तार से पहले आठ मंत्रियों ने एकसाथ इस्तीफा सौंप दिया। मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने इस्तीफे राज्यपाल को सौंप दिए और शाम को नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी।
Meghalaya Politics: मेघालय की राजनीति में मंगलवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ। लंबे समय से चल रही चर्चाओं और अटकलों के बीच आखिरकार वह हुआ जिसकी संभावना जताई जा रही थी। राज्य की कोनराड संगमा सरकार में एकसाथ आठ मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री ने इन इस्तीफों को राज्यपाल के हवाले कर दिया है।
मंत्रिमंडल विस्तार से पहले इस्तीफों का तूफान
दरअसल, मेघालय में मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी पहले से चल रही थी। सरकार चाहती थी कि नए चेहरों को मौका देकर राजनीतिक संतुलन साधा जाए और संगठन को मजबूती मिले। इसी क्रम में मौजूदा मंत्रियों को पद छोड़ने के लिए कहा गया। नतीजा यह हुआ कि मंगलवार को एक झटके में आठ मंत्रियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा सौंप दिया।
राज्यपाल से हुई मुलाकात
मंगलवार को मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने खुद राजभवन पहुंचकर राज्यपाल सीएच विजयशंकर से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने आठ मंत्रियों के इस्तीफे राज्यपाल को सौंप दिए। राजभवन से मिली जानकारी के मुताबिक राज्यपाल ने इन इस्तीफों को स्वीकार कर लिया है और अब नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
राजभवन में शाम पांच बजे शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन केवल सत्ता परिवर्तन का नहीं बल्कि मेघालय की राजनीति में नए समीकरणों का प्रतीक भी होगा।
इस्तीफा देने वाले मंत्रियों की सूची
राज्य की राजनीति में इन आठ नामों का महत्व काफी है। सभी अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे और लंबे समय से सरकार का हिस्सा थे। इस्तीफा देने वालों में शामिल हैं–
- माजेल अम्पारीन लिंगदोह
- कोमिंगोन यम्बोन
- रक्कम अम्पांग संगमा
- अबू ताहिर मंडल
- पॉल लिंगदोह
- किरमेन श्याला
- शकलियार वारजरी
- एएल हेक
इनमें से कई नाम राज्य की राजनीति में प्रभावशाली माने जाते हैं। ऐसे में उनके पद छोड़ने से सत्ता समीकरण बदलना तय है।
इस्तीफे के पीछे असली वजह क्या?
सवाल यह उठता है कि आखिरकार इतने बड़े पैमाने पर मंत्रियों ने इस्तीफा क्यों दिया। दरअसल, इसका सीधा संबंध मंत्रिमंडल विस्तार से है। राज्य सरकार चाहती है कि नए चेहरों को मौका मिले ताकि विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व और संतुलन बना रहे।
इसके अलावा, आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार अपनी छवि को और मजबूत करना चाहती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम युवाओं और नए नेताओं को आगे लाने की कवायद है।
नए मंत्रियों के नाम पर चर्चा
इस्तीफों के बाद अब सबसे बड़ा सवाल है कि किन चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। सूत्रों के मुताबिक, एनपीपी के तीन विधायक –
- वैलादमिकी शायला
- सोस्थनीस सोहतुन
- ब्रेनिंग संगमा
- मंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। इसके अलावा, कुछ और नाम भी सामने आ सकते हैं ताकि क्षेत्रीय संतुलन और पार्टी की रणनीति दोनों को साधा जा सके।
विपक्ष ने साधा निशाना
विपक्षी दलों ने इस घटनाक्रम को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। विपक्ष का कहना है कि बार-बार मंत्रिमंडल में फेरबदल और इस्तीफे राजनीतिक अस्थिरता का संकेत हैं। उनका आरोप है कि सरकार अपने ही नेताओं पर भरोसा नहीं कर पा रही और लगातार नए प्रयोग कर रही है। हालांकि, सत्तारूढ़ एनपीपी ने विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए कहा है कि यह फैसला राज्य के हित में लिया गया है और इससे सरकार और मजबूत होकर उभरेगी।