भारत के तेरहवें राष्ट्रपति और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, प्रणब कुमार मुखर्जी की जयंती 11 दिसंबर को मनाई जाती है। उनका जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती गांव में हुआ था। प्रणब मुखर्जी भारतीय राजनीति के एक महान स्तंभ थे, जिनका योगदान देश के राजनीतिक, आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अनमोल था। उनका जीवन एक प्रेरणा है और उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती हैं।
भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता और भारत के तेरहवें राष्ट्रपति, प्रणव मुखर्जी की जयंती 11 दिसंबर को पूरे देश में श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। प्रणव मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती गाँव में हुआ था। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जिन्होंने भारतीय राजनीति में अपने योगदान से ना केवल देश को एक नई दिशा दी, बल्कि जनता के दिलों में अपनी एक स्थायी जगह बनाई।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

प्रणव मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता, कामदा किंकर मुखर्जी, एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया और कई वर्षों तक जेल में भी रहे। प्रणव मुखर्जी ने अपनी शिक्षा वीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज से की थी और बाद में उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से इतिहास, राजनीति विज्ञान और कानून में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। वे एक विद्वान व्यक्ति थे और कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे। इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता और राजनीति में कदम रखा, जो उनकी भविष्य की सफलता का आधार बना।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत
प्रणव मुखर्जी का राजनीतिक करियर 1969 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से शुरू हुआ, जब उन्होंने राज्यसभा के सदस्य के रूप में अपना पहला कदम रखा। इसके बाद, उन्होंने एक के बाद एक कई महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर काम किया। 1973 में वे केंद्रीय उप-मंत्री बने, और 1982 में भारत के वित्त मंत्री के रूप में उनकी पहचान बनी। उनके कार्यकाल में भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लिया गया 1.1 अरब डॉलर का ऋण चुकता नहीं किया, जो उस समय एक महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय था।
भारत के राष्ट्रपति बनने तक का सफर
प्रणव मुखर्जी का राजनीतिक करियर बहुत ही विविधतापूर्ण रहा। वे कांग्रेस पार्टी में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे। वे 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने, जहां उन्हें दुनिया के सबसे अच्छे वित्त मंत्री के रूप में मूल्यांकन किया गया था। इसके बाद उन्होंने 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार में रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया।

25 जुलाई 2012 को, प्रणव मुखर्जी ने भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और भारतीय राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत की। उनका राष्ट्रपति बनने का सफर एक ऐतिहासिक मोड़ था, और 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनके नेतृत्व में भारतीय राजनीति ने एक मजबूत दिशा पकड़ी और उन्होंने हमेशा देश की सेवा में अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दी।
अंतरराष्ट्रीय पहचान और योगदान
प्रणव मुखर्जी को केवल भारतीय राजनीति में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक सम्मानित नेता के रूप में जाना जाता था। उन्होंने 2008 में अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस के साथ भारत-अमेरिका असैनिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा, वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक जैसे वैश्विक संस्थाओं के साथ जुड़े रहे और उनका योगदान अद्वितीय था।
निजी जीवन
प्रणव मुखर्जी का निजी जीवन भी काफी प्रेरणादायक था। उन्होंने 1957 में शुभ्रा मुखर्जी से विवाह किया और उनके दो बेटे और एक बेटी है। उनका परिवार हमेशा उनकी शक्ति और समर्थन का स्तंभ रहा। वे एक ईमानदार और सरल व्यक्ति थे, जिन्हें अपनी नीतियों और विचारों पर दृढ़ विश्वास था।
भ्रष्टाचार पर उनके विचार

प्रणव मुखर्जी का मानना था कि भ्रष्टाचार केवल किसी एक पार्टी या सरकार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सामान्य समस्या है जो सभी राजनीतिक दलों में मौजूद हो सकती है। उन्होंने हमेशा अपनी छवि को साफ-सुथरा रखा और भारतीय राजनीति में एक मिसाल पेश की।
निधन और अंतिम समय
प्रणव मुखर्जी का निधन 31 अगस्त 2020 को दिल्ली के एक अस्पताल में हुआ। उन्हें पहले कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में लिया और फिर उनके मस्तिष्क में खून का जमाव होने के कारण उन्हें सर्जरी करानी पड़ी। 31 अगस्त को उन्होंने अंतिम सांस ली और भारत ने एक महान नेता को खो दिया। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, और उनकी जयंती पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
उपसंहार एक महान नेता की यादें
प्रणव मुखर्जी का जीवन भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। उनकी नीतियाँ, नेतृत्व और दूरदर्शिता भारतीय राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ गई। चाहे वह वित्त मंत्री के रूप में उनके फैसले हों, या राष्ट्रपति पद पर उनके कार्यकाल की बात हो, प्रणव मुखर्जी ने हमेशा भारत की सेवा की। उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, हम उनके योगदान और कार्यों को याद करते हैं।
उनका जीवन एक प्रेरणा है, और भारतीय राजनीति में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।













