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SEBI का बड़ा फैसला: छोटी कंपनियों के लिए बदले ESM नियम, जानें वजह

SEBI का बड़ा फैसला: छोटी कंपनियों के लिए बदले ESM नियम, जानें वजह

SEBI ने छोटी कंपनियों के लिए ESM नियमों को सरल बनाया है। 28 जुलाई से लागू होने वाले नए नियमों के अनुसार, शेयरों पर निगरानी के नए मानदंड जोड़े गए हैं जिससे 28 कंपनियों को फायदा मिलेगा।

SEBI Rules: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और देश के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों ने ₹1,000 करोड़ से कम मार्केट कैप वाली कंपनियों के लिए Enhanced Surveillance Mechanism (ESM) नियमों में अहम बदलाव किए हैं। यह बदलाव 28 जुलाई 2025 से प्रभावी होंगे और इससे बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी साथ ही निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। यह कदम उन निवेशकों के हित में उठाया गया है जो छोटी और माइक्रो कंपनियों में पूंजी लगाते हैं।

28 कंपनियों को मिलेगा सीधा फायदा

नए नियमों के लागू होने से अनुमान है कि करीब 28 कंपनियों को ESM फ्रेमवर्क के तहत राहत मिल सकती है। SEBI और स्टॉक एक्सचेंजों की 25 जुलाई को हुई संयुक्त बैठक में इस पर फैसला लिया गया। अब ESM के पहले चरण में किसी कंपनी को शामिल करने के लिए केवल पुराने मानदंड ही नहीं बल्कि पिछले तीन महीनों में शेयर की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी (Close-to-Close Price Variation) को भी मापदंड माना जाएगा। इसका अर्थ है कि यदि किसी कंपनी के शेयर की कीमत लगातार बढ़ रही है तो यह निवेशकों की मजबूत रुचि का संकेत है और ऐसे शेयर ESM में लाए जा सकते हैं।

स्टेज 2 के नियमों में भी बदलाव

ESM ढांचे के दूसरे चरण यानी स्टेज 2 में भी बदलाव किए गए हैं। अब स्टेज 2 में किसी शेयर को ले जाने के लिए प्राइस टू अर्निंग्स (PE) रेशियो को एक नई शर्त के रूप में जोड़ा गया है। इस बदलाव के अनुसार, यदि किसी कंपनी का PE रेशियो निफ्टी 500 इंडेक्स के PE रेशियो के दोगुने तक पहुंचता है, तब उस कंपनी के शेयर को स्टेज 2 निगरानी के अंतर्गत लाया जाएगा। इससे कंपनियों के वैल्यूएशन और निवेशकों की सुरक्षा को संतुलित किया जा सकेगा।

छोटी कंपनियों के लिए क्यों जरूरी था यह बदलाव

SEBI ने अगस्त 2024 में ₹1,000 करोड़ से कम मार्केट कैप वाली मेनबोर्ड कंपनियों को ESM फ्रेमवर्क में शामिल किया था ताकि इन कंपनियों में हो रही असामान्य गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। इसका उद्देश्य इन शेयरों की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव, स्टैंडर्ड डेविएशन और ट्रेडिंग पैटर्न की निगरानी करना था। अब नए नियमों के तहत यदि कोई कंपनी ESM के स्टेज 1 में है तो उस पर टी+2 सेटलमेंट के साथ 100 प्रतिशत मार्जिन लागू होगा और ट्रेड-फॉर-ट्रेड सेटलमेंट के अंतर्गत 5 प्रतिशत का प्राइस बैंड निर्धारित किया जाएगा। यदि कंपनी का मौजूदा प्राइस बैंड 2 प्रतिशत है तो वह यथावत रहेगा।

हर सप्ताह होगी समीक्षा

SEBI द्वारा तय किए गए नए नियमों के अनुसार, अब इन कंपनियों की हर सप्ताह समीक्षा की जाएगी। समीक्षा के आधार पर यह तय किया जाएगा कि किसी कंपनी को ESM के किसी चरण से हटाया जाए या फिर उसे किसी निचले चरण में लाया जाए। यह प्रक्रिया कंपनियों के प्रदर्शन और निवेशकों के व्यवहार के आधार पर निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होगी।

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