श्री लंका अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और भौगोलिक विशेषताओं के लिए विश्वभर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। हिंद महासागर का मोती कहलाने वाला यह देश न केवल पिंक पहाड़ जैसे अद्वितीय नजारों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां मौजूद 8 यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज स्थल भी इसे बेहद खास बनाते हैं।
नई दिल्ली: भारत के दक्षिण में स्थित यह छोटा-सा द्वीप देश अपनी अनोखी संस्कृति, प्राकृतिक खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व के कारण यात्रियों की पसंदीदा डेस्टिनेशन है। 1972 में इसका नाम श्री लंका रखा गया और 1978 में आगे सम्मान स्वरूप "श्री" जोड़ा गया। इस देश में 8 स्थल यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल हैं, जो इसकी ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाते हैं। पिंक पहाड़ और चारों ओर से घिरा समुद्र इसे और भी आकर्षक बनाता है। यही वजह है कि श्री लंका को "इंडियन ओशन का पर्ल" कहा जाता है।
श्री लंका नाम कैसे पड़ा
प्राचीन समय में श्री लंका को सीलोन नाम से जाना जाता था। 1972 तक यह नाम ही प्रचलित रहा और उसी साल इसका नाम बदलकर लंका कर दिया गया। इसके बाद 1978 में सम्मान के तौर पर "लंका" के आगे "श्री" जोड़ा गया।
इस बदलाव ने न केवल देश की पहचान को एक नई दिशा दी, बल्कि इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को भी मजबूत किया। आज दुनिया भर में श्री लंका अपनी नई पहचान के साथ जाना जाता है और पर्यटकों के बीच खास लोकप्रिय है।
एक दिन में बदलते मौसम का अनुभव
श्री लंका का मौसम यहां आने वाले हर पर्यटक को हैरान कर देता है। यहां एक ही दिन में समुद्र किनारे गर्मी, पहाड़ों में ठंड और कहीं हल्की बारिश का अनुभव किया जा सकता है। यह अनोखी जलवायु इसे बाकी देशों से अलग बनाती है।
यात्रियों को यहां अलग-अलग मौसम का आनंद लेने का अवसर मिलता है। ठंडी हवाओं, धूप और बारिश का यह मिश्रण एक अनूठा रोमांच पैदा करता है, जो श्री लंका की यात्रा को यादगार बना देता है।
श्री लंका के यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल 8 स्थल
श्री लंका भले ही आकार में छोटा है, लेकिन इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यही कारण है कि यहां के 8 स्थल यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल किए गए हैं।
इन स्थलों में कैंडी का पवित्र शहर, सिगिरिया, गैले का पुराना शहर, पोलोन्नारुवा और रंगिरी दांबुला गुफा मंदिर जैसे नाम प्रमुख हैं। ये स्थान न केवल इतिहास और संस्कृति को जीवंत करते हैं, बल्कि हजारों पर्यटकों को भी अपनी ओर खींचते हैं।
जैव विविधता में श्री लंका की पहचान
प्राकृतिक धरोहर की दृष्टि से श्री लंका दुनिया में सबसे समृद्ध देशों में गिना जाता है। यहां हजारों प्रजातियों के पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं, जो इसे जैव विविधता का केंद्र बनाते हैं।
करीब 3,300 से ज्यादा फूलों वाले पौधे, 400 से अधिक पक्षी और 240 तरह की तितलियां श्री लंका की खासियत हैं। यही वजह है कि इसे दुनिया के सबसे बड़े जैव विविधता वाले देशों में शामिल किया गया है।
पिंक क्वार्ट्ज पहाड़ की खासियत
श्री लंका की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं यहां के पिंक क्वार्ट्ज पहाड़। गुलाबी रंग की चमक लिए यह पहाड़ देखने में बेहद आकर्षक लगता है और धार्मिक दृष्टि से भी इसका खास महत्व है।
स्थानीय भाषा में इसे जथिका नमल उयाना कहा जाता है। प्राचीन समय से यह तीर्थयात्रा और पूजा का केंद्र रहा है। आज भी इसकी खूबसूरती यात्रियों को आकर्षित करती है और इसे श्री लंका का अनमोल खजाना माना जाता है।