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रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन ने तैनात किए ‘रोबोट ऑन व्हील्स’, सैनिकों की बढ़ाई सुरक्षा, जानें इसकी खासियत

रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन ने तैनात किए ‘रोबोट ऑन व्हील्स’, सैनिकों की बढ़ाई सुरक्षा, जानें इसकी खासियत

यूक्रेन ने युद्ध क्षेत्र में सैनिकों की सुरक्षा के लिए 'रोबोट ऑन व्हील्स' तैनात किए। ये वाहन बारूदी सुरंग हटाना, रसद पहुंचाना और घायल सैनिकों को सुरक्षित स्थान पर लाने जैसे काम करते हैं।

Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में यूक्रेनी सेना ने अपने सैनिकों की सुरक्षा के लिए नए प्रकार के रोबोटिक वाहन तैनात किए हैं। ये वाहन ‘रोबोट ऑन व्हील्स’ के नाम से जाने जाते हैं और इन्हें विशेष रूप से युद्ध के खतरे वाले क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा रहा है। इन वाहनों का उद्देश्य सैनिकों की जान बचाना और कठिन कार्यों को सुरक्षित तरीके से अंजाम देना है।

यूक्रेनी सेना ने इन वाहनों को अग्रिम पंक्ति पर तैनात किया है। यह वाहन कई तरह के काम कर सकते हैं, जैसे रसद पहुंचाना, बारूदी सुरंगें साफ करना और घायल या मृत सैनिकों को सुरक्षित स्थान पर लाना। युद्ध में इन वाहनों का इस्तेमाल करके सैनिकों को सीधे खतरे में नहीं भेजना पड़ता, जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

सैनिकों की कमी और रोबोट वाहनों की आवश्यकता

यूक्रेन को युद्ध में सैनिकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले तीन वर्षों से जारी संघर्ष में यूक्रेन के हजारों सैनिक मारे जा चुके हैं और भारी संख्या में लोग पलायन कर चुके हैं। ऐसे में रोबोट वाहन एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गए हैं। इन वाहनों का उपयोग करके आवश्यक कार्यों को बिना सैनिकों को सीधे खतरे में डाले अंजाम दिया जा सकता है।

‘रोबोट ऑन व्हील्स’ छोटे टैंकों जैसे दिखते हैं और इन्हें दूर से नियंत्रित किया जा सकता है। ये वाहन खतरे वाले क्षेत्रों में घुसकर काम कर सकते हैं, जैसे बारूदी सुरंग हटाना या सैनिकों को सुरक्षित निकालना। इसका उपयोग करके यूक्रेनी सेना सैनिकों की जान बचाने के साथ युद्ध के दौरान रणनीतिक लाभ भी प्राप्त कर सकती है।

रोबोट वाहन पूरी तरह सैनिकों की जगह नहीं ले सकते

यद्यपि ये वाहन कई काम कर सकते हैं, फिर भी वे पूरी तरह से सैनिकों की जगह नहीं ले सकते। ‘मियामी’ नाम के 20वीं ल्यूबार्ट ब्रिगेड के एक प्लाटून कमांडर ने बताया कि कुछ मिशन ऐसे होते हैं जिन्हें केवल इंसान ही अंजाम दे सकता है। इनमें माइन्स बिछाना, दुश्मन के इलाके में रेकी करना और स्नाइपर तैनाती जैसे कार्य शामिल हैं।

कमांडर ने कहा कि रोबोट वाहन बेहद उपयोगी हैं, लेकिन जटिल और संवेदनशील मिशनों के लिए इंसान की भूमिका अनिवार्य है। रोबोटिक वाहन सैनिकों की सहायता कर सकते हैं और जोखिम को कम कर सकते हैं, लेकिन पूरी जिम्मेदारी नहीं संभाल सकते।

यूक्रेनी सैनिकों के लिए रोबोट वाहन कितने अहम 

यूक्रेनी कंपनियों द्वारा बनाए गए ये वाहन आकार और क्षमता के आधार पर $1,000 से $64,000 अमेरिकी डॉलर तक की कीमत में उपलब्ध हैं। इन वाहनों की तैनाती से सैनिकों की सुरक्षा बढ़ती है और मेटेनेंस भी आसान होता है क्योंकि ये देश में ही बनाए गए हैं।

इन वाहनों का उपयोग विशेषकर अग्रिम पंक्ति में किया जा रहा है। इससे सैनिकों को जोखिम कम होता है और मिशनों को समय पर और सुरक्षित तरीके से अंजाम दिया जा सकता है। देश में बने होने के कारण इनकी लागत भी कम है और आवश्यकता अनुसार उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

रूस के पास मौजूद रोबोट वाहन

जंग में रोबोट वाहन कोई नई तकनीक नहीं हैं। द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी ने ऐसे रिमोट नियंत्रित छोटे टैंकों का उपयोग किया था, जिन्हें गोलिएथ कहा जाता था। आज भी रूस इन तकनीकों का इस्तेमाल करता है।

रूस के पास उरान-9 नामक कॉम्बैट रोबोट वाहन है, जिसमें मशीन गन, एंटी-टैंक मिसाइल और ग्रेनेड लांचर लगे होते हैं। इसके अलावा रूस के पास नरेखता नामक छोटा मानवरहित ग्राउंड व्हीकल है, जो खुफिया जानकारी इकट्ठा करने, हथियार ढोने और युद्ध क्षेत्र में हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

इसके अलावा सोरातनिक नामक मल्टी-फंक्शनल रोबोट वाहन भी है। इसे टोही मिशनों, एस्कॉर्टिंग और युद्धक अभियानों में लगाया जाता है। ये रोबोट वाहन रूस की सेना को युद्ध के दौरान रणनीतिक बढ़त दिलाते हैं और सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

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