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National Urban Beekeeping Day: शहरी मधुमक्खी पालन से पर्यावरण और सेहत लाभ

National Urban Beekeeping Day: शहरी मधुमक्खी पालन से पर्यावरण और सेहत लाभ

हमारी धरती पर जीवन की स्थिरता में मधुमक्खियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये नन्हीं-सी मेहनती जीव फूलों से परागण कर न सिर्फ फल और फूलों की पैदावार बढ़ाती हैं, बल्कि हमें शुद्ध और स्वादिष्ट शहद भी प्रदान करती हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन, कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग और जंगलों की कटाई के चलते मधुमक्खियों की आबादी में भारी गिरावट आई है।

इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए हर साल 19 जुलाई को 'नेशनल अर्बन बीकीपिंग डे' यानी राष्ट्रीय शहरी मधुमक्खी पालन दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य शहरों में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना, लोगों को इसके प्रति जागरूक करना और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का संदेश देना है।

शहरों में मधुमक्खी पालन: अब छतों और बालकनी से भी मिल रहा शुद्ध शहद

शायद आपने कभी सोचा भी न हो कि जिस अपार्टमेंट में आप रहते हैं, उसकी छत पर मधुमक्खी पालन किया जा सकता है! लेकिन ये सच है। दुनिया के बड़े शहरों जैसे न्यूयॉर्क, टोक्यो, पेरिस और लंदन की छतों, पार्कों और बालकनी में आज शहरी बीकीपिंग एक सामान्य बात बनती जा रही है भारत में भी अब शहरी मधुमक्खी पालन धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा है। यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि शहरवासियों को शुद्ध, ऑर्गेनिक और स्थानीय शहद भी उपलब्ध कराता है।

इतिहास: कैसे शुरू हुआ National Urban Beekeeping Day?

इस खास दिन की शुरुआत 2019 में अमेरिका की डिट्रॉइट आधारित गैर-लाभकारी संस्था Detroit Hives ने की थी। इसका उद्देश्य था – शहरों में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना और बीकीपर्स को पहचान दिलाना। लेकिन अगर हम इतिहास में जाएं, तो प्राचीन मिस्रवासी भी शहरों में मिट्टी से बने छत्तों में मधुमक्खी पालन करते थे। यानी यह कोई नई खोज नहीं, बल्कि एक प्राचीन परंपरा है जिसे अब आधुनिक जीवनशैली के अनुसार फिर से अपनाया जा रहा है।

शहरी मधुमक्खी पालन के फायदे: क्यों अपनाएं ये कदम?

1. स्थानीय स्तर पर शुद्ध शहद का उत्पादन

घर या कॉलोनी में पालने से आप बिना मिलावट वाला ऑर्गेनिक शहद प्राप्त कर सकते हैं।

2. परागण में वृद्धि और बेहतर फसल उत्पादन

मधुमक्खियां आपके गार्डन या आसपास की हरियाली को संजीवनी देती हैं।

3. पर्यावरण संरक्षण में योगदान

यह जैव विविधता को बढ़ाता है और पर्यावरण संतुलन में मदद करता है।

4. समुदाय में जागरूकता और जुड़ाव

शहरी बीकीपिंग से लोग एक-दूसरे से जुड़ते हैं, बच्चों में सीखने की उत्सुकता बढ़ती है और सामूहिक जिम्मेदारी का भाव जागृत होता है।

कैसे मनाएं National Urban Beekeeping Day?

1. एक शहरी बीकीपिंग वर्कशॉप में शामिल हों

अपने शहर या क्षेत्र में मधुमक्खी पालन से जुड़े किसी कार्यक्रम या वर्कशॉप का हिस्सा बनें। वहां जाकर विशेषज्ञों से जानकारी लें कि कैसे आप भी शुरुआत कर सकते हैं।

2. बी-फ्रेंडली गार्डन बनाएं

अगर आपके पास छत, बालकनी या छोटी सी जगह भी है, तो उसमें ऐसे फूल और पौधे लगाएं जो मधुमक्खियों को आकर्षित करें जैसे तुलसी, सूरजमुखी, लैवेंडर आदि।

3. बच्चों को मधुमक्खियों की अहमियत बताएं

बच्चों के साथ शहद के फायदे, मधुमक्खियों का जीवनचक्र और उनके बिना हमारी दुनिया कैसी होगी – जैसे विषयों पर बातचीत करें या कोई डॉक्युमेंट्री दिखाएं।

4. स्थानीय शहद खरीदें और दूसरों को भी प्रेरित करें

सुपरमार्केट की बजाय स्थानीय बीकीपर्स से शहद खरीदें और शुद्धता का समर्थन करें।

भारत में शहरी मधुमक्खी पालन की संभावनाएं

भारत में तेजी से बढ़ते शहरीकरण के बीच अब समय आ गया है कि हम शहरी बीकीपिंग को भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में कई स्टार्टअप्स और संस्थाएं इस दिशा में सक्रिय हैं। सरकार भी अब "स्वर्ण जैविक मिशन" जैसी योजनाओं के माध्यम से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है।

शहद के कुछ हेल्थ बेनिफिट्स जो आपको जरूर जानने चाहिए:

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
  • गले की खराश में राहत देता है
  • घाव भरने में मदद करता है
  • वजन घटाने में सहायक
  • ऊर्जा का प्राकृतिक स्रोत

शहरी मधुमक्खी पालन सिर्फ एक शौक नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह ना सिर्फ शहरों में हरियाली और जैव विविधता को बढ़ाता है, बल्कि समाज को प्राकृतिक जीवन से जोड़ता है। आइए, इस National Urban Beekeeping Day पर मधुमक्खियों को बचाने और शहरी जीवन को हरा-भरा बनाने में अपना योगदान दें।

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