असम के मुख्यमंत्री हिमंत सरमा ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि वह केवल मुस्लिम बंगालियों की चिंता करती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर वह असम आती हैं तो असमिया और हिंदू-बंगाली विरोध करेंगे।
New Delhi: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोपों का तीखा जवाब देते हुए कहा कि उन्हें केवल बंगाली भाषी मुसलमानों की चिंता है। सरमा ने चेतावनी दी कि यदि ममता बनर्जी मुस्लिम-बंगालियों के समर्थन में असम आती हैं, तो असमिया और हिंदू-बंगाली उन्हें जवाब देंगे। इसके साथ ही उन्होंने सवाल किया कि ममता बनर्जी ने अपने राज्य में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) क्यों नहीं लागू किया।
ममता बनर्जी के आरोपों पर हिमंत सरमा का पलटवार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा भाजपा पर भाषाई पहचान को हथियार बनाने के आरोप के बाद, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी केवल एक खास समुदाय यानी बंगाली मुसलमानों के हित की बात करती हैं और बाकी लोगों की उन्हें परवाह नहीं है।
सरमा ने कहा कि ममता बनर्जी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह सभी बंगालियों की बात करती हैं या सिर्फ मुस्लिम-बंगालियों की। उन्होंने खुद ही इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, “मेरा जवाब है — सिर्फ मुस्लिम-बंगाली।”
... तो असमिया और हिंदू-बंगाली उन्हें जवाब देंगे”
हिमंत सरमा ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर ममता बनर्जी मुस्लिम-बंगालियों के समर्थन में असम आती हैं, तो असमिया और हिंदू-बंगाली लोग इसका कड़ा विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि असम में एक समावेशी समाज है जहां सभी समुदायों के लोग रहते हैं, लेकिन जब कोई बाहरी व्यक्ति आकर किसी एक समुदाय के पक्ष में राजनीति करता है, तो लोग चुप नहीं रहते।
“CAA पर ममता बनर्जी का दोहरा रवैया”
सीएम सरमा ने ममता बनर्जी से यह भी पूछा कि अगर उन्हें बंगाली भाषी लोगों की चिंता है, तो उन्होंने अपने राज्य में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को क्यों नहीं लागू किया।
उन्होंने कहा कि असम में CAA को लेकर एक स्पष्ट नीति है और बंगाली हिंदू इसमें समाहित हैं। लेकिन ममता बनर्जी इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी केवल अपने राजनीतिक फायदे के लिए बंगाली मुसलमानों की बात करती हैं, जबकि बंगाली हिंदुओं के अधिकारों की उन्हें कोई चिंता नहीं।
“बंगाली हिंदू असम के समाज में पूरी तरह समाहित”
हिमंत सरमा ने यह भी कहा कि बंगाली हिंदू असम के व्यापक सामाजिक ताने-बाने का हिस्सा बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों को न सिर्फ सुरक्षा मिली है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व भी हासिल है।
उन्होंने कहा, “बंगाली हिंदू अपनी भाषा, धर्म और संस्कृति का पूरी स्वतंत्रता से पालन करते हैं। उन्हें असम सरकार में मंत्री, विधायक और अन्य पदों पर प्रतिनिधित्व मिला है।” राज्य में बंगालियों और असमियों के बीच किसी प्रकार का विभाजन नहीं है। बंगाली राज्य की एक सह-आधिकारिक भाषा है और बराक घाटी में यह पूरी तरह से आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है।