Pune

हरतालिका तीज 2025: रातभर क्यों जगती है महिलाएं? जानिए व्रत, शुभ मुहूर्त और पूरी कथा

हरतालिका तीज 2025: रातभर क्यों जगती है महिलाएं? जानिए व्रत, शुभ मुहूर्त और पूरी कथा

भाद्रपद माह की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व पूरे भारत में खासकर उत्तर भारत, महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और दक्षिण के राज्यों में बहुत श्रद्धा से मनाया जाता है। यह पर्व सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि मां पार्वती की उस तपस्या की याद है, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए हर कष्ट सहा।

इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं, रातभर जागरण करती हैं और चारों प्रहर पूजा करती हैं। हरतालिका तीज 2025 में एक खास संयोग बन रहा है, क्योंकि यह पर्व सोमवार के आसपास पड़ रहा है, जो भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है।

हरतालिका तीज का मतलब क्या है?

हरतालिका शब्द दो भागों से बना है - 'हरत' यानी हरण करना और 'आलिका' यानी सखी। मान्यता है कि माता पार्वती को उनके सखियों ने उनके पिता के घर से हरण कर जंगल में ले जाकर छिपा दिया था, ताकि वे भगवान शिव को ही अपना वर चुन सकें। यही प्रसंग हरतालिका तीज का आधार बना।

इस दिन मां पार्वती के उसी तप और प्रेम का स्मरण करते हुए महिलाएं उपवास करती हैं और रातभर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का और कुंवारी कन्याओं के लिए योग्य वर प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।

हरतालिका तीज 2025 में कब है यह व्रत?

हरतालिका तीज हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह तिथि 26 अगस्त मंगलवार को पड़ रही है।

  • तृतीया तिथि प्रारंभ – 25 अगस्त 2025, दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर
  • तृतीया तिथि समाप्त – 26 अगस्त 2025, दोपहर 1 बजकर 54 मिनट पर
  • हरतालिका व्रत पूजा मुहूर्त – सुबह 5 बजकर 56 मिनट से सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक
  • पूजा की अवधि – कुल 2 घंटे 35 मिनट

इस दिन दिनभर का निर्जला उपवास रखा जाता है और रात्रि में चार प्रहर की पूजा का विधान होता है।

हरतालिका तीज की प्राचीन कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने कई जन्मों तक कठोर तप किया, ताकि उन्हें भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हों। जब उनके पिता राजा हिमावंत ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया, तो पार्वती की सखी उन्हें चुपचाप जंगल ले गईं। वहां उन्होंने निर्जल उपवास रखते हुए भगवान शिव को मनाया।

भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें स्वीकार करते हैं। उसी दिन को हरतालिका तीज के रूप में याद किया जाता है। यह व्रत पति-पत्नी के प्रेम और नारी की इच्छाशक्ति का प्रतीक माना जाता है।

हरतालिका तीज में क्या करते हैं महिलाएं

  • निर्जला व्रत – पूरे दिन बिना जल के उपवास
  • सोलह श्रृंगार – विवाहित महिलाएं संपूर्ण श्रृंगार करती हैं
  • गौरी-शंकर पूजन – मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा की जाती है
  • व्रत कथा – हरतालिका तीज की कथा सुनना अनिवार्य होता है
  • रात्रि जागरण – पूरी रात गीत-भजन और कथा पाठ होता है
  • सखी-सहेलियों का साथ – समूह में पूजा और व्रत का आयोजन

कहां-कहां मनाई जाती है हरतालिका तीज

यह पर्व भारत के कई हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में हरतालिका तीज के रूप में, दक्षिण में गौरी हब्बा के नाम से और ओडिशा में इसे ‘हरतालिका ओषा’ कहा जाता है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में तो यह पर्व शादीशुदा महिलाओं के लिए सबसे बड़ा पर्व माना जाता है।

हरतालिका तीज की तैयारी कब से शुरू होती है

महिलाएं इस पर्व की तैयारी कई दिन पहले से शुरू कर देती हैं। पारंपरिक पोशाक, चूड़ियां, मेहंदी, श्रृंगार का सामान पहले ही खरीद लिया जाता है। व्रत की कथा और पूजा सामग्री पहले से तैयार कर ली जाती है ताकि तीज के दिन कोई चूक न हो।

इस दिन का माहौल अलग होता है

हरतालिका तीज के दिन मंदिरों में सजावट, गीत-संगीत और भजन का माहौल होता है। महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सजकर मंदिरों और घरों में पूजा करती हैं। कहीं कहीं पर सामूहिक तीज कार्यक्रम और गीत प्रतियोगिताएं भी होती हैं।

Leave a comment