अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार, 16 अगस्त 2025 को रूस से तेल आयात करने वाले देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की संभावना से इनकार किया। हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि आने वाले दो से तीन सप्ताह में इस पर विचार किया जा सकता है।
Donald Trump on Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार (16 अगस्त 2025) को संकेत दिया कि आने वाले दो से तीन हफ़्तों में वह उन देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने पर विचार कर सकते हैं, जो रूस से तेल खरीद रहे हैं। हालांकि, उन्होंने फिलहाल इसकी तत्काल आवश्यकता से इनकार किया। ट्रंप ने इंटरव्यू में कहा कि आज जो कुछ हुआ, उसके कारण मुझे लगता है कि अभी इस (टैरिफ) के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है। हो सकता है मुझे दो या तीन हफ़्ते बाद सोचना पड़े। यह बयान उनकी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अलास्का में हुई बैठक के बाद सामने आया है।
अभी टैरिफ लगाने की आवश्यकता नहीं: ट्रंप
इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा: आज जो कुछ हुआ है, उसके चलते मुझे लगता है कि फिलहाल टैरिफ बढ़ाने पर विचार करने की जरूरत नहीं है। हो सकता है कि दो या तीन हफ्तों बाद हमें इस दिशा में सोचना पड़े। उनका यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि पिछले कुछ महीनों में ट्रंप प्रशासन ने रूस से ऊर्जा आयात करने वाले देशों पर कठोर कदम उठाने की चेतावनी दी थी।
भारत उन देशों में शामिल है, जिन्हें ट्रंप सरकार की नीतियों का सीधा असर झेलना पड़ा है। ट्रंप ने पहले भारत पर 25% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था। लेकिन रूस से तेल खरीदने को कारण बताते हुए इसे बढ़ाकर 50% कर दिया गया। इनमें से आधे शुल्क लागू हो चुके हैं, जबकि बाकी 27 अगस्त 2025 से प्रभावी होंगे।
ट्रंप का कहना है कि भारत और चीन जैसे देश रूस के साथ व्यापार करके अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए अगर आने वाले हफ्तों में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई, तो द्वितीयक प्रतिबंध (Secondary Sanctions) लगाए जा सकते हैं।
वित्त मंत्री की कड़ी चेतावनी
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने ब्लूमबर्ग टीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि अगर अलास्का में ट्रंप-पुतिन वार्ता से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकलता, तो भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाने से सरकार पीछे नहीं हटेगी। बेसेंट ने भारत के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि नई दिल्ली अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं में “अड़ियल रुख” अपना रहा है। उन्होंने संकेत दिया कि अगर भारत अपने ऊर्जा आयात नीति में बदलाव नहीं करता, तो उसे और कड़े आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में रूस पर 100% तक टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। साथ ही पुतिन सरकार को यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए 50 दिन का समय दिया गया था। इस रणनीति का मकसद है रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करना और उसे वार्ता की मेज पर लाना। भारत और चीन जैसे बड़े ऊर्जा आयातक देशों को चेतावनी दी गई है कि अगर उन्होंने मास्को से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा तो उन्हें अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।