Pune

श्रावण कालाष्टमी कब है? जानिए उस रात क्यों जागते हैं साधक

 श्रावण कालाष्टमी कब है? जानिए उस रात क्यों जागते हैं साधक

हिंदू पंचांग के अनुसार मासिक कालाष्टमी हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है। लेकिन जुलाई 2025 में पड़ने वाली कालाष्टमी बेहद खास मानी जा रही है क्योंकि यह श्रावण मास के दौरान आएगी। श्रावण यानी शिव भक्तों के लिए सबसे प्रिय महीना और ऐसे में भगवान काल भैरव की पूजा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

काल भैरव, भगवान शिव का उग्र और रौद्र रूप माने जाते हैं। इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है, जो अपने भक्तों के जीवन से डर, दोष और बाधाओं को दूर करते हैं। जो साधक नियमित रूप से कालाष्टमी पर उपवास और पूजा करते हैं, उन्हें जीवन में स्थायित्व, साहस और सुरक्षा का अनुभव होता है।

कब पड़ेगी जुलाई 2025 की कालाष्टमी

पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की मासिक कालाष्टमी इस वर्ष 17 जुलाई, गुरुवार को पड़ रही है।

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ  17 जुलाई 2025, शाम 07:08 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त  18 जुलाई 2025, शाम 05:01 बजे
  • निशा काल पूजा मुहूर्त  17 जुलाई की रात 12:07 बजे से 12:48 बजे तक

इस दिन निशा काल, यानी रात्रि का वह समय जब काल भैरव की पूजा सबसे फलदायी मानी जाती है, उस दौरान पूजा करना शुभ माना गया है। श्रद्धालु पूरी रात उपवास रखकर काल भैरव का ध्यान करते हैं।

कालाष्टमी व्रत की परंपरा और श्रद्धा

मासिक कालाष्टमी के दिन शिव भक्त काल भैरव की विशेष पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधिवत पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले संकट और भय का अंत होता है। यह दिन उन लोगों के लिए भी अहम माना जाता है जो जीवन में मानसिक अस्थिरता, नकारात्मक ऊर्जा या बार-बार आने वाली विघ्न-बाधाओं से परेशान हैं।

कालाष्टमी पर तंत्र और साधना करने वाले साधक भी विशेष रूप से रात्रि के समय साधना करते हैं क्योंकि यह काल भैरव की विशेष कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ समय होता है।

पूजा विधि – कैसे करें काल भैरव की पूजा

मासिक कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव की पूजा करने के लिए दिन की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में उठकर करनी चाहिए। पूजा की संपूर्ण विधि इस प्रकार है:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें
  • व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें
  • एक साफ चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर शिव और काल भैरव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
  • शिवलिंग का गन्ने के रस से अभिषेक करें
  • काल भैरव को सफेद चंदन का तिलक लगाएं और उन्हें काले तिल, सरसों के तेल से बने दीपक, जलेबी, नारियल और फल अर्पित करें
  • रात को निशा काल में विशेष पूजा करें और आरती करें
  • पूजन के अंत में काले कुत्तों को भोजन कराना शुभ माना जाता है

सावन में कालाष्टमी क्यों होती है खास

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस पूरे महीने शिव मंदिरों में विशेष पूजा होती है और श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं। ऐसे में जब कालाष्टमी इसी महीने आती है तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है।

मान्यता है कि सावन की कालाष्टमी पर की गई भैरव उपासना से शिव जी स्वयं प्रसन्न होते हैं और साधक की हर प्रकार की भय, संकट और अदृश्य बाधाओं से रक्षा करते हैं।

काल भैरव से जुड़ी मान्यताएं और प्रतीक

काल भैरव को दंडाधिकारी भी कहा जाता है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि जब भगवान ब्रह्मा ने शिव जी का अपमान किया था, तब शिव ने अपने क्रोध से भैरव को उत्पन्न किया था, जिन्होंने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया। इसी कारण उन्हें 'भैरव' कहा गया।

भैरव की सवारी कुत्ता होती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को रोटी, दूध, गुड़ या मिठाई खिलाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। कहा जाता है कि इससे अकाल मृत्यु, शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।

कालाष्टमी के विशेष उपाय

श्रावण मास की कालाष्टमी पर कुछ उपाय करने से जीवन में शांति और सुरक्षा बनी रहती है। भक्तों द्वारा किए जाने वाले कुछ विशेष उपाय इस प्रकार हैं:

  • शाम के समय घर में शिवलिंग के सामने चौमुखी दीपक जलाएं
  • दीपक में सरसों का तेल डालें और उसे भैरव चालीसा या भैरवाष्टक का पाठ करते हुए जलाएं
  • काल भैरव को मिठाई, विशेषकर जलेबी का भोग लगाएं
  • काले कुत्ते को रोटी, दूध या बेसन के लड्डू खिलाएं
  • शिवलिंग पर गन्ने के रस से अभिषेक करें
  • रात्रि में भैरव मंदिर जाकर दर्शन और आरती करें

भक्तों की आस्था और अनुभव

कालाष्टमी के दिन अनेक मंदिरों में विशेष भजन, कीर्तन और भैरव सहस्त्रनाम पाठ होते हैं। कई साधक रात भर उपवास रखकर ध्यान करते हैं। कई शहरों में काल भैरव की सवारी भी निकाली जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त भाग लेते हैं।

काल भैरव की आराधना में भक्तों की आस्था का एक कारण यह भी है कि वह जीवन में आने वाली अकस्मात घटनाओं से रक्षा करते हैं। अनेक श्रद्धालु बताते हैं कि कालाष्टमी का व्रत करने के बाद उनके जीवन की कठिनाइयों में कमी आई और मानसिक शांति प्राप्त हुई।

Leave a comment