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NSE बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा IPO प्लेटफॉर्म, जानिए कैसे रचा इतिहास

NSE बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा IPO प्लेटफॉर्म, जानिए कैसे रचा इतिहास

वित्तीय वर्ष 2025 की पहली छमाही भारत के शेयर बाजार के लिए काफी खास रही। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी NSE ने जनवरी से जून के बीच आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के जरिए करीब 5.51 अरब डॉलर यानी लगभग ₹45,800 करोड़ जुटाए। यह आंकड़ा वैश्विक स्तर पर जुटाई गई कुल 61.95 अरब डॉलर की राशि का 8.9 प्रतिशत है। यह जानकारी एसऐंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की ताज़ा रिपोर्ट में दी गई है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत का NSE आईपीओ के मामले में अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म बन गया है। इस उपलब्धि ने भारत को वैश्विक पूंजी बाजार की दौड़ में मजबूती से खड़ा कर दिया है।

IPO की संख्या में NSE निकला सबसे आगे

हालांकि पूंजी जुटाने के लिहाज़ से अमेरिका के नैस्डैक ग्लोबल मार्केट, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (NYSE) और नैस्डैक ग्लोबल सेलेक्ट मार्केट पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। इन तीनों के माध्यम से 2025 की पहली छमाही में कुल 28.95 अरब डॉलर जुटाए गए, जो कि पूरी वैश्विक राशि का लगभग 46.73 प्रतिशत हिस्सा है।

लेकिन अगर बात आईपीओ की संख्या की करें तो NSE बाकी सभी को पछाड़ गया। जहां नैस्डैक ग्लोबल मार्केट पर 66 आईपीओ आए, वहीं NSE पर इस अवधि में 73 कंपनियों ने अपने इश्यू लॉन्च किए। यानी आईपीओ की संख्या के हिसाब से NSE शीर्ष पर रहा।

2024 के मुकाबले बड़ी उछाल

2025 की पहली छमाही में भारत में कुल 119 आईपीओ आए, जिनसे 51,150 करोड़ रुपये जुटाए गए। वहीं, 2024 की समान अवधि में 157 आईपीओ आए थे, लेकिन उनसे केवल 37,682 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई गई थी।

यानी इस बार भले ही आईपीओ की संख्या थोड़ी कम रही, लेकिन इश्यू का आकार और वैल्यूएशन ज्यादा बड़ा था। इससे यह साफ होता है कि कंपनियां अब पहले से अधिक तैयारी और विश्वास के साथ बाजार में उतर रही हैं।

पिछले साल रहा रिकॉर्ड स्तर

2024 के पूरे कैलेंडर वर्ष की बात करें तो भारत में कुल 333 कंपनियों ने अपनी लिस्टिंग की थी। इनसे करीब 1.713 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए थे। यह आंकड़ा अब तक के सबसे ऊंचे आईपीओ कलेक्शन में से एक माना जाता है।

2025 की पहली छमाही में मिले आंकड़े इस ओर इशारा कर रहे हैं कि यह साल भी आईपीओ के लिहाज़ से ऐतिहासिक साबित हो सकता है।

तेजी के बाजार में नई कंपनियों की मांग बनी हुई है

निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के इक्विटी हेड शैलेश राज भान के मुताबिक, तेजी वाले बाजार में निवेशक नए इश्यू को लेकर ज्यादा उत्साहित होते हैं। उन्होंने बताया कि अभी के माहौल में आईपीओ की मांग लगातार मजबूत बनी हुई है और कंपनियां इस रुझान का लाभ उठा रही हैं।

स्टार्टअप और मिडसाइज़ कंपनियों की बढ़ती भागीदारी

भारत में तेजी से बढ़ते स्टार्टअप और मिडसाइज़ बिजनेस भी अब बड़े स्तर पर पूंजी जुटाने के लिए आईपीओ का रुख कर रहे हैं। टेक्नोलॉजी, फार्मा, मैन्युफैक्चरिंग और कंज्यूमर गुड्स जैसे सेक्टरों से जुड़ी कंपनियों ने इस साल बाजार में खासा भरोसा दिखाया है।

इन कंपनियों को घरेलू निवेशकों के साथ-साथ ग्लोबल फंड्स और इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स से भी मजबूत समर्थन मिल रहा है।

बदलती सोच और टेक्नोलॉजी का असर

आईपीओ प्रक्रिया में डिजिटलीकरण ने खुदरा निवेशकों को भी इस क्षेत्र में प्रवेश करने का अवसर दिया है। अब मोबाइल एप्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए आवेदन करना आसान हो गया है, जिससे छोटे निवेशक भी बड़े इश्यू में भागीदारी कर पा रहे हैं।

इस बदलाव से निवेशकों की संख्या भी बढ़ी है और बाजार की गहराई में इज़ाफा हुआ है।

ग्लोबल मंच पर भारत की पहचान और मजबूत

NSE की यह वैश्विक रैंकिंग इस ओर इशारा करती है कि भारत अब केवल उभरता हुआ बाजार नहीं, बल्कि एक मजबूत और स्थिर निवेश गंतव्य बन चुका है। यहां की कंपनियां तकनीकी रूप से मजबूत हैं, रेवेन्यू में वृद्धि दर्ज कर रही हैं और कॉर्पोरेट गवर्नेंस के मामले में भी लगातार सुधार कर रही हैं।

NSE का चौथे स्थान पर पहुंचना न सिर्फ भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह आने वाले समय में और बड़ी उपलब्धियों की संभावना को भी दर्शाता है।

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